गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने अपने एक अहम आदेश में कहा, पहली पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं.

The Gauhati High Court said in an important order,

गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने अपने एक अहम आदेश में कहा, पहली पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं.
गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने अपने एक अहम आदेश में कहा, पहली पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं.

NBL, 06/06/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. The Gauhati High Court said in an important order, being the first wife, the second wife is not entitled to family pension.

गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि हिंदू धर्म में एक ही समय में दो व्यक्तियों से शादी करने की कोई अवधारणा नहीं है, पढ़े विस्तार से... 

इसलिए पहली पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है. न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी (Justice Sanjay Kumar Medhi) की खंडपीठ के अनुसार, इस मामले में सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि याचिकाकर्ता प्रतिमा डेका ने बीरेन डेका की दूसरी पत्नी होने का दावा करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था और पेंशन की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके पति सिंचाई विभाग में कार्यरत थे और उनका अगस्त 2016 में निधन हो गया था. इसलिए वह मृतक की पेंशन की हकदार है.

याचिकाकर्ता की तरफ से यह भी कहा गया कि उसके तीन बच्चे हैं. याचिकाकर्ता की बातें सुनने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म के अनुसार और हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक ही समय में दो व्यक्तियों से शादी करने की कोई अवधारणा नहीं है और यह स्थिति तलाक के लिए एक आधार है, जिसे आईपीसी के तहत एक अपराध माना गया है. इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी और टिप्पणी की कि पहली पत्नी के जीवित होने पर दूसरी पत्नी पेंशन की बिल्कुल हकदार नहीं है.

दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्चों को दी जा सकती है राहत

कोर्ट ने आगे कहा कि दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्चे बड़े हैं, इसलिए बच्चों को नाबालिग होने की स्थिति में कुछ राहत दी जा सकती है. कोर्ट ने बताया कि उसके पास याचिका को खारिज करने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. कोर्ट के मुताबिक, हिन्दू विवाह में बिना तलाक लिए दूसरे विवाह के बाद दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

नागरिकता से संबंधित मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

इससे पहले गुवाहाटी हाईकोर्ट ने नागरिकता से संबंधित मामले में बड़ा फैसला लिया. कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने यह साबित कर दिया है कि वो विदेशी ट्रिब्यूनल में एक भारतीय नागरिक है, उसके बाद कोई भी उससे उसकी नागरिकता के बारे में सवाल नहीं कर सकता है. हाईकोर्ट ने इस मामले में 11 याचिकाओं का निपटारा किया. इसमें इस तरह के मुद्दे थे कि क्या ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने एक बार विदेशी ट्रिब्यूनल में अपनी पहचान साबित कर दी थी, उन्हें फिर से नोटिस मिलना चाहिए. गुवाहाटी हाईकोर्ट की एक विशेष पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता (1908) की धारा 11 के तहत न्यायिक न्याय के सिद्धांत को एक सार्वजनिक नीति के रूप में स्वीकार किया जाता है और इसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी मान्यता दी गई है।