उदासीनाचार्य भगवान श्री श्रीचंद्र महाराज की 528वीं जयंती मनाई




भीलवाड़ा। हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्र महाराज की 528वीं जयंती हर्षोल्लास, उमंग एवं उत्साह के साथ मनाई गई। सर्वप्रथम आश्रम में गणेशोत्सव के अंतर्गत विराजित श्री गणेश जी का पूजन हुआ। उदासीन पंथ के प्रणेता उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्र महाराज की मूर्ति का महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी उदासीन के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोंच्चार से दुग्धाभिषेक किया गया। जिसमें संत मयाराम, संत राजाराम, ब्रह्मचारी संत कुणाल, मिहिर एवं अन्य अनुयायियों ने भाग लिया। ब्राह्मण मंडली द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण किया गया। उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्र महाराज की स्तुति, श्री मात्रा साहेब वाणी पाठ एवं सत्संग कीर्तन किया गया। तत्पश्चात संतों व ब्राह्मणों द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाआरती कर पूजन अर्चन किया गया । श्री श्रीचंद्र सिद्धांत सागर ग्रंथ पर सभी ने शीश नवाया। प्रार्थना पश्चात रोट प्रसाद का भोग लगाकर सभी को प्रसाद वितरण हुआ। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्र जी के कार्यों एवं प्रसंगों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। उदासीनाचार्य श्रीचंद्र जी महाराज को गुरु अविनाशी मुनि ने उदासीन संप्रदाय की दीक्षा देते हुए धर्म संस्कृति और राष्ट्र के उद्धार की प्रेरणा दी। उन्होंने श्री श्रीचंद्र जी महाराज की जीवनी पर प्रकाश डालकर उनके चमत्कार एवं देश, धरा, धर्म के प्रति किए गए उनके त्याग को याद किया। उदासीनाचार्य श्रीचंद्र जी महाराज ने धर्म की रक्षा एवं धर्मांतरण को रोकने हेतु अनेक कार्य किए। उनके जन्म से जटाए एवं दाहिने कान में मांस कुंडल होने से शिव स्वरूप थे। वे कई रिद्धि सिद्धियों के अवतार थे। देश-विदेश में अनेक उदासीन आश्रम अखाड़े एवं सिंधी साधु समाज के आश्रम है जो अनवरत समाज की से वा में लगे हुए हैं। ज्ञातव्य हैं कि उदासीनाचार्य श्रीचंद्र जी महाराज का प्राकट्य दिवस प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल नवमी को श्रीचंद्र नवमी के रूप में संपूर्ण विश्व में संतों महापुरुषों एवं अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है।
इस अवसर पर अजमेर के लक्ष्मण, पुष्पा दौलतानी, सचिव हेमंत वच्छानी, कन्हैयालाल मोरियानी, देवीदास गेहानी, गोपाल नानकानी, अम्बालाल नानकानी, पल्लवी वच्छानी, रोमा नौतानी सहित अनेक अनुयायियों ने सत्संग एवं दर्शन लाभ प्राप्त किया।