बच्चों की तेल मालिश क्यों जरुरी है, उन्हें धूल मिट्टी में क्यों खेलने देना चाहिए...




बच्चों की तेल मालिश क्यों जरुरी है, उन्हें धूल मिट्टी में क्यों खेलने देना चाहिए
जाप मरा अजपा मरा अनहद भी मर जाए, सुरत समाही शब्द में ताको काल न खाये
उज्जैन (म.प्र.)। साधना में दया कर दिव्य आवाज आकाशवाणी, वेदवाणी, अनहद वाणी, शब्द सुनाने वाले, काल के पंजे से जीवात्मा को छुटकारा दिलाने वाले, समय व्यर्थ न करने और परमार्थ कमाने की शिक्षा देने वाले, आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ भौतिक लाभ भी दिलाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जप मारा अजपा मर अनहद भी मर जाए। अनहद किसको कहते हैं? नीचे के लोकों की आवाजें अनहद कहलाती है। यानी जो हृदय में सुनाई पड़ता है, हृदय में जो आवाज उतरती है। अनहद सुनने के लिए शरीर, अंग ये जरूरी है, ये काल के नीचे के लोकों की आवाज होती है। यह वेदवाणी, ये अनहद क्या है? नीचे की आवाज है और जब ऊपर की आवाज पकड़ में आ जाती है तब अनहद सब मर, खत्म हो जाता है।
जप मरा अजपा मरा अनहद भी मर जाए, सुरत समाही शब्द में ताको काल न खाये
जब सुरत यानी जीवात्मा शब्द को पकड़ लेती है, शब्द में जब यह समा जाती है तब काल कर्म की चले न बाजी। कोई भी कैसा भी कर्म हो, उसकी कोई बाजी नहीं चलती है। वह मन को नहीं मोड़ सकता है। उधर से हटा नहीं सकता है, जब सुरत शब्द में समाने लगती है। काल का भी कोई दांव नहीं चलता है। काल यह समझ लेता है कि यह सुरत दूसरे की हो गई। अब यह वहां जाने लग गई। इस पर अब मेरी बाजी नहीं चलेगी। तो वह भी दांव मारना बंद कर देता है। काल भगवान जिनको कहा गया।
ज्ञान बांटते रहिए
महाराज ने 15 जुलाई 2021 प्रातः उज्जैन में बताया कि आप जितने भी आश्रमवासी हो या सेवा के लिए जो लोग आते हो, बराबर प्रेम से रहना और सेवा करते रहना। जो जिस विभाग में सेवा कर रहे हो, आपस में सेवा करते रहना। और जो विभागों को देखते हो, जिम्मेदार समझदार हो, जिनको अनुभव है, आप लोग, इन लोगों से प्रेम से (सेवा) कराते रहना। प्रेमियों जिम्मेदारी के साथ सेवा करना और सतसंग की बातों को ग्रहण करना, सुनना। और जो पुराने लोग समझा सकते हो, पुराने लोग आप इस दुनिया से अपना ज्ञान ले करके मत चले जाना, बांटकर जाना, जो अनुभव गुरु महाराज के साथ आपका रहा, सतसंग से जो आपने सीखा है, वह लोगों को बताते रहो, शेयर करते रहो तो बराबर समय का उपयोग करो।
सप्ताह में एक बार हर किसी को तेल की मालिश करनी चाहिए
महाराज ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन में बताया कि तेल मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं, रक्त का संचार शरीर में (तेज) हो जाता है। इसलिए हर किसी को मालिश हफ्ते में एक बार तो करना ही करना चाहिए। जो लोग रोज मालिश करते हैं उनकी हड्डियां नसें चमड़ी हर चीज मजबूत हो जाती है। पहलवान लोगों को देखो, रोज तेल की मालिश करते हैं। घी से ज्यादा ताकत तेल में है। घ्रतस्य शप्त गुणं तेलम, मर्दनेन नतु भक्षणे। तेल खाने से नुकसान होता है लेकिन मालिश करने से नुकसान नहीं होता है। घी खाने से सौ गुना ज्यादा ताकत शरीर में तेल मालिश से आती है। आजकल कि बच्चियां कपड़ा बदन गंदा होने की बात कह कर बच्चों की तेल मालिश नहीं करती हैं। वोही बच्चे कमजोर रह जाते हैं जिनके बदन की मालिश नहीं होती है, बदन में तेल नहीं लगता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं फिर डॉक्टर विटामिन आदि की कमी बता कर गोलियां खिलाता है फिर और रोग पैदा हो जाता है। एक चीज का फायदा होता है लेकिन दुसरा रोग ये अंग्रेजी दवा पैदा कर देती है। अंग्रेजी दवा का असर ये होता है कि ये मर्ज को दबाने में सीधे असर करती हैं। उससे और विकार पैदा हो जाते हैं।
बच्चों को जमीन धूल मिट्टी में क्यों खेलने देना चाहिए
बहुत सी बच्चियां बच्चों को जमीन में खेलने नहीं देती हैं, हमेशा (गोद में) टाँगे रहेंगी, हमेशा बिस्तर पर रखेंगी, हमेशा बचा कर चलेंगी, जूता-मोजा पहनाए रखेंगी, पैर जमीन पर पड़ने ही नहीं देती, तो धरती तत्व (बच्चे के शरीर को) नहीं मिल पाता है, तत्वों की कमी हो जाती है। शरीर को पाँचों तत्व मिलने चाहिए। हवा, पानी, आसमान के नीचे खुले में, जमीन पर भी चलना चाहिए। देखो पानी के जहाज पर जाने वाले 6 महीना (समंदर में) ड्यूटी (मर्चेंट नेवी) के बाद 6 महिने के लिए छुट्टी दे देते हैं कि जाओ जमीन पर घुमो नहीं तो पृथ्वी तत्व तुम्हारे अन्दर कम हो जायेगा, शरीर पीला पड़ने लगेगा, स्वास्थ्य खराब होने लग जायेगा। तो बच्चों को खेलने देना चाहिए, जमीन में लोटने देना चाहिए, धूल-मिट्टी लगने देना चाहिए, उससे शरीर में मजबूती आती है।