आज देश के सभी राजनीतिक दल मुफ़्त, सस्ता और अधिक लाभ देने की बैसाखी के सहारे अपने राजनीतिक स्तर को शीर्ष पर ले जाकर देश के लोकतंत्र को पंगु बना रहे हैं।
Today all the political parties of




NBL, 03/10/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: Today all the political parties of the country are paralyzing the democracy of the country by taking their political level to the top with the help of the crutch of giving free, cheap and more benefits.पढ़े विस्तार से....
भारत देश में विकास हुआ है और वह विकास देश के सभी राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त, सस्ता और अधिक लाभ देने का लोकलुभावन चुनावी वादा है। जो पार्टी अधिक लाभ देने की चुनावी घोषणा करती है, उसी पार्टी को देश के लोकतंत्र से अधिक लाभ मिलता है और वह पार्टी केंद्र/राज्य में सत्ता हासिल करने में सफल हो जाती है, जबकि देश का लोकतंत्र देश में बेरोजगारी दूर करने से लेकर देश में महंगाई दर कम करने तक के लिए वर्षों तक इन राजनीतिक दलों के नेताओं के उन्हीं भाषणों को देश के लोकतन्त्र सुनता रहता है। वहीं देश के लोकतंत्र को इन राजनीतिक नेताओं से देश की बेटियों की सुरक्षा की बात सुनने को मिलती है. और चुनाव नजदीक आते ही ये सारे मुद्दे गायब हो जाते हैं।
ये मुद्दा भी शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव की तरह है, ये सालों साल चढ़ते रहते हैं और चुनाव नजदीक आते ही नीचे चले जाते हैं और देश के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा भी भुल जाते है अपना अधिकार और देश की लोकतंत्र भी देश की बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई दर और अपनी सुरक्षा को भूलकर राजनीतिक दलों के नये चुनावी फॉर्मूले में उलझ जाता है और जैसे ही चुनाव परिणाम जिस भी राजनीतिक दल के पक्ष में जाता है. और वो पार्टियां केंद्र/ राज्य की सत्ता पर काबिज हो जाती हैं फिर वही बेरोजगारी और महंगाई व बेटियों की सुरक्षा का मुद्दा सामने आ जाता है और ये मुद्दे देश के लोकतंत्र को परेशान करते रहते हैं।
जबकि देश के लोकतंत्र को अपने विकास के बारे में बात करनी चाहिए, उसे अपने घरों में पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार देने के बारे में सोचना चाहिए और हमारी जेबों को खाली करने वाली महंगाई दर को कम करने के बारे में बात करनी चाहिए और हमें अपनी बेटियों के कल्याण के बारे में बात करनी चाहिए देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने और सुरक्षा प्रदान करने के बारे में बात करनी चाहिए और हमें अपने देश की सुरक्षा के बारे में बात करनी चाहिए।' देश के कई राज्यों में कई इलाकों में हिंसा हो रही है. आतंकवादियों और नक्सलियों के कारण कई निर्दोष लोगों ने अपनी जान और संपत्ति खो दी है।
देश में हो रहे धार्मिक संघर्ष को रोकने और सुरक्षा पर बात होनी चाहिए. एकीकरण और भाईचारा कायम करने की बात होनी चाहिए. हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए जिनकी हमारे गांवों और शहरों में जरूरत है।' एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों से लड़ने से रोकने की बात होनी चाहिए, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और भारत के इस विशाल देश में 140 करोड़ लोग रहते हैं। उन सभी देशवासियों के विकास की बात होनी चाहिए जो भड़काऊ भाषण देते हैं. ऐसे राजनीतिक दलों और नेताओं को रोकने और टोकने की बात होनी चाहिए ताकि देश में शांति कायम रह सके और ऐसा करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को सजा मिलनी चाहिए. देश की अदालत में सजा दिलाने की बात होनी चाहिए या फिर इन्हें रोकने के लिए कानून बनाने की बात होनी चाहिए।
