हरि शेवा धाम में बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज का शॉल ओढ़ाकर किया स्वागत अभिनंदन



भीलवाड़ा। बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज रविवार सुबह अपनी सन्त मंडली के साथ धर्म नगरी भीलवाड़ा पहुंचें। हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज व सन्त मयाराम व हरिशेवा आश्रम की संत मंडली व आचार्य नारायण ने उनका शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। महामंडलेश्वर स्वामी हंसाराम उदासीन ने त्रयम्बकेश्वर महाराज से कहा कि सत्संग कार्य के लिए हरिशेवा धाम सनातन मन्दिर हमेशा तैयार है। संत श्री का यहां सुबह 8:30 बजे सुखाडिया सर्कल पर शहरवासियों की ओर से अभिनंदन किया गया। सुखाडिया सर्कल से स्वामी जी के आगे आगे भक्तजन यात्रा के रूप में वाहनो पर चलते हुए यूआईटी, गायत्री आश्रम, अजमेर चौराहा, सेंट्रल जेल, रेलवे स्टेशन, गोल प्याऊ चौराहा होते हुए पेंच के बालाजी मन्दिर पहुंचे। यहां बालाजी के दर्शन के बाद मंदिर के महंत पंडित आशुतोष शर्मा के मंत्रोच्चार के बीच भगवान शंकर का अभिषेक किया गया। इसके बाद पैदल यात्रा कर महाराज श्री संत मंडली के साथ सूचना केंद्र, सीताराम जी की बावड़ी होते हुए बाहेती पैलेस आवास स्थल पहुंचे। संयोजक परिवार के राधेश्याम अग्रवाल ने बताया की महाराज श्री के आगमन के बाद उनका चातुर्मास सत्संग ज्ञानयज्ञ हरिशेवा धाम सनातन मन्दिर में सनातन धर्म समिति हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के तत्वावधान में महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन महाराज के सानिध्य में शुरू हो गया है। संत श्री ने पहले दिन नारद जी की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि वासना, काम, क्रोध और आग की ज्वालाओं को साधु अपने सत्संग शीतलता देता है। हमे सदैव साधु का संग करना चाहिए। नारद पुराण सुनने से जीव के सारे पाप क्षय हो जाते हैं, धर्म की वृद्धि होती है। मनुष्य ज्ञानी होकर इस संसार में पुर्नजन्म नहीं लेता। नारद पुराण कथा करने एवं सुनने से नारायण की निश्चल भक्ति प्राप्त होती है। नारदोदेव दर्शनः। अर्थात् जिन्हें नारद जी के दर्शन हो जायें उसे नारायण के दर्शन अवश्य होते हैं। प्रवचन प्रतिदिन अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक होंगे। प्रवचन का फेसबुक व यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है। संयोजक परिवार के कृष्णगोपाल व प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया की संत श्री के साथ संत मंडली दंडी स्वामी प्रमोद आश्रम महाराज, ब्रह्मचारी सुदेश महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, ब्रह्मचारी निशांत महाराज, ब्रह्मचारी दिवेश महाराज साथ थे।