सन्त उमाकान्त की धार्मिक संस्थाओं से अपील- लोगों और बच्चों में भरें कि रावण का विनाश क्यों हुआ, राम क्यों पूजे जाते हैं...




सन्त उमाकान्त की धार्मिक संस्थाओं से अपील- लोगों और बच्चों में भरें कि रावण का विनाश क्यों हुआ, राम क्यों पूजे जाते हैं
अगर रावण वाली तीन बुराइयां नहीं छोड़ोगे तो आगे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा
उज्जैन (मध्य प्रदेश) : इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 24 अक्टूबर 2023 प्रात: उज्जैन (म.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पहले के समय लोग धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते थे। यदि उपदेशक न मिल पावें तो घर की बूढी बुजुर्ग माताएं ही कुछ न कुछ इतिहास के बारे में, की जो भी त्यौहार मनाया जाता था, जैसे बच्चियां भाई दूज, रक्षाबंधन आदि मानती हैं तो इसके बारे में ही कुछ न कुछ लोग बताते थे। कुछ न कुछ शिक्षा लोगों को मिलती थी लेकिन धीरे-धीरे यह चीजें खत्म होती चली जा रही हैं।
त्योहारों की रूपरेखा बिगड़ती चली जा रही
लोग सच्चाई अच्छाई को न ग्रहण करके त्योहारों को केवल मनोरंजन में ही बिता दे रहे हैं। जो बुराइयां छोड़ने को थी, उन बुराइयों को छोड़ते नहीं है लोग। दशहरा के दिन रावण का तो दहन करते हैं, रावण को गलत नजर से देखते हैं, रामलीला करते हैं, उसी में कोई रावण कोई राम बन जाता है, राम, रावण का वध करते हैं लेकिन सब लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि रावण का वध हुआ क्यों? राम की पूजा क्यों हुई? रावण को लोग गलत नजरों से क्यों देखते हैं? उसको राक्षस क्यों कहते हैं? वो राक्षस बना कैसे? इस पर लोग प्रकाश नहीं डालते हैं, इस पर विचार नहीं करते हैं, करना चाहिए।
रावण को आज भी गलत नजर से क्यों देखते हैं
आज दशहरा के दिन मैं सभी धर्म धार्मिक संस्थाओं से धार्मिक लोगों से अपील करूंगा कि लोगों में, बच्चों में यह भरा जाए, यह बात बताई जाए कि रावण का राक्षस क्यों कहा गया? रावण का विनाश क्यों हुआ? सैकड़ो साल हो गए, आज भी रावण को गलत नजरों से क्यों देखा जाता है, क्यों राम की पूजा होती है। इसके बारे में लोगो को बताना चाहिए।
तीन बुराइयों की वजह से हुआ था रावण का खात्मा, रह गयी 3 इच्छाएं अधूरी
रावण भी मां के पेट से पैदा हुआ था। लेकिन वो प्रकृति के नियम के खिलाफ काम करने लग गया था। शराब पीना, मांस खाना, दुसरे की औरत को गलत नजर देखना- तीन बुराइयां उसके अंदर आ गई थी जिसको आज लोगों को छोड़ना चाहिए। तो जैसे बढ़िया दूध में दो बूंद आप मठ्ठा छाछ डाल दो तो सुबह तक खाने-पीने लायक नहीं रहेगा, रूप बदल जायेगा। उसकी शक्तियां धीरे-धीरे ख़त्म होती गयी, इसी वजह से अपनी 3 इच्छायें पूरी नहीं कर पाया- सोने में सुगंध लाना, स्वर्ग तक सीढ़ी लगाना जिससे उसके राज्य के लोग सशरीर स्वर्ग पहुँच जाए और शराब की बदबू ख़त्म करना।
चाहे स्त्री या पुरुष हो तो आप जिसके अंदर ये बुराइयां हैं यही छोड़ दे
आप लोगों में किसी के अंदर ये बुराइयां हो, चाहे स्त्री या पुरुष हो तो आप इसको छोड़ दो। संकल्प बनाओ कि किसी से हमने वादा किया था, अब से हम बुराइयों से दूर रहेंगे। आज आपको तो बता ही दूंगा, आप जल्दी समझ जाओगे लेकिन जो-जो लोग इन बातों को सुनेंगे, आप जिनको बताओगे, वो अगर नहीं सभलेंगे तो उनका भारी नुकसान होगा। उस नुकसान से ज्यादा, आपका नुकसान होगा अगर आप जानबूझ कर गलती करोगे। अनजान की तो माफी भी हो जाती है लेकिन जान करके जो गलती करता है उसकी माफी नहीं होती। इसलिए मन को उधर से मोड़ दो, अपने अंदर दया धर्म ले आओ।