Live-In Relationship : लिव-इन रिलेशनशिप में अब रह सकते हैं खुलेआम, जानिए लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित भारतीय कानून….
Live-In Relationship ab rah sakate hain khuleam एक शादीशुदा कपल की तरह लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी जोड़ों पर भी कुछ नियम कानून लागू होते हैं,




Live-In Relationship ab rah sakate hain khuleam
Live-In Relationship: दिलों में प्यार का खूबसूरत अहसास जब जगता है तो प्यार के परवाने को दुनिया की सुध नहीं रहती है। प्यार में कपल सबकुछ छोड़ शादी से पहले ही साथ रहने तक को आमदा हो जाते है। लेकिन कहने को हम कितने भी मॉर्डन क्यों न हो हों लेकिन आज भी हमारे समाज में 'लिव-इन रिलेशनशिप' को बुरी नजर से देखा जाता हैं। शादी से पहले एक लड़का और एक लड़की का अपनी मर्जी से पति-पत्नी की तरह एक ही छत के नीचे रहना लिव-इन रिलेशनशिप कहलाता है। लेकिन क्या कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि रिलेशनशिप में रहने वाले दो लोगों के लिए ही कुछ कानूनी नियम बनाए गए हैं।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप समाज की मान्यता
एक शादीशुदा कपल की तरह लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी जोड़ों पर भी कुछ नियम कानून लागू होते हैं, जिनका इस्तेमाल कर वे धोखाधड़ी और समाज की मान्यताओं के विरुद्ध जाने वाली सभी मर्यादाओं से आसानी से बच सकते हैं।(Live-In Relationship)
आजकल की युवा पीढ़ी ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के पीछे के अपने कई तर्क ढूंढ लिए हैं, लेकिन सामाजिक वास्तविकता तो कुछ और है। ऐसे में अगर आप भी अपने पार्टनर के साथ लिव-इन रिलेशन में रहने का मन बना रहे हैं तो ये बातें काम आ सकती हैं।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप में ऐसे बनें मैरिड कपल
अगर आप दोनों 'लिव-इन रिलेशनशिप' में एक कपल की तरह साथ रह रहे हैं, साथ खा रहे हैं या फिर साथ सो रहे हैं तो दोनों ही शादीशुदा माने जाएंगे। 'लिव-इन रिलेशनशिप' में रहने वाले दो लोग कानून के हिसाब से शादीशुदा कंसिडर किए जाएंगे।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप में हुआ बच्चा वैध
अगर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के साथ-साथ आपकी पार्टनर प्रेग्नेंट हो जाती है और वो इस बच्चे को जन्म देना चाहती हैं तो वह बच्चा वैध माना जाएगा। एक शादीशुदा कपल की तरह उस बच्चे की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी उस जोड़े की ही होगी। यही नहीं, कन्या भ्रूण हत्या और गर्भपात से संबंधित सभी प्रावधान 'लिव-इन रिलेशनशिप' में रहने वाले लोगों पर भी लागू होते हैं।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे कपल्स बच्चे पैदा तो कर सकते हैं, लेकिन किसी बच्चे को गोद लेने का अधिकार उनके पास नहीं हैं। यही नहीं, हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत लिव इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को वो सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं, जो एक शादीशुदा कपल्स के बच्चे को मिलते हैं।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप में अपराध है धोखा देना
'लिव-इन रिलेशनशिप' में अगर एक पार्टनर दूसरे पार्टनर को धोखा देता है तो यह एक दंडनीय अपराध है। पीड़ित अगर चाहे तो आईपीसी की धारा 497 के तहत मामला दर्ज कराकर उसे सजा दिला सकता है।(Live-In Relationship)
लिव-इन रिलेशनशिप म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग
'लिव-इन रिलेशनशिप' में रहने वाले अगर दोनों पार्टनर कमाते हैं तो आपसी खर्चा उनकी 'म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग' पर आधारित होगा। यही नहीं अगर आप अपने पार्टनर से किसी वजह से अलग होती हैं और कुछ दिनों के लिए गुजारा भत्ता की मांग करती हैं तो यह केवल उसी स्थिति में दिया जाएगा जब आप रिलेशनशिप में रहने की बात को साबित कर दें।(Live-In Relationship)
लिव इन पर भारतीय कानून
अब तक तो भारत की पार्लियामेंट तथा किसी स्टेट के विधानमंडल ने लिव इन... पर कोई व्यवस्थित सहिंताबद्ध अधिनियम का निर्माण नहीं किया है परंतु घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2( f ) के अंतर्गत लिव इन.. की परिभाषा प्राप्त होती है, क्योंकि घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत लिव इन.. में साथ रहने वाले लोग भी संरक्षण प्राप्त कर सकते हैं।(Live-In Relationship)
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2( f ) के अनुसार
