दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक गरीब परिवार से लेकर चाय बेचने तक की जिंदगी में काफी संघर्ष किया और उनका राजनीतिक सफर हम भारतीयों को प्रेरणा देता है।

In fact, the country's Prime Minister Narendra Modi

दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक गरीब परिवार से लेकर चाय बेचने तक की जिंदगी में काफी संघर्ष किया और उनका राजनीतिक सफर हम भारतीयों को प्रेरणा देता है।
दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक गरीब परिवार से लेकर चाय बेचने तक की जिंदगी में काफी संघर्ष किया और उनका राजनीतिक सफर हम भारतीयों को प्रेरणा देता है।

NBL, 15/01/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: In fact, the country's Prime Minister Narendra Modi struggled a lot in his life from a poor family to selling tea and his political journey inspires us Indians.

इंसान अगर ठान ले मुझे कुछ अलग से कुछ करना है, और पूरी दुनिया के लोग उनके तारीफ करे तो वाकई आपको हमको अचनभित कर देता है, वाकई ऐसा कैसा हो गया करके, लेकिन भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर के दिखा दिया, गरीब से अतिगरीब परिवार के इंसान भी अपने मेहनत, परिश्रम व लगन से अपने परिवार व देश का नाम रौशन कर सकता है, और पीएम मोदी ने वह सब करके दिखा दिया। 

इन्ही उनके दूर दृष्टि व उनके साहश को देखकर देश व दुनिया के लोग उनके ओर देखता है, और उनके लिए एक आदर्श प्रेम व उनके इस देश प्रेम उन्नति को देखकर भारत के लोगों को विश्वास हो गया है, पीएम हो तो नरेंद्र मोदी जैसा वाकई अपने मेहनत व देश प्रेम लगन से देश के हर धर्म हर वर्ग के लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बना लिया है पीएम मोदी ने.... सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास के साथ। 

जानिए कैसे बचपन में एक चायवाले से वह कैसे गांधीनगर, दिल्ली और विश्वनेता के रूप में उभरे. कैसे इस यात्रा कि नींव पड़ी.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. देश और दुनियाभर में उनको चाहने वाले करोड़ों लोग हैं. एक गरीब परिवार से निकलकर देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी कई लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, आइए जानते हैं नरेंद्र मोदी के बचपन की कहानी. गुजरात के छोटे से शहर वडनगर में कैसे उनका जीवन बीता और कैसे वह गांधी नगर के राजनीतिक गलियारों में छा गए। 

नरेंद्र मोदी का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले में एक छोटे और अनजाने से कस्बे वडनगर में भारत की आजादी के तीन साल बाद, 17 सितंबर 1950 को हुआ था. नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदारदास मोदी था और उनकी मां हीराबा मोदी आज कल हाल में ही वडनगर में उनका देहांत हो गई पूरे 100 वर्ष उम्र तक अपने परिवार के साथ रही, नरेंद्र मोदी अपने माता-पिता के 6 बच्चों में से तीसरे नंबर के हैं. अगर बात करें वडनगर की तो इस छोटे से शहर की जड़े इतिहास में भी गहरी हैं और इसी वडनगर के बेटे नरेंद्र मोदी ने देश में पहली बार पूर्ण बहुमत की गैर-कांग्रेसी सरकार का लगातार दो बार नेतृत्व करके एक बार फिर से इतिहास रच दिया. पुरातात्विक खुदाई में पता चलता है कि वडनगर शिक्षा और आध्यात्मिकता का एक जीवंत केंद्र था. मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी वडनगर का दौरा किया था. वडनगर का एक समृद्ध बौद्ध इतिहास भी रहा है, यहां सदियों पहले 10 हजार बौद्ध भिक्षु रहते थे। 

छोटे से घर में करते थे गुजारा. ... 

