पूरी दुनिया में कई तरह के धर्म, संप्रदाय हैं, लेकिन हर कोई अपने धर्म और अपने भगवान को महान मानता है, लेकिन यह अंतर भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने बनाया है। यह अंतर हम इंसानों को जोड़ता नहीं तोड़ता है।

There are many types of religions,

पूरी दुनिया में कई तरह के धर्म, संप्रदाय हैं, लेकिन हर कोई अपने धर्म और अपने भगवान को महान मानता है, लेकिन यह अंतर भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने बनाया है। यह अंतर हम इंसानों को जोड़ता नहीं तोड़ता है।
पूरी दुनिया में कई तरह के धर्म, संप्रदाय हैं, लेकिन हर कोई अपने धर्म और अपने भगवान को महान मानता है, लेकिन यह अंतर भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने बनाया है। यह अंतर हम इंसानों को जोड़ता नहीं तोड़ता है।

NBL, 08/10/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: There are many types of religions, sects all over the world, but everyone considers their religion and their God to be great, but this difference is not made by God but by us humans.  This difference does not break us humans.

पूरी दुनिया में कई तरह के धर्म, संप्रदाय हैं, लेकिन हर कोई अपने धर्म और अपने भगवान को महान मानता है, लेकिन यह अंतर भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने बनाया है। यह अंतर हम इंसानों को जोड़ता नहीं तोड़ता है, पढ़े आगे विस्तार से.... 

सदियों से हम इंसान ईश्वर के स्वरूप को अलग अलग नाम देकर उनके स्वरूप का पूजा कर रहे हैं, और कई प्रकार के ऐसे धर्म, पंथ, संप्रदायों का निर्माण किया की सच मे हम इंसानो को आज तक पता नहीं चल पाया है, की ईश्वर है कौन और ईश्वर दिखता कैसा है, और हम इंसानो को ईश्वर कौन सा दिशा दिखाई है, की हम सुख शांति से अपना सुखमय जीवन को जी सके, यहाँ तो हम इंसान भटक गए है, कौन बड़ा कौन सा ईश्वर छोटा है, इनके पीछे पूरी दुनिया के लोग उलझा हुआ है, और ढुंढ रहे है अपने आप से हम सुखी जीवन कैसे जिये कौन सा ईश्वर हमें सुख चैन दे सकता है और इस पर कहे की एक ईश्वर है जो पूरी दुनिया के लोगों के लिए भगवान है, अब यही सर्व धर्मो के भगवान है, लेकिन कहे तो कहे किस भगवान को खुद ईश्वर ही उलझ गए हैं, हम इंसानो के चरित्र को देखकर किस इंसान को मै अपना कहूँ और किस इंसानो को पराया कहु। 

अगर आप  हिंदू धर्म से है तो हिंदू धर्म में आने वाले जितने भी देवी देवता है, वह सब हिंदू धर्म के लोगों के लिए पूज्यनीय है, और कोई राम को कोई श्याम को तो कोई शिव को तो कोई देवी शक्ति को बड़ा मान रहे इनके भक्त  इसमें से कोई भी देवी देवताओं का अपमान कर दिया  जिनको ये भक्त मानते है तो हिंदू,धर्म के ही अंदर अन्य देवी देवताओं का अपमान करने से विवाद खड़ी हो जाती है, राम बड़ा है, तो कोई श्याम बड़ा है तो कोई बोल रहा है शिव बड़ा है तो कोई बोल रहे हैं देवी शक्ति बड़ा है, तो आप देखलीजिए ईश्वर का स्वरूप में कितना अंतर है, जो ईश्वर का शक्ति और भक्ति में भी बड़ा व छोटे का भेदभाव ये भक्त देखते हैं , तो ईश्वर को आप मनुष्य कहाँ जान पाए जबकि ईश्वर वही एक ही शक्ति है, लेकिन आप इंसान इस ईश्वर का भी बटवारे कर दिया तो कहा से आपको फायदा मिलेगा, आप जो भी कर रहे हैं, वह सब आडम्बर है बेफिजूल का खर्च कर रहे हैं, यह एक धन का बर्बादी है और कुछ भी नहीं। 

जो मुसलमान है जिसका धर्म संप्रदाय मुस्लिम है, इनमें भी बड़ा खिचतान है, ये लोग अपने अल्लाह उस खुदा के सिवाय किसी अन्य धर्मो के देवी देवताओं को कमजोर मानते हैं अपने खुदा के सामने, अन्य धर्म के मानने वाले लोगों को ये अपना नहीं मानते कई प्रकार के मतभेद रखते है, ये मुस्लिम समाज के लोगों के द्वारा लेकिन यह समाज के लोग भी अंजान है उस खुदा के असली शक्ति से इन्हें भी अपने इनके रूढ़िवाद सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत व्यवहृत एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण तार्किकता या वैज्ञानिकता के स्थान पर केवल आस्था तथा प्रागनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मान्यताओं का समुच्चय है जो चिरकाल से प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। यह विचारधारा नए और बिना आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को अपनाने के बजाय पुराने और आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को क़ायम रखने का समर्थन करती है। इसलिए मुस्लिम समुदायों के लोगों के अंदर कट्टरता व रूढ़िवादिता को बल देते हैं, जबकि सर्व धर्म मानव समाज को जोड़ना व इनके सुख दुख में सहभागी बनना ही उस अल्लाह खुदा का असली ध्येय था। लेकिन मुस्लिम समाज लोग भी उस खुदा का असली स्वरूप को नहीं जान पाया ये लोग भी भटके हुए हैं। जबकि ईश्वर खुदा सब एक ही स्वरूप है। 