"घरेलू नातेदारी से ऐसे दो व्यक्तियों के बीच नातेदारी अभिप्रेत है जो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या किसी समय एक साथ रह चुके हैं, जब वे समररक्तता, विवाह द्वारा या विवाह, दत्तक ग्रहण की प्रकृति की किसी नातेदारी द्वारा संबंधित है या एक अविभक्त कुटुंब के रूप में एक साथ रहने वाले कुटुम के सदस्य हैं।"(Live-In Relationship)
घरेलू हिंसा अधिनियम की इस धारा से यह प्रतीत होता है कि लिव इन जैसे संबंधों को भारतीय विधानों में स्थान दिया गया है। इस धारा के अतिरिक्त समय-समय पर उच्चतम न्यायालय में लिव इन से संबंधित मुकदमे आते रहे हैं जिन पर लिव इन जैसी व्यवस्था को लेकर विधानों का निर्माण होता रहा है।(Live-In Relationship)
भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय किसी सहिंताबद्ध कानून जैसा स्थान रखते हैं तथा किसी संहिताबद्ध कानून के अभाव में उच्चतम न्यायालय के दिए गए निर्णय कानून की तरह कार्य करते हैं। भले ही कोई सहिंताबद्ध कानून लिव इन व्यवस्था के संदर्भ में उपस्थित नहीं हो परंतु उच्चतम न्यायालय के न्याय निर्णय लिव इन से संबंधित व्यवस्था पर मार्गदर्शन कर रहे हैं। वह न्याय निर्णय अग्रलिखित हैं-(Live-In Relationship)
लिव इन... के लिए शर्तें
उच्चतम न्यायालय में इंदिरा शर्मा बनाम वीएवी शर्मा 2013 के मामले में लिव इन... से संबंधित संपूर्ण गाइडलाइंस को प्रस्तुत किया है। लिव इन व्यवस्था से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर दे दिए गए हैं तथा उन शर्तों को तय किया है जिनके अधीन रहते हुए वैध लिव इन किया जा सकता है।(Live-In Relationship)
1)- साथ रहने की युक्तियुक्त अवधि-
किसी भी लिव इन के दोनों पक्षकार साथ रहने की एक युक्तियुक्त अवधि में होना चाहिए। कोई भी पक्षकार इस तरह से नहीं होंगे कि किसी भी समय साथ रह रहे हैं और किसी भी समय साथ नहीं रह रहे हैं।(Live-In Relationship)
साथ रहने के लिए एक युक्तियुक्त अवधि आवश्यक है। यदि उपयुक्त अवधि को पूरा कर लिया जाता है तो लिव इन माना जाएगा। युक्तियुक्त अवधि से आशय ऐसी अवधि से है, जिससे यह माना जा सकें कि किसी एक विशेष समय से लिव इन के पक्षकार साथ में रहे है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कहीं एक-दो दिन के लिए दो पक्षकार एक साथ रह लिए तथा फिर चले गए, फिर कुछ महीनों या वर्षों के बाद साथ रहने लगे फिर चले गए। निरंतर युक्तियुक्त अवधि लिव इन के लिए आवश्यक है। ऐसी अवधि 1 माह, 2 माह भी हो सकती है पर इसके लिए कोई तय समय सीमा नहीं है।(Live-In Relationship)
2)- एक घर में साथ रहेंं
लिव इन के पक्षकारों का पति पत्नी के भांति एक घर में साथ रहना आवश्यक है। एक घर को लिव इन के पक्षकार उपयोग में लाते हैं तथा एक ही छत के नीचे रहते हैं उनका अपना एक ठिकाना होता है एक घर होता है।
3)- एक ही घर की वस्तुओं का उपयोग
लिव इन के दोनों पक्षकार एक ही घर की वस्तुओं का संयुक्त रूप से उपयोग कर रहे हो, जिस प्रकार एक पति पत्नी किसी एक घर में साथ रहते हुए चीजों का उपयोग करते हैं।
4) घर के कामों में एक दूसरे की सहायता
दो पक्षकार घर में एक साथ रहते हुए घर के कामों में एक दूसरे की सहायता करते हो तथा इस प्रकार घर के काम बंटे हुए हों।(Live-In Relationship)
5)- बच्चों को स्नेह
लिव इन के पक्षकार अपने बच्चों को स्नेहपूर्वक अपने साथ रखते हों तथा उनसे इसी प्रकार का स्नेह और प्रेम रखते हों, जिस प्रकार का स्नेह माता पिता अपने बच्चों से रखते हैं, जिस प्रकार का प्रेम जो पति-पत्नी अपने द्वारा उत्पन्न की गयी संतान के साथ रखते हैं।(Live-In Relationship)
6)- लोगों को इस बात की सूचना हो कि दोनों साथ रहते हैं
जब लिव इन के पक्षकार साथ रहते हैं तो समाज में ऐसी सूचना होना चाहिए कि वह दोनों पक्षकार पति-पत्नी की भांति एक घर को साझा करते हुए एक साथ रहते हैं तथा उन दोनों का एक साथ रहने का सामान्य आशय है। वे दोनों आपस में शारीरिक संबंध भी बनाते होंगे क्योंकि दोनों पति-पत्नी की भांति एक साथ रहेंगे तो यह संभव है कि उनमें शारीरिक संबंध की स्थापना भी होगी। इसका अर्थ यह है कि जारकर्म की भांति का कोई दब छिपकर संबंध नहीं होना चाहिए जिससे जानने वाले लोगों को ही यह जानकारी न हो कि यह साथ रहते हैं।(Live-In Relationship)
7)-लिव इन के पक्षकार वयस्क हों
लिव इन के पक्षकार प्राप्तव्य हों। उन्होंने वयस्क होने की आयु प्राप्त कर ली हो। भारतीय व्यस्तता अधिनियम के अंतर्गत वयस्कता की आयु 18 वर्ष है।
8)- स्वस्थ चित्त हो
9)- एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि लिव इन में रहते समय ऐसे पक्षकारों में से किसी का भी पूर्व में कोई पति या पत्नी नहीं होना चाहिए यदि कोई पति या पत्नी के रहते हुए लिव इन करता है तो यह लिव इन अवैध होगा।(Live-In Relationship)