What Is Cloud Seeding: कृत्रिम बारिश क्या है जाने पूरी प्रक्रिया, क्या "भारत में बादल फटने यानी Cloud Burst के पीछे है चीनी साज़िश...
What Is Cloud Seeding: What is artificial rain, know the whole process, is there a Chinese conspiracy behind the cloud burst in India. What Is Cloud Seeding: कृत्रिम बारिश क्या है जाने पूरी प्रक्रिया, क्या "भारत में बादल फटने यानी Cloud Burst के पीछे है चीनी साज़िश...




Cloud Seeding Technology :
"भारत में बादल फटने यानी Cloud Burst के पीछे चीनी साज़िश है" "अमरनाथ हो या जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जहां बादल फटने से हादसे हुए हैं वह प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित आपदा है" साफ़-साफ़ कहें तो चीन निर्मित आपदा। केसीआर को लोग अब अनाप-शनाप बक रहे हैं. विज्ञान की किताब में तो हमने यही पढ़ा है कि "सूरज की गर्मी से पानी वाष्प बनकर आसमान में जाता है और वही वाष्प बादल बनकर धरती में बरसती है" बिलकुल सही पढ़ा है लेकिन क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) मतलब कृतिम बारिश नाम का भी एक विज्ञान होता है जिसे बहुतों ने नहीं पढ़ा है.
Cloud Seeding ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से रेगिस्तान में भी झमाझम बारिश हो सकती है और इसका इस्तेमाल कई देश दशकों से करते आए हैं. UAE में जल संकट से निपटने के लिए और साफ़ पानी की आपूर्ति के लिए कृतिम बारिश कराई जाती है. ठीक ऐसा ही चीन, अमेरिका, भारत, वियतनाम जैसे 60 देश करते हैं. और इन देशों के बाद Cloud Seeding Technology है." (Cloud Seeding Technology)
देश-दुनिया के बारे में बात करने से पहले हम Cloud Seeding Technology के बारे में जानेंगे,
- कृतिम बारिश (Artificial Rain) कैसे होती है
- क्लाउड सीडिंग क्या है (What Is Cloud Seeding)
- क्या क्लाउड सीडिंग से बादल फट सकते हैं (Can cloud seeding cause cloudburst).
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What Is Cloud Seeding/ What Is Artificial Rain: क्लाउड सीडिंग और आर्टिफिशियल रेनिंग दोनों एक ही चीज़ है. कृतिम रूप से बारिश कराने की टेक्नोलॉजी को Cloud Seeding कहा जाता है. शुष्क और गर्म इलाकों में जहां बारिश कम होती है या नहीं होती उन क्षेत्रों में पानी मानव निर्मित बारिश कराई जाती है.
क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) पोटेशियम आयोडाइड (Potassium Iodide) और ड्राई आइस (Dry Ice) जिसे सॉलिड कार्बन डाइऑक्ससाइड (Solid Carbon Dioxide) कहते हैं. इन सभी कैमिकल्स को मिलाकर एक कम्पोनेंट तैयार किया जाता है. आसमान में हेलीकाप्टर या हवाई जहाज की मदद से इस रसायन को आसमान में बादलों के इर्द-गिर्द बिखेर दिया जाता है. यह रसायन हवा और वाष्प के संपर्क में आने के बाद ना सिर्फ बादलों को अपनी तरफ घींचते हैं बल्कि तूफानी बादल का रूप ले लेते हैं. मतलब Cumulonimbus Cloud (क्यूम्यलोनिम्बस बादल) बन जाते हैं. और इससे बारिश होने लगती है. (Cloud Seeding Technology)
क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल सिर्फ बारिश कराने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि समय से पहले बारिश कराने, कोहरा हटाने और वॉटर कन्सर्वेशन के लिए भी इस टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है.
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Which country developed cloud seeding technology: क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी को अमेरिका में विकसित किया गया था, पहली बार क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल अमेरिका में सन 1946 में हुआ था. जब अमेरिकी वैज्ञानिक विंसेंट जे शेफर (Vincent J Schaefer) ने अपने विमान की मदद से आसमान में रसायन छोड़कर अपने खेतों में पानी बरसा दिया था.
चीन में साल 2008 में ओलम्पिक खेल हुए थे, इस दौरान मौसम विज्ञान विभाग ने खेल के बीच बारिश होने की चेतावनी जारी की थी. जिन शहरों में ओलम्पिक होने वाले थे वहां चीन ने क्लाउड सीडिंग की मदद से खेल शुरू होने के ठीक एक दिन पहले ही बारिश करवा दी थी, अगले दिन आसमान साफ़ हो गया और बिना किसी बाधा के ओलम्पिक गेम ऑर्गनाइज़ हो गया. (Cloud Seeding Technology)
UAE में अब ड्रोन की मदद से क्लाउड सीडिंग होती है, दुबई में जहां कभी बारिश ही नहीं होती वहां घने बादल झमाझम पानी बरसा देते हैं. UAE ने कई इलाकों में साफ़ बारिश का पानी इकठ्ठा किया है, जिससे देश में जलापूर्ति होती है.