अब ईसाई धर्म के कृश्चन लोगों को देखा जाय तो इसमें भी कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिलता, ये भी अपने धर्म के आड़ में केवल और केवल रूढ़िवाद को ही परोसता है अन्य धर्मो के लोगों को जोड़कर उनके दुख दर्द को हटाने का दावाकर ऐसे बेबुनियाद शब्दों का प्रयोग कर लोगों के मन में भ्रम पैदा कर उन्हें अपने धर्म में आने के लिए उकसाते है, केवल यह धर्म संख्या बल पर फोकस करने के लिए ज्यादा आतुर रहते हैं, अब इसी जगह से आप जान लीजिए की इनके उद्देश्य ईश्वरीय शक्ति उस प्रभु के सही उद्देश्य को ना बताकर उन लोगों के निजी स्वार्थ को पूर्ति करने की बात करती हैं। और उनको मानसिक रूप से कमजोर बनाती है, इनके नीति है फुट डालो और राज करो, जबकि जीजस अपने आप को आहुति देकर पुनः बता दिया सत्य कभी नहीं मरता और पुनः जीवित होकर खुद को प्रमाणित कर दिया उस ईश्वर मे आप सब समाते है, और ईश्वर के सत्य मार्ग में चलने वाले लोग कभी नहीं मरते और मरते तो वह लोग है, जो ईश्वर के झूठे अनुयायी बन कर लोगों को गलत शिक्षा व गलत दिशा देते है, जो उनको भटकाते है डराते हैं ईश्वर का डर दिखा कर जबकि ईश्वर तो पालने पोसने वाले पिता व माता है जो हमें अच्छे जीवन जीने का मार्ग दिखाते है, सर्व हितकारी है, उसका कोई एक अपना धर्म नहीं होता उस प्रभु का तो एक ही धर्म है मानव सेवा धर्म। 

ऐसे कई धर्म है दुनिया में जो हम मनुष्य किसी ना किसी एक धर्म से बंधे हुए हैं, जिस धर्म को हम महान मानकर उनके रीति रिवाजों के अनुसार चल रहे है, लेकिन उस ईश्वर का दर्शन का लाभ के लिए उस धर्म का होना कोई जरूरी नहीं जैसे " रसखान " मुस्लिम धर्म से था लेकिन हिंदू धर्म के भगवान श्री कृष्ण का दर्शन पाया उनके आशीष पाया आप यही से जान ले की ईश्वर का स्वरूप एक धर्म के लिए नहीं है वह तो जगत स्वरूप है वह सबका पालन हार है, और सबके स्वामी सखा सब कुछ है, वह तो उबारती है उन भव बंधन से वह आपके लिए स्वर्ग का द्वार खोल देता है वह आपको सब कुछ देता हैं जो आपके जीवन जीने के लिए चाहिए उनको कोई आडम्बर पसन्द नहीं है, आप उनके लिए दो श्रधा पूर्वक अश्रु ही बहा दो अपने नैनो से, उसी से जान लेता है मेरे संतान को क्या चाहिए और उनको वह पूर्ति कर देता है। 

आज जितने भी आरोप है उस ईश्वर के ऊपर वह सब हम इंसानो के द्वारा लगाए रचित आरोप है, धर्म का नाम देकर उस ईश्वर के शक्ति भक्ति और प्रार्थना से वंचित है, और जो वर्तमान मे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारे दिख रहे है वह सब हम इंसानो के बनाए गए एक ईट गारे की वासियत है, जो ईश्वर का घर स्थान नहीं है, वह तो सर्व व्यापी अखंड ब्रम्हांड चराचर का स्वामी है, अग्नि, जल, वायु, धरती, आकाश उनके सत्ता का मालिक है, और हम इंसान इन्ही मे से जन्मे है, जो हमसे एक तत्व भी अलग हुआ मतलब हमारे मृत्यु निश्चित जान लो तो क्यों घमंड करते है आप धर्म के आड़ लेकर लड़ झगड़ क्यों रहे हो जबकि सभी धर्मो के रक्षण पोषण वही पाँच तत्व कर रही है, तो आपके धर्म का कोई अलग नियम कहा है, जरा मनन करें, ये ज्ञान नहीं  है जबकि यही हकीकत है। सब अपने धर्म के जगह से हटकर एक धर्म अपनाओ मानव सेवा धर्म और राष्ट्र धर्म। सत्य अहिंसा परमो धर्मः।