बेमेतरा जिले में धान शार्टेज होने पर समिति प्रबंधकों को कारण बताओ नोटिस,देवरबीजा, परसबोड़ सहित अन्य समितियों को नोटिस जारी




नोटिस का जवाब एक सप्ताह के भीतर मांगा गया है।
देवरबीजा, परसबोड़ सहित अन्य समितियों को नोटिस जारी
संजूजैन:7000885784
बेमेतरा:वर्ष 2020-21 में जिले के 102 समितियों के 113 उपार्जन केंद्रों में पंजीकृत एक लाख 26 हजार 509 किसानों के कुल पांच लाख 87 हजार 672 मीट्रिक टन उपार्जित धान का 1099.04 करोड़ रुपये का भुगतान सभी किसानों को किया गया है। खाद्य अधिकारी राजेश कुमार जायसवाल ने बताया कि जिले मे 113 उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव पूर्ण कर लिया गया है। जिसके अनुसार कुल उपार्जित पांच लाख 87 हजार 672 मीट्रिक टन धान में से पांच लाख 70 हजार 98 मीट्रिक टन धान का उठाव समितियों द्वारा कराया गया है।
17574 मीट्रिक टन धान का परिदान समितियों द्वारा नहीं किया गया है। जिसकी कुल राशि लगभग 33 करोड़ की होती है जो कि कुल उपार्जित धान का 2.98 फीसद है। सूखत एवं अन्य कारणों से जिले के उन उपार्जन केंद्रों को जिनके द्वारा तीन फीसद से अधिक की कमी/परिदान कम किया गया है। उन्हे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब एक सप्ताह के भीतर मांगा गया है। ये कमी किन कारणों से हुई है। समाधान कारक जवाब न मिलने पर उनके विरुद्घ कमी की मात्रा की राशि वसूली किए जाने के साथ-साथ दंडात्मक कार्रवाई भी किया जाएगा।
जिले में 20 ऐसे उपार्जन केंद्र हैं, जहां कमी तीन फीसद से पांच फीसद है। इनमें मोहरेंगा, देवरबीजा, लेंजवारा, उमरिया, मल्दा, अछोली, अकलवारा, डंगनिया(ब), बालसमुंद, आनंदगांव, कुसमी/खैरझिटी, चोंगीखपरी, सल्धा, सम्बलपुर, साजा/परसबोड़, टकसींवा, सरदा, नवागढ़,अंधियारखोर, खिलोरा उपार्जन केंद्र शामिल है। 17 उपार्जन केंद्र ऐसे है जिसमें कमी का फीसद पांच फीसद से 12 फीसद है। जिसमें उपार्जन केंद्र मारो, खुड़मुड़ा, साजा, कुसमी, बदनारा, कन्हेरा/ओड़िया, बोरतरा, बांसा, गुंजेरा, सिलघट, बेरला, सोढ़, रनबोड़, पतोरा, कटई, कुंवरा, कुसमी शामिल है। हालांकि उपरोक्त हालत लंबे समय से समितियों में धान के परिवहन नहीं होने की बात तो कही जा सकती है किंतु अब क्योंकि शासन के दिए गए निर्देश के तहत समिति प्रबंधकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
जिसके चलते समिति प्रबंधकों में या समिति कर्मियों में एक तरह से दहशत का माहौल भी देखा जा रहा है एक ओर जहां उक्त राशि समितियों से वसूलने की बात कही जा सकती है वहीं दूसरी ओर समितियों को धान खरीदी के बदले मिलने वाले कमीशन भी अब खटाई में पड़ते हुए दिख रहा है, हालांकि अनुमान लगाया जा रहा था कि जितने तादाद में धान की खरीदी हुई है उसके चलते समितियों को 18 करोड़ की राशि बतौर कमीशन कमीशन मिल सकता था। किंतु धान शार्टेज से अब कमीशन तो खटाई में पड़ सकता है। वहीं शेष राशि की वसूली के लिए प्रशासन क्या हथकंडा अपनाता है यह आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगा।