माँ महागौरी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल...




माता महागौरी
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
डॉ सुमित्रा अग्रवाल कोलकाता
कोलकाता : माँ महागौरी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, जिन्हें नवरात्रि के आठवें दिन पूजा जाता है। उनका स्वरूप और आभूषण भक्तों के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत होते हैं।
यहाँ माँ महागौरी के हाथों में स्थित वस्तुओं और उनके महत्व का विवरण दिया गया है :
1. दिव्य वस्त्र और आभूषण :
माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक होता है। उनका रंग उज्ज्वल और गोरा है, और वे सफेद वस्त्र पहनती हैं।
वे कर्णिका फूलों और आभूषणों से सजी होती हैं, जो उन्हें सुंदरता और शक्ति प्रदान करते हैं।
माँ महागौरी के हाथों में डमरू है जो की तंत्र-मंत्र और साधना की शक्ति का प्रतिक है । यह ब्रह्मा और शिव का प्रतीक भी है। यह साधकों को ध्यान और ध्यान में स्थिरता प्रदान करता है।
तलवार या खड़ग दुष्टता और बुराई के नाश का प्रतीक है। यह माँ की शक्ति को दर्शाता है, जिससे वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और बुराई का नाश करती हैं।
कमल का फूल पवित्रता, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। माँ महागौरी का कमल का फूल हाथ में होना उनकी करुणा और सौम्यता को दर्शाता है।
माँ महागौरी अभय मुद्रा में होती हैं, जो सुरक्षा और आश्वासन का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि वे अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय और संकट से मुक्ति प्रदान करती हैं।
माँ महागौरी का वंदन करने से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि, और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
उनकी पूजा से भक्तों में साहस, आत्म-विश्वास, और आंतरिक शक्ति का संचार होता है।
माँ महागौरी की आराधना करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, और भक्तों को सफलता की प्राप्ति होती है।