CG- 3 सचिवों को हाईकोर्ट का नोटिस: विज्ञापन की शर्तों का पालन नहीं.... प्रोबेशन भी बढ़ा दिया.... हाईकोर्ट ने 3 सचिवों को थमाई नोटिस.... मेडिकल ऑफिसर्स ने उच्च न्यायालय में की रिट अपील........

Chhattisgarh highcourt breaking NEWS

CG- 3 सचिवों को हाईकोर्ट का नोटिस: विज्ञापन की शर्तों का पालन नहीं.... प्रोबेशन भी बढ़ा दिया.... हाईकोर्ट ने 3 सचिवों को थमाई नोटिस.... मेडिकल ऑफिसर्स ने उच्च न्यायालय में की रिट अपील........

...

बिलासपुर। 3 सचिवों को हाईकोर्ट ने नोटिस दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुप कुमार गोस्वामी व न्यायाधीश नरेश कुमार चन्द्रवंशी की युगलपीठ में मेडिकल ऑफिसर्स द्वारा रिट अपील निकिता गुप्ता विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन की याचिका की सुनवाई 31/1/22 को हुई। मेडिकल ऑफिसर्स की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी व हर्षमंदर रस्तोगी ने रिट अपील दायर की थी। जिसमें उच्च न्यायालय के एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए यह बहस की के किस तरह वित्तीय आदेश 21/2020 में संशोधन से मेडिकल ऑफिसर के प्रोबेशन पीरियड को 2 वर्ष से बढ़ा कर 3 वर्ष करना व प्रोबेशन पीरियड के दौरान मेडिकल अफसर की तनख्वा 100 प्रतिशत से घटाकर 70, 80 व 90 प्रतिशत करना, 8.5.2020 के विज्ञापन में नियुक्त हुए मेडिकल ऑफिसर्स पे लागू नही होगा।

8/5/2020 को Directorate of Medical Services, Government of Chhattisgarh ने मेडिकल ऑफिसर के 208 रिक्त पदों पे सीधी भर्ती हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसमें उनका वेतनमान 15,600 – 39,100 निर्धारित किया गया था। साथ ही ये भी बताया की मेडिकल ऑफिसर पे लागू होने वाले नियम Chhattisgarh Medical Officers (Gazetted) Service Recruitment Rules, 2013 है, परन्तु भर्ती प्रक्रिया समाप्ति व नियुक्ति के ठीक पहले उमीदवारो को संशोधन आदेश दिया गया कि उनका वेतन अब वित्तीय आदेश 21/2020, Chhattisgarh Civil Services (General Condition of Services) Rules, 1961 व Fundamental Rules में संशोधन के अनुरूप दिया जाएगा व प्रोबेशन पीरियड भी 2 की जगह 3 वर्ष किया जाता है। 

मामले को संज्ञान में लेते हुए युगलपीठ ने छत्तीसगढ़ शासन के वित्तीय सचिव, स्वास्थ्य संचालक व सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव को जवाब हेतु तलब किया है| Chhattisgarh Medical Officers (Gazetted) Service Recruitment Rules, 2013 में किसी भी प्रकार का संशोधन किये बिना व विज्ञापन में दिए गए नियम और शर्तें का पालन नहीं करना विधि विरुद्ध व मेडिकल ऑफिसर्स के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है इसलिये यह रिट अपील प्रस्तुत की गई है।