विपक्ष अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाता? देशहित में चर्चा क्यों नहीं करता? क्या भाजपा एनडीए पीएम मोदी राज में विपक्ष के लिए कोई मुद्दा नहीं है?

Why does the opposition not fulfill its responsibility?

विपक्ष अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाता? देशहित में चर्चा क्यों नहीं करता? क्या भाजपा एनडीए पीएम मोदी राज में विपक्ष के लिए कोई मुद्दा नहीं है?
विपक्ष अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाता? देशहित में चर्चा क्यों नहीं करता? क्या भाजपा एनडीए पीएम मोदी राज में विपक्ष के लिए कोई मुद्दा नहीं है?

NBL, 03/12/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Why does the opposition not fulfill its responsibility? Why does it not discuss in the national interest? Is there no issue for the opposition in the BJP NDA PM Modi rule? पढ़े विस्तार से.....

देश को नई दिशा विपक्ष में बैठे विपक्षी नेता देते हैं और उसका क्रियान्वयन सत्ता पक्ष करता है। अगर कोई ऐसा मुद्दा है जो क्रियान्वित नहीं हो सकता तो पारदर्शी व्यवस्था से दोनों पक्षों के बीच बहस होती है, सवाल-जवाब के समाधान से नया रास्ता बनता है। लेकिन आज विपक्ष के सवाल मुद्दाविहीन हैं, जिससे देश के लोकतंत्र को कोई लाभ नहीं होता। अब विपक्षी नेता संसद में उद्योगपति अडानी का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन उस अडानी के मुद्दे देश हित में नहीं हैं, न ही अडानी कोई राजनीतिक दल है और न ही देश के लोकतंत्र को उसके लाभ हानि से कोई लेना देना है। जैसे अडानी बैंक से लोन लेता है और लोन नहीं चुकाता है तो यह बैंक की जिम्मेदारी है कि एमआई अडानी से कैसे वसूलेगा।

अब विपक्ष बेबुनियाद मुद्दों पर बैठेगा और सदन की कार्यवाही बीच में रुकती व चलती रहेगी तो देश के अन्य मुद्दों पर चर्चा कब होगी और देश की मूलभूत जरूरतें कैसे पूरी होंगी इसका मतलब यह है कि विपक्ष के नेता देश के विकास की गति को रोकने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यानी उनका मुख्य मकसद देश की प्रगति को रोकना है जबकि देश के कई राज्यों में कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनकी उस राज्य के लोकतंत्र को जरूरत है और उसे संसद के पटल पर रखने से ही केंद्र सरकार को उसके बारे में पता चलेगा और उस मुद्दे को लागू करने से उस राज्य के लोकतंत्र को फायदा होगा यही बात विपक्षी नेता राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि देश की जरूरतें केंद्र सरकार के जरिए पूरी हों।

देश में कई अन्य राजनीतिक दल सत्ता में हैं और वे विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में हैं और देश में विपक्ष की भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी हैं और अगर उनके गठबंधन के सत्तारूढ़ दल अपने राज्यों के हित के लिए संसद में कुछ चर्चा करना चाहेंगे तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके नेता राहुल गांधी अपने मुद्दे बनाकर सरकार को घेर रहे हैं तो उनके सहयोगी दल अपने मुद्दे कैसे उठा पाएंगे और इससे उनके राज्य के लोकतंत्र को क्या लाभ होगा, इसका मतलब है कि विपक्षी नेता राहुल गांधी अपने सहयोगियों को डुबोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

और इससे सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी एनडीए को बोलने का मौका मिलेगा, जब आप विपक्ष संसद को चलने नहीं दे रहे हैं तो मैं आपके राज्यों का दुख-दर्द कैसे जान पाऊंगा और उसका समाधान कैसे कर पाऊंगा, जबकि कांग्रेस में शामिल गठबंधन दल देश के कई राज्यों में सत्ता में हैं। जब विपक्ष के राज्य में लोकतंत्र के हित में कोई काम नहीं होगा तो आने वाले चुनाव में इसका फायदा होगा या नुकसान, यही बात कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं को सोचने की जरूरत है। क्योंकि आज विपक्ष के नेता राहुल गांधी के पास अडानी का मुद्दा है तो आप अपने मुद्दे कैसे उठा पाएंगे। अगर मुख्य भेड़ नदी में गिरती है तो दूसरी भेड़ें भी नदी में गिरती हैं, यही हाल आज भारत में विपक्ष में बैठे गठबंधन दलों के नेताओं का है। वे न चाहते हुए भी जबरन मुद्दाविहीन बातों का समर्थन कर रहे हैं।

अपने भाषणों में पीएम नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं कि देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाना हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है, लेकिन ये बात कब सच होगी, जब देश के लोकतंत्र की जरूरतें पूरी होंगी, और वो जरूरतें केंद्र में बैठे बीजेपी-एनडीए के पीएम नरेंद्र मोदी और देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मिलकर पूरी करेंगे, तभी देश के लोकतंत्र की जरूरतें पूरी होंगी, लेकिन ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि केंद्र में सरकार बीजेपी-एनडीए की है और देश के कई राज्यों में बीजेपी विरोधी पार्टियां देश में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं, और देश के कई राज्यों में सत्ता में हैं. भले ही पीएम नरेंद्र मोदी देश को मजबूत बनाने की बात करते हों। लेकिन देश इतनी आसानी से मजबूत नहीं बन सकता। 