नरेंद्र मोदी का पचपन किसी परियों की कहानी जैसा खूबसूरत नहीं था. बल्कि उनका परिवार बहुत गरीब था और समाज में उन्हें पिछड़ा दर्जा हासिल था. यहां तक कि उनके परिवार को दो वक्त की रोटी तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था. उनका पूरा परिवार यानी, माता-पिता और 6 बच्चे सभी छोटे से एक मंजिला मकान (40×12 फीट) में रहते थे. वडनगर के स्थानीय रेलवे स्टेशन पर उनके पिता की चाय की दुकान थी, जहां वह चाय बेचा करते थे. बचपन में नरेंद्र मोदी भी वडनगर रेलवे स्टेशन पर अपने पिता का हाथ बटाते थे और यात्रियों को चाय पिलाने का काम किया करते थे। 

मेहनती छात्र थे नरेंद्र मोदी... 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचपन तंगहाली में गुजरा और इसका उनके जीवन पर पहुंत असर पड़ा. एक बच्चे के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपनी पढ़ाई, खेल-कुद और परिवार की जरूरतों के लिए चाय की दुकान पर काम करने में सामान्जस्य बिठाया. स्कूल में उनके साथ पढ़ने वाले सहपाठी नरेंद्र मोदी को एक मेहनती छात्र के रूप में आज भी याद करते हैं और बताते हैं कि उनमें उस समय से ही डिबेट करने की अद्भुत क्षमता थी. वह स्कूल की लाइब्रेरी में बैठकर घंटों पढ़ा करते थे. खेलों में उन्हें तैराकी का बड़ा शौक था. नरेंद्र मोदी की मित्रता सभी समुदाय के बच्चों के साथ थी. एक बच्चे के तौर पर वह हिंदू और मुसलमानों के त्योहार मनाते थे और आस-पड़ोस में उनके बहुत से मुस्लिम दोस्त भी थे। 

स्वामी विवेकानंद के विचारों पर चले... 

नरेंद्र मोदी के विचार और सपने एक साधारण जीवन से बहुत आगे के थे. वह समाज में बदलाव लाना चाहते थे. दुखियों के आसूं पोछना चाहते थे. कम उम्र में ही उनका झुकाव आध्यात्म और त्याग की तरफ हो गया. उन्होंने नमक, मिर्च, तेल और गुड़ तक खाना छोड़ दिया. उन्होंने स्वामी विवेकानंद की किताबों के एक-एक पन्ने को पढ़ा और यह उन्हें एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले गया. इस आध्यात्मिक यात्रा के जरिए ही वह आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के भारत को जगत गुरू बनाने के सपने को पूरा करने के मिशन में जुट गए। 

सेवा का दूसरा नाम हैं मोदी.... 

नरेंद्र मोदी आज भले ही देश के प्रधानमंत्री हों, लेकिन बचपन के तंगहाली भरे जीवन से लेकर अब तक उनके साथ एक ही चीज जुड़ी है और वह उनका सेवा भाव है. एक बार जब तापी नदी में बाढ़ आई तो 9 साल के नरेंद्र मोदी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक फूड स्टॉल शुरू किया और यहां से होने वाली कमाई को बाढ़ पीड़ितों के राहत कार्य में लगाई. पाकिस्तान से युद्ध के समय वह रेवले स्टेशन पर बैठ गए और बॉर्डर की तरफ जाने वाले व बॉर्डर से आने वाले सैनिकों को चाय पिलाई. हालांकि, यह बहुत छोटे-छोटे कदम थे, लेकिन कहते हैं न पूत के पांव पालने में ही देखे जाते हैं. इस कम उम्र में उन्होंने जो किया वह उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। 

बचपन में नरेंद्र मोदी का सपना भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा करना था. उस समय के बच्चों में देश सेवा का मतलब सेना में भर्ती होना ही होता था. वह जामनगर में मौजूद सैनिक स्कूल में एडमिशन लेना चाहते थे, लेकिन जब फीस जमा करने की बात आई तो उनके परिवार के पास फीस जमा करने के लिए पैसा नहीं था।