Pradeep Mishra in CG : कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कही इतने बच्चे पैदा करने की बात, बोले- 2 परिवार के लिए और बाकी....लव जिहाद और नक्सलवाद पर भी दिया बयान....
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भारत सहित दुनिया के सभी हिंदुओं को 4-4 बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। प्रदीप मिश्रा यहां रायपुर की सीमा से लगे अम्लेश्वर (दुर्ग) में शिव महापुराण कथा चल रही है।




रायपुर। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भारत सहित दुनिया के सभी हिंदुओं को 4-4 बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। प्रदीप मिश्रा यहां रायपुर की सीमा से लगे अम्लेश्वर (दुर्ग) में शिव महापुराण कथा चल रही है। कथा 27 मई से शुरू हुई है जो कल (2 जून) तक चलेगी। पंडित मिश्रा की कथा में रोज लाखो लोग पहुंच रहे हैं।
आपको बता दें कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने परिवार में 4 बच्चों की वकालत की है। इनमें से दो बच्चे परिवार के लिए और दो सनातन धर्म को बचाने के लिए आवश्यक बताया है। वहीं बच्चों की संख्या को लेकर कानून लाए जाने के सवाल पर कहा कि जब इस पर कानून लाया जायगा तब देखेंगे।
कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा शनिवार को पत्रकारों से रू-ब-रू हुए। इस दौरान चर्चा में उन्होंने लड़के-लड़कियों से माता-पिता के कहे अनुरूप विवाह करने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रेम विवाह का विरोध नहीं, लव जिहाद का विरोध है। विवाह करें मना नहीं है, लेकिन लड़का-लड़की के अनुकूल होना चाहिए।
राजनीति में धर्म के उपयोग पर प्रदीप मिश्रा ने कहा कि धर्म में राजनीति और राजनीति धर्म में चलता आया है। सत्ता के सिंहासन में किसको देखने के सवाल पर कहा कि युवाओं को रोजगार और धर्म को आगे बढ़ाने वालों को मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आने वाला समय अच्छा होगा। भारत हिंदू राष्ट्र वैसे भी है। सारे देवताओं का निवास, सभी देवताओं को पूजा जाता है। वहीं नक्सलवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इससे मुक्ति के लिए सरकार लगी है। पत्रकारों की कलम में वो दम होता है, जो बिगड़े हुए सुधार सकता है। नक्सलियों को ये संदेश देता हूं कि वे राष्ट्र हित में काम करें।
प्रदीप मिश्रा ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि जो जहां है, अपने धर्म में रहो, अपने धर्म का पालन करो. छोटे-छोटे लोग ऐसे मिल जाते हैं, जो अपने धर्म में ले जाते हैं, और अपने धर्म में मिला लेते हैं. इसमें गलती अपनी ही रहती है। लोग कहते है कि हम घर वापसी करा रहे हैं। हम कहते हैं, कि गए ही क्यों थे। प्रयास ये करे इनको अपने धर्म में ही रखें। अगर संविधान के हिसाब से चलता है, धर्मांतरण रूक सकता है।
तुलसीदास ने भी शंकर रूपी कहा है। अगर विश्वास होता है तो अपने आप ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है। अगर मैने जल पिया है शंकर जी का, आपने अगर मन से निकाल दिया कि मेरा कोई दुश्मन नहीं है, तो सब सही होगा। डॉक्टर शंकर का ही एक रूप है। आप दिखाओ, जांच कराओ। शंकर पर चढ़ी बेल का जल पीते रहे, रोग का निवारण होगा। अगर कोई आपको तकलीफ से मुक्त कर रहा है, तो वो शंकर का रूप है।