भारत ही ऐसी पावन धरा जहां प्रभु लेते है अवतार : त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज




भीलवाड़ा। बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा कि हमें मनुष्य बनाने, भारत में जन्म देने एवं सनातन कुल में जन्म देने के लिए भगवान का आभार जताना चाहिए। पूरे विश्व में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहां भगवान अवतार लेते हैं। संत श्री गुरुवार को हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में प्रवचन दे रहे थे। संत श्री ने कहा कि जो संशय में आ जाता है उसका कोई इलाज नहीं है। शिव की उपासना से सब कुछ मिल जाता है। दुष्ट बुद्धि का व्यक्ति अपने स्वामी से आगे निकलना चाहता है। बड़े सपने देखना अच्छी बात है लेकिन सपना प्राप्त करने के लिए त्याग करना पड़ता है। अपने आराध्य के सामने सब कुछ तल्लीनता के साथ समर्पण करना पड़ता है। रावण का प्रसंग बताते हुए संत श्री ने कहा कि रावण ने सब कुछ अपना भगवान शिव को समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि हर बात के दो पहलू होते हैं अच्छा एवं बुरा। मनुष्य को क्या ग्रहण करना है यह उसकी सोच पर निर्भर करता है। सत्ता के मद में कुछ भी समझ नहीं आता है, यही रावण के पतन का कारण था। संयोजक परिवार के राधेश्याम अग्रवाल ने बताया की हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन महाराज के सानिध्य में प्रवचन प्रतिदिन अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक चल रहे है। प्रवचन का फेसबुक पर सीधा व यूट्यूब पर शाम को प्रसारण किया जा रहा है। संयोजक परिवार के कृष्णगोपाल, छीतरमल व प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया की संत श्री के साथ दंडी स्वामी प्रबोधाश्रम महाराज, नृसिंह भारती महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, स्वामी नारायण महाराज, ब्रह्मचारी देवेश महाराज भी ज्ञान गंगा बहा रहे हैं। कार्यक्रम प्रवक्ता रजनीकांत आचार्य ने बताया कि कार्यक्रम में कमला कांत शर्मा ने थारी मारी छोड़ बावला गीतिका प्रस्तुत की। हरिओम महाराज ने मंगलाचरण व मानवीय गुणों का वर्णन करते हुए बताया कि केवल मनुष्य ही धर्म का पालन कर सकता है दूसरा कोई नहीं। जो धर्म पर चल रहा है वास्तव में मनुष्य वही है। महाराज श्री का स्वागत राधेश्याम अग्रवाल, सज्जन देवी, मुरली मनोहर सेन, दिनेश भट्ट, मंजुलता भट्ट, कैलाश काबरा, बंशीलाल सोडानी, जगन्नाथ मंदिर के प्रभुदत्त शर्मा आदि ने किया।