जबकि आज भारत के सभी राजनीतिक दलों के द्वारा देश के लोकतन्त्र को कमजोर व अपाहिज बना रहे हैं फ्री में बिजली, फ्री में पानी, फ्री में राशन देकर यह सब करने से देश के बहुत से लोग आर्थिक स्थिति से कमजोर हो रहे हैं इन राजनीतिक दलों के द्वारा फ्री सेवाएं प्रदान करने से आज देश के बहुत से लोग कड़ी मेहनत करने से जी चुराता है आज देश के बहुत से किसानों को उनके खेती के लिए मजदूर नही मिल पाते और देश की बहुत से कंपनियां बंद होने की कगार पर है, मै तो कहता हूँ इन मजदूरों को काम दो इन मजदूरों के लिए राशन सस्ता कर दो लेकिन फ्री में मत दो और इन फ्री देने के कारण आज देश में महंगाई दर बढ़ गया है जो टैक्स पेयर है उनको भार वहन करना पड़ रहा है जिसके भार न सहन कर पाने के कारण बहुत से फर्म बंद हो रहे है, तो क्या मतलब निकला फ्री में देने की जबकि फ्री में खाने वाले लोगों को भी महंगाई का भार वहन करना पड़ रहा है तो फ्री में सुविधाएं लेने की क्या मतलब जब आपको भी अपने जेब से देना पड़ रहा है तो।
अब आपको चावल, गेहूँ, बाजरा, मुफ्त में सरकार दे दिया तो इन्ही राशन से आप अपना परिवार नही चला पाओगे और अन्य घरेलू सामग्री आपको खरीदना ही पड़ता है जो आप खुले बाजारो से खरीदते हैं और वही दामो में आपको खरीदना पड़ता है जो अन्य मुफ्त में नही खाने वाले लोग महंगे दामों मे खरीदते हैं वैसा ही आपको भी खरीदना पड़ता है तो क्या मतलब निकला आपके फ्री में सरकार से राशन लेने की और यही फ्री राशन की भरपाई के लिए सरकार अन्य घरेलू उत्पाद पर अतिरिक्त टैक्स लगा दिया है जिसको आप फ्री में खाने वाले व लेने वालों को भी चुकाना पड़ता है। तो जरा सोचो मेरे देश के लोकतन्त्र क्या आप इन मुफ्त की वस्तुये लेकर सुखी है या दुखी है।
मेरा देश के किसान भाइयों से भी अनुरोध है कि वे राजनीतिक दलों के लुभावने वादों में न फंसें; कोई तुम पर कोई उपकार नहीं कर रहा; आप उनके जाल में फंस जाते हैं, जबकि आपकी अथाह मेहनत से उगाई गई फसल के साथ खिलवाड़ किया जा रहा होता है। ये राजनीतिक दल चुनावी वादे करके वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं कि हम आपकी फसल को अधिक कीमत पर खरीदेंगे या पहले खरीदी गई मात्रा से अधिक मात्रा में खरीदेंगे, जो आप किसानों को उचित लगेगा। यह उनका वादा है, जबकि यह उचित नहीं है, अनुचित है, देश में राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा आप लोगों के साथ अन्याय किया जा रहा है और वे किस प्रकार का अन्याय कर रहे हैं, हम आपको बताने जा रहे हैं कि न्याय कैसे होना चाहिए मेरे देश के किसानों के साथ।
कल इन्ही राजनीतिक दलों को आप देश के किसान भाईयों बोलकर देखो और शर्त रख दो इनके सामने ठीक आप राजनीतिक दलों को हम अपना वोट देंगे जब आप हमारे हित के लिए एक योजना बनाये की हम किसानों की अनाज को एक्सपोर्ट, करने का व्यवस्था कर हमारे अनाज को दुबई, सहूदिअरब, मिश्र, और जहाँ फसल नही उगाई जाती उन देशों को अनाज पूर्ति हम भारत के किसानों की आधी अनाजों को हम अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेचेंगे इसका व्यवस्था क्या आप राजनीतिक दलों के द्वारा किया जा सकता हैं तो कल इनके सारी बुद्धि फेल हो जायेंगे, जबकि इन्ही व्यवस्था से आप भारतीय किसानों की आर्थिक विकास होगी और इसके लिए हर सरकारी समितियों में व्यवस्था होनी चाहिए जो बाहर के देश में हम किसान अपना अनाज बेच सके बाकी का अनाज राज्य सरकार व केंद्र सरकार को हम देंगे और कुछ अनाज हम अपने आप के लिए रखेंगे परिवार के लिए। फिर देखो भारतीय राजनीति में खलबली मच जायेगा।
इन किसानों द्वारा उगाई गई फसल को राज्य सरकार केंद्र सरकार को देती है और केंद्र सरकार इन अनाजों को दूसरे देशों में चौगुनी और सात गुना कीमत पर बेचती है और वही सरकार हम किसानों से सस्ते दामों पर और चुनाव के नाम पर खरीदती है वादाखिलाफी कर हम भारतीय किसान इन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं द्वारा ठगे जाते हैं और हम भारतीय किसान इनके फॉर्मूले में फंसकर इन्हें वोट देते हैं और क्योंकि हम किसानों को इस बात का जरा सा भी ज्ञान नहीं है कि हमें अपनी आर्थिक स्थिति का ख्याल कैसे रखना चाहिए आइए हम सुधरें और कैसे हम भी आधुनिकता के साथ जीवन जी सकें और हमारे बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर, मास्टर, वैज्ञानिक और राजनेता बनकर देश की सेवा करें जैसे हम किसानों ने दुनिया के जीविकोपार्जन के लिए अपनी खेती में कड़ी मेहनत कर अनाज पैदा करते हैं और हम देश के किसान आज भी गरीब हैं, हमें भी अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में सोचना चाहिए।