हाईकोर्ट का अनोखा फैसला: 'एक महीने ससुराल में घर-जमाई बनकर रहो, खीर-पूड़ी का लुत्फ उठाओ'.... फिर करेंगे सुनवाई.... हाईकोर्ट का पति को अनूठा आदेश......
To save the broken family stay in the in-laws house A decision of the High Court remains in the headlines




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ग्वालियर। हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के विवाद में एक अनूठा आदेश दिया है। बच्चे को अपने पास रख पत्नी को घर से निकालने वाले पति को हाई कोर्ट ने एक महीने तक घर जमाई बनकर ससुराल में रहने का आदेश दिया है। साथ ही ससुराल वालों से कहा- अपने दामाद का बेहतर ख्याल रखना। बेटी का घर बच जाएगा। ग्वालियर उच्च न्यायालय का एक फैसला सुर्ख़ियों में बना हुआ है। एक परिवार को टूटने से बचाने के लिए अदालत ने पहल की है। अदालत की एकल पीठ के आदेश पर अब पति को एक महीने तक ससुराल में रहना होगा। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ससुराल पहुंचिए एवं खीर-पूड़ी खाएं।
सास ससुर ने कोर्ट में कहा था कि वह अपने दामाद को साथ रखना चाहते हैं और उसकी अच्छे से सेवा करेंगे, जिससे दोनों के बीच अच्छे संबंध हो सकें। कोर्ट ने सास-ससुर के फैसले का स्वागत किया। कोर्ट ने बहस में टिप्पणी करते हुए कहा कि ससुराल पहुंचिये और खीर पूड़ी खाएं। ग्वालियर के सेवा नगर निवासी एक महिला ने अपने दो साल के बेटे को वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। उसने बताया कि पति की प्रताड़ना से तंग आकर ससुराल छोड़ना पड़ा था।
उसका दो साल का बच्चा पति, सास ससुर व देवर के कब्जे में है। तर्क दिया कि बच्चे का लालन-पालन मां के हाथ में अच्छा है। कोर्ट ने पति को बच्चे के साथ बुलवाया। साथ ही याचिकाकर्ता के माता-पिता भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। प्रतिवादी की ओर से पैरवी अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने की। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने अपने बच्चे को गोद में लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो बच्चे से पास आने से इनकार कर दिया। पति ने पत्नी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि एक साल पहले लड़-झगड़कर ससुराल से भाग आई थी।
बच्चों को भी छोड़ आई थी। पति का कहना था कि मैं बेहतर तरीके से बच्चे की एक साल से देखभाल कर रहा हूं। पत्नी को साथ ले जाने के लिए भी तैयार हूं और उसकी अच्छे से देखभाल करूंगा। लेकिन पत्नी ने साथ जाने से मना कर दिया कि वह ससुराल जाती है तो उसके साथ मारपीट हो सकती है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के माता-पिता मौजूद थे, उन्होंने अपने दामाद को अपने घर ले जाने की अनुमति मांगी। इस कदम का कोर्ट ने स्वागत कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक महीने तक पति बच्चे के साथ ससुराल में रहे। परिवार को फिर से जोड़ने की कोशिश करे। ससुराल वालों को भी कहा कि जमाई से ठीक से पेश आएं।