जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य हैं। आमतौर पर कई वर्षों में जलवायु परिवर्तन धीरे-धीरे होता है, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है।
Humans are the main cause of climate change.




19/06/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: Humans are the main cause of climate change. Climate change usually occurs slowly over many years, but now climate change is happening rapidly.
हम इंसान जितना तेजी से विकास कर रहे हैं, उतना ही तेजी के साथ विनाश की ओर आगे भी बढ़ रहे हैं, और इसका मुख्य कारण है हम मनुष्यों की मनमानी, जो विकास के नाम पर पेड़ पौधों को कांट रहे हैं और पहाड़ पर्वत को क्षति पहुँचा रहे हैं, और प्रकृति की भयावह स्वरूप को आप हम देख रहे हैं, कही पर लोग गर्मी से झुलस रहे है, तो कही बाढ़ से जन जीवन अस्त व्यस्त हो रहे, तो कही जमीन का जल स्तर का गिरना व सुख जाना लोग एक एक बूंद जल के लिए तरस रहे है तो वही चक्रवाती तूफान से जान माल की भारी नुकसान हो रही है, और लोग बहुत से वीपदाओ से धीरे धीरे अब घिर रहे हैं, जो मनुष्य के आने वाले समय काल में अच्छे जीवन के लिए शुभ संकेत नही है। जलवायु एक ऐसा पहलू है जो दुनिया के हर इंसान के जीवन से जुड़ा हुआ है और जलवायु की दशा हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है। इस तथ्य को इस बात से समझा जा सकता है कि अनुकूल जलवायु के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है, लेकिन मानवीय और कुछ प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जलवायु की दशा बदल रही है। इस स्थिति को जलवायु परिवर्तन (Climate change- क्लाइमेट चेंज) की संज्ञा दी जाती है। हाल के वर्षों और दशकों में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट गए हैं: यूएन जलवायु रिपोर्ट 2019 इस बात की पुष्टि करती है कि रिकॉर्ड में साल 2019 दूसरा सबसे गर्म वर्ष था, और 2010-2019 सबसे गर्म दशक। वर्ष 2019 में वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसें नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी, अभी 2023 में तो जलवायु परिवर्तन का हर एक नमुना को आप हम देख रहे हैं।
जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है तथा पूरी दुनिया में भी इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व पर इसका असर देखने को मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट (climate report) में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक संकेतों - जैसे भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और बर्फ के पिघलने के अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, खाद्य सुरक्षा और भूमि तथा समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है।
बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी पृथ्वी के तापमान में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ते तापमान ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को और गंभीर बनाने का कार्य किया है। जलवायु रिपोर्ट के अनुसार 1980 के दशक के बाद आगामी प्रत्येक दशक, 1850 से किसी भी दशक की तुलना में अधिक गर्म रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस के इस कथन में भी यह बात समझी जा सकती है - अब तक का सबसे गर्म साल 2016 था, लेकिन जल्द ही इससे अधिक गर्म वर्ष देखने को मिल सकते हैं। यह देखते हुए कि ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि जारी है, तापमान में वृद्धि (global warming) जारी रहेगी। आगामी दशकों के लिए लगाए जाने एक हालिया पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि अगले पांच वर्षों में एक नया वार्षिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड मिलने की आशंका है।
* जंगलों की कटाई....
मनुष्य जंगलों को काट कर उसके द्वारा कई तरह का लाभ उठाता है। इसके द्वारा मिले लकड़ी को इसके सामान बनाने, जला कर खाना बनाने, मकान बनाने आदि के काम में उपयोग करता है। जंगल के साफ हो जाने के बाद वह उस जगह पर कब्जा कर के उसे खेती के लिए उपयोग करने लगता है या उसमें मकान बना लेता है। वायु को शुद्ध रखने के लिए पेड़ पौधे अति आवश्यक है। इसके अलावा भी पेड़ पौधे बहुत काम आते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इन्हें बचाना अनिवार्य है।
* कारखाने और अन्य प्रदूषण....
कारखानों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है, क्योंकि इसके आसपास रहने से साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वालों में वाहनों को लिया जाता है। यह सभी वायु प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण है, जो वायु प्रदूषण के कारक बनते हैं। वायु प्रदूषण से गर्मी बढ़ जाती है और गर्मी बढ़ने से जलवायु में भी परिवर्तन होने लगता है।
आप सभी को पता ही होगा कि वायु अधिक दाब के क्षेत्र से कम दाब के क्षेत्र में जाती है। जहाँ अधिक गर्मी होती है, वहाँ का दाब कम होने लगता है और उसके आसपास के क्षेत्र का दाब उस क्षेत्र से अधिक हो जाने के कारण जिस क्षेत्र में अधिक गर्मी है वहाँ तेजी से हवा आने लगता है। कई बार यह तूफान का रूप में धारण कर लेता है। यदि आसपास के क्षेत्र में वर्षा का बादल हो तो वह भी हवा के साथ साथ तेजी से उस क्षेत्र में आने लगता है। इस तरह के बारिश में तेज हवा चलती है और ओले भी गिरने लगते हैं।
* प्राकृतिक कारण....