क्योंकि देश में विपक्षी पार्टियों की भी राजनीति चलती है और वो कभी ये नहीं देख पाते कि देश तरक्की कर रहा है, क्योंकि उनकी आंखों में राजनीतिक चश्मा लगा होता है और उन्हें भी सत्ता की भूख होती है. इसीलिए आज विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही देश हित में कई मुद्दों को लागू कर चुके हैं, इसीलिए आज विपक्ष में बैठे कांग्रेस नेता राहुल गांधी सिर्फ एक ही मुद्दा दोहरा रहे हैं - अडानी मुद्दा, जबकि देश में रोजगार, स्वास्थ्य, महंगाई, सुरक्षा और शिक्षा के भी मुद्दे हैं, लेकिन देश के लोकतंत्र के विकास के लिए विपक्ष की नीति और नीयत साफ नहीं है। विपक्ष में बैठे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए अडानी का साधारण मुद्दा ही ठीक है। संसद भवन बाधित है और देश का विकास भी बाधित है। जबकि विपक्ष देश के विकास का मूल आधार होता है।

भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी पाने में कई साल लग गए, उसी तरह भारत को विकास की गति पकड़ने में भी कई साल लगेंगे। सही मायनों में भारत में राजनीतिक गतिविधियां इतनी भ्रष्ट होती जा रही हैं और यह भ्रष्ट माहौल आजादी के समय से ही चल रहा है। देश आजाद हुआ, पाकिस्तान बना और उसे मुस्लिम देश बना दिया गया, जबकि भारत के मुसलमान पूरी तरह से पाकिस्तान नहीं गए। यह भी भ्रष्ट राजनीति का हिस्सा है और आज भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इसी राजनीति का फायदा उठाया जा रहा है। वक्फ बोर्ड कानून से लेकर धार्मिक स्थलों को लेकर होने वाले झगड़े तक, ये सब भ्रष्ट राजनीति का हिस्सा हैं और यह भ्रष्ट राजनीति देश के संसद भवन में चल रही है। हिंदू भाजपा के पक्ष में हैं और मुसलमान कांग्रेस के साथ हैं और यह दिख भी रहा है, जबकि सभी को इस देश भारत में रहना है।

जबकि देश के लोकतंत्र में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के मुद्दे हैं, लेकिन आज विपक्ष के पास सत्तारूढ़ केंद्र सरकार को घेरने के लिए सिर्फ एक मुद्दा है, अडानी का मुद्दा, जो राजनीति का हिस्सा ही नहीं है। भ्रष्ट राजनीति की यही पहचान है। जो देश के विकास को गति नहीं देना चाहते हैं। भारतीय राजनीतिक दलों के नेता सत्ता के लालच में अंधे हो गए हैं। उन्होंने अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति अपना ली है। यही कारण है कि इन विपक्षी दलों का राजनीतिक ग्राफ गिर रहा है और भाजपा के पक्ष में ग्राफ बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष की नब्ज को समझ लिया है और इसलिए खुद से तालमेल बिठा लिया है, जबकि विपक्ष बेसुध हो गया है और उसे समझ में नहीं आ रहा है कि सत्ता कैसे हासिल की जाए।

विपक्षी नेता पीएम नरेंद्र मोदी का राजनीतिक ग्राफ नीचे गिराने के लिए इतने आतुर हैं कि उन्हें देश के लोकतंत्र की कोई परवाह नहीं है, जबकि देश की राजनीतिक नींव देश के लोकतंत्र से ही मजबूत होती है। और पीएम नरेंद्र मोदी सरकार मजबूत होती जा रही है और विपक्ष के सभी गठबंधन दलों का राजनीतिक ग्राफ गिरता जा रहा है, क्योंकि विपक्ष के पास देश के लोकतंत्र के हित में कोई ठोस मुद्दा नहीं है और मुद्दा न होने के कारण विपक्ष के सभी गठबंधन नेताओं ने मिलकर संसद भवन में एक निराधार मुद्दा उठाया है और देश के अन्य सभी जनहित के मुद्दों को भूलकर अडानी मुद्दे पर बात करने लगे हैं, जबकि अडानी एक व्यापारी हैं और उनके कई अनसुलझे लेन-देन व्यापार हो सकते हैं, तो क्या विपक्ष ने उन्हें सुलझाने का ठेका ले रखा है। विपक्ष देश की जरूरत के अन्य मुद्दे कब उठाएगा जब पांच साल पूरे हो जाएंगे और फिर से चुनाव होंगे और अगर आज का विपक्ष फिर से विपक्ष में बैठेगा और वही अडानी अडानी करता रहेगा तो देश का लोकतंत्र और देश का विकास कब होगा, यह देश के सभी देशवासियों के लिए एक गंभीर विषय है। विपक्ष बार-बार संसद को ठप करके क्या साबित करना चाहता है? क्या वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल कर पाएंगे? या विपक्ष खुद ही उखड़ जाएगा? यह विपक्ष के सभी गठबंधन दलों के नेताओं के लिए सोचने का विषय है। कौन जाने आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा देश हितैषी नेता भाजपा खड़ा करके देश की सत्ता में ले आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधियों के मंसूबे धरे के धरे रह जाएं। इसलिए देश के विपक्ष को अपना राजनीतिक स्तर बनाए रखने के लिए देश के लोकतंत्र पर ध्यान देना चाहिए न कि अडानी पर।

आज कांग्रेस के सभी गठबंधन दल यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि हम कांग्रेस के साथ क्यों हैं, कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद देश के कई राजनीतिक दलों को ज्यादा फायदा नहीं हुआ बल्कि उन्हें नुकसान ही देखने को मिल रहा है, क्योंकि कांग्रेस के योद्धा राहुल गांधी एक वफादार कमान नहीं संभाल पा रहे हैं, उनकी राजनीतिक शैली भारत के लोकतंत्र पर उचित प्रभाव नहीं डाल पा रही है। वह खूब करतब दिखाते हैं और पूरे जोश के साथ दिखाते हैं, लेकिन उनके राजनीतिक लहजे की हरकत बिल्कुल बेअसर होती है