देश के 15 राज्यों में एक साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के अड्डों पर मारे गए छापों ने इस प्रतिबंधित संगठन की कमर तोड़ दी है, चेहरा बदलकर 'देशद्रोह' करते रहने की जिद ने PFI को कैसे फंसा डाला?
Simultaneous raids on Popular Front of India




NBL, 24/09/2022, Simultaneous raids on Popular Front of India (PFI) bases in 15 states of the country have broken the back of this banned organization, how did the insistence of changing face to 'sedition' trapped PFI?
गुरुवार को देश के 15 राज्यों में एक साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के अड्डों पर मारे गए छापों ने इस प्रतिबंधित संगठन की कमर तोड़ दी है, पढ़े विस्तार से...
कल तक सीना तानकर देशद्रोह करने पर उतारू संगठन के आका अब नहीं समझ पा रहे हैं कि वे खुद को और अपनों को अब कैसे बचाएं?
क्योंकि यह छापे राज्य की पुलिस के नहीं है, जहां इस बदनाम संगठन के गुर्गे हमेशा अपनी पकड़ मजबूत रखते आए थे. यह छापे हिंदुस्तानी हुकूमत द्वारा तैयार ब्लू-प्रिंट के आधार पर एनआईए और ईडी ने अभेद्य प्लानिंग बनाकर मारे हैं, जिसके जाल में से निकल पाना इस प्रतिबंधित संगठन और उसके आकाओं के बूते की बात नहीं लगती है. छापों के बाद से अब तक दो दिन में गिरफ्तार हुए इस संगठन के गुर्गों ने जुबान खोलनी शुरू कर दी है।
पता चला है कि पीएफआई जिसे जमाना नया देशद्रोही संगठन समझ रहा था, वो नया संगठन नहीं है. इसकी नींव काफी पहले रखी गई थी. पहले इसी संगठन की तर्ज पर देश को तबाह करने के लिए सिमी और इंडियन मुजाहिदीन बनाए गए थे. हिंदुस्तानी एजेंसियों ने जब उन्हें तबाह कर डाला, तो उन्हीं संगठनों में जैसे तैसे हिंदुस्तानी एजेंसियों के जाल में फंसने से बच गए. देशद्रोहियों ने अब चेहरा और नाम बदलकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई सा खतरनाक संगठन खड़ा कर दिया. यह सोचकर कि चेहरा बदलने से इनकी टेढ़ी चाल शायद हिंदुस्तानी एजेंसियों की पकड़ में न आ पाए. गुरुवार को दिन भर देश के करीब 15 राज्यों में ताबड़तोड़ हुई ईडी और एनआईए की छापामारी ने मगर इस संगठन की हर गलतफहमी दूर कर दी।
बदनाम संगठन है PFI...
इस बारे में शुक्रवार रात टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक और 1974 बैच के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विक्रम सिंह ने कहा, “सही मायने में देखा जाए तो यह बदनाम संगठन इसी तरह के एक्शन से काबू आना था. आगे देखते जाइए जो अब तक देश की शांति-सुरक्षा में सेंध लगाने का नक्शा बना-मिटा रहे थे, वे पीएफआई वाले अब अपनी जान कानून के शिकंजे में फंसने से बचाने के लिए इधर-उधर बिल तलाश रहे होंगे. इस संगठन को इस बात का गुरुर हो चला था कि राज्य की अलग-अलग पुलिस इन पर कभी हाथ डालने की औकात नहीं कर सकेगी और केंद्रीय जांच एजेंसियों को इनके ऊपर हाथ डालने से पहले बहुत तैयारी करनी होगी. दरअसल, संक्षिप्त में अगर कहूं तो, हमारी एजेंसियों में सामंजस्य-एक-रूपता जैसी कमी को यह बदनाम प्रतिबंधित संगठन काफी पहले से जाने-समझे बैठा था. इसीलिए यह देश विरोधी गतविधियों को अंजाम देता-दिलवाता रहता था. अब पीएफआई के लिए यह सब एक ख्वाब भर साबित होगा।
PFI का काम देश की सुरक्षा में सेंध लगाना...
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी लक्ष्मी नारायण राव (डीसीपी एल एन राव) कहते हैं, “ईडी और एनआईए ने जिस तरीके से चारों ओर से घेरकर पीएफआई पर गुरुवार को जाल डाला है. उस जाल से अब इस देशद्रोही और प्रतिबंधित संगठन का निकल पाना बेहद मुश्किल होगा. दरअसल हर राज्य की पुलिस भी ऐसे ही बड़े और संयुक्त ऑपरेशन के इंतजार में थी. अब उम्मीद है कि ईडी और एनआईए को जो विशेष ताकतें-अधिकार मिले हैं. दोनो ही एजेंसियां विदेश तक जांच करने में सक्षम हैं. उस सबका फायदा लेते हुए ईडी और एनआईए अब विदेशों में बिछी पीएफआई की जड़ों को भी खोद डालेंगी. यही होना भी चाहिए था. यह संगठन किसी भी राज्य पुलिस द्वारा काबू आने वाला नहीं था. यह संगठन नाम बदलकर काम हमेशा एक ही करता रहा है. किसी भी तरह से देश की शांति, सुरक्षा और संप्रभुता में सेंध लगाई जाए।
किसी भी तरह से हिंदुस्तानी हुकूमत को कमजोर किया जाए...
एक सवाल के जवाब में उत्तराखंड पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एबी लाल ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, ” साल 2000 के करीब सिमी और उसके आसपास बना इंडियन मुजाहिदीन हो या फिर पीएफआई. यह सब एक ही संगठन रहा है. जब-जब भारतीय एजेंसियों ने एक नाम के संगठन को नेस्तनाबूद किया, तब-तब इस संगठन ने नाम चेहरा बदल लिया. मगर काम वही रहा कि किसी भी तरह से हिंदुस्तानी हुकूमत को कमजोर किया जाए और देश में शांति व्यवस्था भंग कराई जा सके. इस मामले में अब से पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को 2017-2018 में बड़़ी सफलता मिली थी.