"किरकिरी" होने के बाद बैकफुट पर आया प्रशासन, मिठाई वितरण पर पहले ना और अब की हां..




भीलवाड़ा। आजादी की 77 वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रशासन द्वारा स्कूली छात्र-छात्राओं को लड्डू नहीं बांटने का मामला कलेक्ट्रेट सभागार में हुई पत्रकार वार्ता के दौरान प्रभारी मंत्री डॉ. मंजू बाघमार के समक्ष पत्रकारों ने प्रमुखता से उठाया। इसके बाद जिला कलेक्टर नमित मेहता ने कहा की विषय को सुलझा लिया गया है, प्रशासन ही लड्डू बनाकर बांटेगा। वहीं युआईटी द्वारा वित्तीय भार के तर्क को लेकर हुई किरकिरी बाद प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा और अपनी ग़लती में सुधार करते हुए अपने फैसले को ना के बाद हां में बदलना पड़ा और जिला प्रशासन द्वारा ही लड्डू वितरित करने की बात कही है। घटनाक्रम के अनुसार जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय पर्व स्वाधीनता दिवस-2024 की तैयारियों के संबंध में हुई जिला स्तरीय बैठक में इस बार बच्चों को मिठाई वितरण नहीं करने का निर्णय लिया। जबकि जिला मुख्यालय पर होने वाले जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए यूआईटी की ओर से भुगतान किया जाता है। लेकिन इस बार यूआईटी सचिव ने तैयारी बैठक में अन्य जिलों की व्यवस्था का उदाहरण देते हुए कहा अन्य किसी भी जिले में इस तरह की व्यवस्था नहीं है, तो फिर भीलवाड़ा में यूआईटी इस अतिरिक्त खर्चे को क्यों वहन करें, सचिव के इस तर्क को प्रशासन ने भी मान लिया और इस कटौती से यूआईटी द्वारा करीब 7 लाख रुपए बचाने की बात सामने आई। वहीं प्रशासन के इस निर्णय के बाद शिक्षा विभाग ने स्वाधीनता दिवस समारोह में व्यायाम प्रदर्शन, परेड व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को लड्डू वितरण का जिम्मा विद्यालय प्रबंध समिति पर डाल दिया। जबकि, शहर में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर की कई सरकारी विद्यालय संचालित है जिनमें समिति के पास पर्याप्त बजट का अभाव रहता है। बड़े स्कूल तो यह व्यवस्था कर लेंते, लेकिन छोटे स्कूल इसे कैसे करते, ये बड़ा सवाल पैदा हो गया, क्योंकि उनके पास बजट नहीं होता है। वहीं दूसरी और युआईटी के 200 करोड़ के बजट के बावजूद स्कूली छात्र छात्राओं को सौ ग्राम लड्डू वितरित नहीं कर सात लाख रूपए बचाने के निर्णय को लेकर हुई किरकिरी के बाद प्रशासन को भी आखिर जिला प्रभारी मंत्री के सामने बैकफुट पर आना पड़ा और अपना निर्णय बदलते हुए प्रशासन द्वारा ही मिठाई बांटें जाने की बात पर आना पड़ा। इस तरह आजादी की 77वीं वर्षगांठ पर बच्चों को मिठाई बांटें जाने की पंरपरा टुटने से बच गई।