गलत खानपान वाले दुःख की मज़बूरी में प्रभु को याद करते लेकिन तब तक देर हो जाती है




गलत खानपान वाले दुःख की मज़बूरी में प्रभु को याद करते लेकिन तब तक देर हो जाती है
कोई भी काम मेहनत ईमानदारी से करोगे तो उसमें आपको कामयाबी मिलेगी
होश में अगर जोश आ जाये तो काम जल्दी पूरा होता है
उज्जैन (म.प्र.)। लोकतंत्र सेनानी, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने मुक्ति दिवस कार्यक्रम में 24 मार्च 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि व्यवस्था आगे चलकर के सुधरेगी, परिवर्तन होगा। लेकिन तब जब लोग शाकाहारी, सदाचारी, ईश्वरवादी खुदापरस्त हो जाएंगे, ईश्वर पर विश्वास करने लगेंगे। अच्छे विचारधारा वाले, मेहनत ईमानदारी की कमाई करने वाले, शाकाहारी, सदाचारी, सब धार्मिक होते हैं, भगवान का नाम लेते, मानते हैं। उन्हीं को विश्वास नहीं होता जिनका खान-पान, चाल-चलन खराब होता है। वह तो जब मुसीबत आती है, डॉक्टर कह देता है कि अब इलाज नहीं हो पाएगा, अब तो भगवान का नाम लो, जब इंजेक्शन टैबलेट के बाद भी दर्द नहीं जाता है तब प्रभु को याद करता है। तब तक बहुत देर हो जाती है। इसीलिए बता रहा हूं क्योंकि हुकूमत करने वाले को पीछे का इतिहास याद करना चाहिए कि समय एक जैसा नहीं रहता और पीछे की चीजें न दोहराई जाए। जो उन्होंने किया, हम भी कहीं वैसा न करने लग जाए जिससे हमको भी जगह, कुर्सी छोड़नी पड़े। जनता भी आगाह रहे, आपका भी दिल दिमाग बुद्धि सही रहे।
द्वितीया के चांद को लोग प्रणाम क्यों करते हैं
लोग पूर्णिमा की बजाय शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन (द्वितीया) के चन्द्रमा का इन्तजार, प्रणाम करते हैं क्यों? क्योंकि पूर्णिमा का चंद्रमा घटता है और द्वितीया का बढ़ता है। तो जैसे-जैसे आप बढ़ो, प्रकाश फैलाओ, वैसे-वैसे हमारी भी बढ़ोतरी हो, स्वास्थ्य सही रहे, परिवार आगे बढ़े, हमारी भी कीर्ति, प्रकाश, प्रभाव बढ़ता चला जाए। इंतजार रहता है कि द्वितीया के चंद्रमा से अंधकार हटेगा, हम आगे बढ़ जायेंगे। मुस्लिम भी द्वितीया के चांद को महत्व देते हैं। जगह-जगह यही द्वितीया का चंद्रमा यानी वक्र चंद्रमा यानी सबसे छोटा चंद्रमा बना होता है। ये और क्या संकेत देता है? सबते लघुताई भली और लघुता से सब होय। सीख लो की अपने अंदर लघुताई रखो, छोटा बने रहो तो हम कभी महान भी बन सकते हैं।
संसार को परिवर्तनशील कैसे बताया गया
काल का चक्र चलता रहता है। जैसे निरंतर घूमती चलती धरती की सूरज से दूरी के हिसाब से सर्दी गर्मी के मौसम आते हैं। परिवर्तनशील संसार है। यह सब चीजें बताती हैं, सीख देती हैं कि जीवन का भी चक्कर चल रहा है। समय, आयु बदलेगी। (तो कुछ अपनी जीवात्मा के लिए सोचना चाहिए)
होश में अगर जोश आ जाये तो काम जल्दी होता है
हनुमान सोच रहे थे कि कैसे होगा, कैसे हम समुन्द्र के पार जा पाएंगे। जामवंत ने जब याद दिलाया तब जोश, हिम्मत आई, आगे बढ़ गए। होश रखो कि सतसंग से जाने के बाद में भी कि हमारे जीवन का समय निकला जा रहा है। जिस काम के लिए हमको यह मनुष्य शरीर मिला है वह काम हमारा हो रहा है या नहीं हो रहा है? यह शरीर कब तक रहेगा? कब तक हम इसका इस्तेमाल कर पाएंगे ? जब शरीर साथ देना बंद कर देगा तो हम जिनके लिए दिन-रात चलते मेहनत करते, झूठ, फरेब ,बेईमानी, चोरी चकारी, ठगी भी कर लेते हैं तो क्या परिवार बच्चे हमारा साथ देंगे? इसको भी होश में सोचते रहो। तब उधर से थोड़ा ध्यान हटाओगे और जोश आएगा तब आपके आत्मा का भी काम हो पाएगा। केवल नामदान ले लेने से नहीं होता है, करने से होगा। करने लगोगे तो जोश आ जाएगा। कब जोश आता है, जब हिम्मत बढ़ती है। जैसे एक मैच जीतने के बाद पहलवान को जोश बढ़ जाता है कि दूसरों को भी जीतेगे, और प्रैक्टिस करेंगे, और दंड बैठक लगाता, मेहनत करता है, ज्यादा वजन उठा लेता है तो हिम्मत बढ़ जाती है। ऐसे ही (आपकी भी) हिम्मत बढ़ जाएगी।
सतसंग कार्यक्रम में आये प्रेमियों के लिए आदेश
तो प्रेमियों ! सतसंग कार्यक्रम में आये हुए आप लोग वापस अपनी गृहस्थी की तरफ जाओ। आपको जो आदेश मिला है, बच्चों की सेवा का, प्रचार-प्रसार का, उसको करो। मेहनत ईमानदारी से बच्चों की देखरेख करो। कोई भी काम मेहनत ईमानदारी से करोगे तो उसमें आपको कामयाबी मिलेगी, चाहे बच्चों की सेवा, बिजनेस व्यापार, खेती नौकरी का काम हो, कोई भी परमार्थ का काम हो, भजन हो, तो उसमें गुरु महाराज दया देंगे, आपको बरकत मिलेगी। तो शुभकामनाओं के साथ आप लोग जाओ और बराबर गुरु प्रभु को याद करते रहना, खबर लगे तो सतसंग में आते रहना।