सुकमा जिले में 700 सर्वे दल करेंगे मलेरिया की जांच पहुंचविहीन क्षेत्रों में सबसे पहले होगी मॉस स्क्रीनिंग 15 जून से 31 जुलाई तक चलाया जाएगा मलेरिया मुक्त अभियान

सुकमा जिले में 700 सर्वे दल करेंगे  मलेरिया की जांच पहुंचविहीन क्षेत्रों में सबसे पहले होगी मॉस स्क्रीनिंग 15 जून से 31 जुलाई तक चलाया जाएगा मलेरिया मुक्त अभियान

जिले में जून 15 से जुलाई 31 तक मलेरिया रोधी माह मनाया जाएगा जिसके अंतर्गत मलेरिया व डेंगू सहित अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए सुकमा जिले में तैयारी की जा रही है। 

      मानसून के दौरान मलेरिया का प्रभाव बढ़ने लगता है। मच्छर जनित रोगों से लोगों को बचाने हेतु प्रति वर्ष जून में कीटनाशक दवा का छिड़काव कराया जाता है। इसलिये जिले के प्रत्येक गांव में कीटनाशक दवा छिड़काव कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। छिड़काव हेतु कुल 15 दल का चयन किया गया है ( एक दल में 6 सदस्य रहेंगे)। कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए हैं मलेरिया स्क्रीनिंग के साथ-साथ कोविड-19 सर्विलेंस भी किया जाएगा। इस दौरान 2.57 लाख निवासियों की मलेरिया जांच की जाएगी। जिले में संचालित होने वाले चतुर्थ मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए 700 सर्वे दल का गठन किया गया है प्रत्येक दल में 2 सदस्य होंगे जिसमें प्रथम सदस्य के रूप में 1 पुरुष अथवा महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता है वहीं दूसरी सदस्य के रूप में मितानीन या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होंगी। डोर टू डोर सर्वे के दौरान घर के सभी सदस्यों की मलेरिया जांच की जाएगी। पॉजिटिव पाए जाने पर रोगी को दवा की प्रथम खुराक का सेवन एवं उपचार कराया जाएगा। कोविड-19 से सम्बंधित सभी नियमों का सर्वे की प्रक्रिया की जाएगी।

 

       सीएमएचओ डॉ. सी. बी. प्रसाद बंसोड़ ने बताया: "सुकमा जिले में 15 जून से 31 जुलाई तक मलेरिया रोधी माह मनाया जा रहा है। बरसात मौसम को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले पहुंचविहीन क्षेत्रों में मांस स्क्रीनिंग की जाएगी। जिले में मलेरिया से मुक्ति के लिये 3 चरण पहले भी चलाए जा चुके हैं।‘’

 मलेरिया मुक्त अभियान के प्रथम चरण में 2.86 लाख लोगों की जांच की गई थी जिनमें 16,599 लोगों में मलेरिया के लक्षण मिले थे । दूसरे चरण में 2.89 लाख की जांच में 4126 लोग मलेरिया पॉजिटिव मिले। वहीं मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ तृतीय चरण जो 15 दिसंबर 2020 से 30 जनवरी 2021 तक हुआ था, इसमें जिले के कुल 1.35 लाख नागरिकों की जांच की गई जिनमें 2245 लोगों में मलेरिया के लक्षण मिले। 

 

``लगातार कम हो रहे आंकड़े दर्शाते हैं कि लोगों की जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिबद्धता की वजह से मलेरिया को मात देने में सफलता मिल रही है। मलेरिया मुक्त बस्तर जैसा बड़ा अभियान चलाकर ठोस रणनीति के साथ मलेरिया को यहां से मिटाने की जो मुहिम चलाई गई थी, वह अबतक सफल रही है, डाक्टर बहंसोड ने बताया । "

 

इन पर नजर रखना जरूरीः

स्वास्थ्य विभाग की ओर से अपील भी की जा रही है कि बाहर से आने वाले आम जनमानस बुखार से संबंधित कोई भी शिकायत होने पर तुरंत निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाएं। मलेरिया व डेंगू रोग की रोकथाम तथा इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें। घरों के आसपास सफाई रखें। डेंगू तथा मलेरिया के मच्छरों की उत्पत्ति के कारक जैसे कूलर व पानी की खुली टंकियों की नियमित सफाई करें। फटे-पुराने टायर-ट्यूब, टूटे-फूटे मटके,बाल्टी,टीन एवं प्लास्टिक के डिब्बे जैसे कबाड़ घर पर न रखें। घर के सजावटी गमलों, मनी प्लांट के पौट, फ्रीज के नीचे ट्रे जैसे सामानों पर पानी जमा न होने दें। मच्छर उत्पत्ति के ऐसे कारकों की नियमित देखरेख करने से डेंगू व मलेरिया रोग से बचा जा सकता है.