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भारत में पहली बार क्लाउड सीडिंग प्रयोग कब हुआ था
First cloud seeding experiment in India: भारत में सन 1951 में टाटा फर्म ने पश्चिमी घाट में क्लाउड सीडिंग से बारिश कराई थी.
- 1952 में क्लाईमेटोलॉजिस्ट सीके बनर्जी (Climatologist CK Banerjee) ने गुब्बारे में हाइड्रोजन भरकर क्लाउड सीडिंग का एक्सपेरिमेंट किया था.
- 1957-1966 के दौरान रेन एंड क्लाउड फिजिक्स रिसर्च ऑफ़ इंडिया (Rain and Cloud Physics Research of India) मतलब RCPR ने उत्तर भारत में क्लाउड सीडिंग से कृतिम बारिश करवाई थी
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Cloud Seeding Technology कोई नई नहीं है, इसका इस्तेमाल तो 82 सालों से होता आया है और आगे भी होता रहेगा। भारत में भी क्लाउड सीडिंग की शरुआत आज़ादी के 4 साल बाद से ही होने लगा था.
- 2003-04 में कर्नाटक सरकार ने भी शुष्क इलाकों में कृतिम बारिश करवाई थी
- 2004 में महाराष्ट्र सरकार ने भी American Weather Modification कंपनी से बारिश करवाई थी
- भारत सरकार ने साल 2018 से लेकर 19 में क्लॉउड सीडिंग टेक्नोलॉजी को डेवलप करने के लिए 145 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट भी किया था. (Cloud Seeding Technology)
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Can cloud seeding cause cloudburst: अमेरिका ने सन 1967-72 के बीच वियतमान से युद्द के दौरान क्लॉउड सीडिंग से युद्द जीत लिया था. ऑपरेशन पोपाय (Operation Popeye) के दौरान अमेरिका ने क्लाउड सीडिंग कराकर वियतमान में मूसलाधार बारिश करवा दी थी. वियतनाम के हो चि मिन्ह शहर पर क्लाउड सीडिंग के जरिए बादल फटने की घटना अमेरिका के कारण हुई थी. जिससे लैंड स्लाइड हुए और सेना को काफी नुकसान हुआ था.
What is cloudburst / How do clouds burst: बादल कोई रुई का तकिया नहीं है तो चर्र से फट जाए, बादल फटने का मतलब होता है एक साथ ढेर सारे पानी का एकाएक बरस जाना। जब किसी इलाके में 100MM या उससे अधिक की बारिश कुछ ही मिनटों में हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. मतलब जब एक स्क्वायर मीटर में 100 लीटर पानी बरसे तो उसे बादल फटना कहते हैं. कहने का मतलब है जब असामान्य बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. (Cloud Seeding Technology)
क्लाउड सीडिंग से राजस्थान या सहारा रेगिस्तान को हरा भरा क्यों नहीं कर देते
Why not make Sahara desert green by cloud seeding: ऐसा किया तो जा सकता है, बिलकुल सम्भव है लेकिन सहारा रेगिस्तान इतना बड़ा है कि उसमे कई भारत जैसे देश समा जाएं, ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से ऐसा कर देना बहुत अच्छा होगा, लेकिन दिक्कत ये है कई क्लाउड सीडिंग करना बहुत खर्चीला काम है. एक फ़ीट बारिश कराने के लिए 1600 रुपए का खर्चा आता है. इसी लिए भारत सरकार राजस्थान में या कोई दूसरा देश किसी रेगिस्तान में बेवजह क्लाउड सीडिंग करके पैसे बर्बाद नहीं करता। लेकिन बड़े अमीर देश अपने रेगिस्तानों में ऐसा करते हैं. जैसे UAE.
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Is China Behind Cloud Burst in India: तेलंगाना के सीएम KCR ने कहा है कि भारत में बादल फटने और बाढ़ आने के पीछे चीन की साजिश है. KCR की बातों का मजाक उड़ाने से पहले इन आंकड़ों को देख लीजिये
- 1970 से लेकर 2016 तक भारत के उत्तरी क्षेत्र में 30 से ज़्यादा बार बादल फटने की घटनाएं हुई हैं. यह सभी चीन बॉर्डर के नजदीक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, असम और अरुणांचल प्रदेश में हुई हैं
- 2013 में केदारनाथ में बादल फटने से तबाही मच गई थी, हज़ारों लोग मर गए थे, यही हाल असम राज्य में हर साल होता है
- 8 जुलाई 2022 के दिन अमरनाथ में बदल फटा था, जिसमे 16 लोगों की मौत हो गई और बाढ़ में बह गए 40 लोगों का आजतक पता नहीं चला है. (Cloud Seeding Technology)
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KCR On Cloud Burst China: इस सभी बादल फटने से प्राभवित इलाकों में चीन की गंदी नज़र है, चीन इन क्षेत्रों में कब्जा चाहता है. और चीन को Cloud Seeding में महारत हासिल है. ऐसे में KCR (K Chandrashekar Rao) के दावे को पूरी तरह गलत नहीं करार दिया जा सकता। बल्कि इसकी उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए। (Cloud Seeding Technology)