इनमें वे कारण है, जो प्राकृतिक रूप से अपने आप ही हो जाते हैं जिसमे मनुष्य का कोई भी रोल नहीं होता।जैसे भूकंप, ज्वालामुखी का फटना, आदि। ज्वालामुखी फटने से उसमें से जो लावा निकलता है, उसके किसी जल स्रोत में जाने या कहीं भी जाने से वहाँ प्रदूषण फैल जाता है और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण ही प्रदूषण है।
जीवाश्म ईंधन का प्रयोग- जीवाश्म ईँधन के प्रयोग के कारण ग्रीनहाउस गैसों खासकर कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में बढ़ता जा रहा है। लगभग 33% कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जीवाश्म ईँधनों के प्रयोग को माना जाता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया पर आपदाओं के बादल मँडरा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कुछ परिणाम निम्नलिखित हैं-
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बहुत ही जल्दी-जल्दी और घातक बदलाव होने लगे हैं।
साल 2019 दूसरा सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया।
* अब तक का सबसे गर्म दशक 2010- 2019 रिकॉर्ड किया गया।
* वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2019 में नए रिकॉर्ड तक पहुंच गया।
* बाढ़, सूखा, झुलसा देने वाली लू, जंगल की आग और क्षेत्रीय चक्रवातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
* जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में जमी बर्फ के पिघलने की दर बढ़ती जा रही है जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।
* मालदीव की समुद्र तल से ऊंचाई कम होने के कारण यह द्वीपीय राष्ट्र विशेष खतरे में है। इस देश का उच्चतम स्थान समुद्र तल से लगभग 7.5 फीट ऊँचा है जिससे मालदीव के समुद्र में डूबने का खतरे बढ़ता जा रहा है।
* दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया सहित अधिकांश भू-क्षेत्र हालिया औसत से अधिक गर्म रहे। अमेरिकी राज्य अलास्का भी तुलानात्मक रूप से गर्म था वहीं इसके विपरीत उत्तरी अमेरिका का एक बड़ा क्षेत्र हाल के औसत से अधिक ठंडा रहा।
* वर्ष 2019 जुलाई के अंत में आए लू के थपेड़ों से मध्य और पश्चिमी यूरोप का अधिकांश भाग प्रभावित हुआ। इस दौरान नीदरलैंड में 2964 मौतें लू से जुड़ी पाई गईं जो कि गर्मी के सप्ताह में औसतन होने वाली मौतों की तुलना में लगभग 400 अधिक थीं।
* लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है।
* जलवायु परिवर्तन को रोकने की सात सटीक उपाय...
1. विमान और पेट्रोल के वाहन छोड़िए और बस, ट्रेन या साइकिल से चलिए...
परिवहन से दुनिया का 20 प्रतिशत उत्सर्जन निकलता है. सबसे बुरी स्थिति बनती है सड़क यातायात से.
परिवहन को कार्बनमुक्त करने के लिए उत्सर्जनों में कटौती का एक आसान तरीका है, पेट्रोल से चलने वाली कारों के बदले ट्रेन, साइकिल, ई-वाहन का इस्तेमाल करें और जहां तक संभव हो पैदल चलकर आना जाना करें यानी सबसे शून्य उत्सर्जन वाला ट्रांसपोर्ट.
शहरों में, ई-स्कूटर से लेकर ई-बसों तक बिजली से चलने वाले परिवहन विकल्प मौजूद हैं और वो एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने तक एक कम उत्सर्जन मार्ग बनाते हैं. इलेक्ट्रिक स्कूटर की तुलना में एक पेट्रोल कार दस गुना ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन करती है. इसमें उत्पादन से लेकर कबाड़ के निपटारे तक से जुड़ा उत्सर्जन भी शामिल है.
विमान से कभी सफर नहीं करने वाली दुनिया की करीब 10 फीसदी आबादी के लिए विमान के बदले ट्रेनों से आवाजाही का भी एक बड़ा असर पड़ सकता है. यूरोपीय शहरों के बीच एक आम रेल सफर उसी दूरी की उड़ान के मुकाबले 90 फीसदी कम सीओटू उत्सर्जित करता है.
2. मांस नहीं, फल सब्जी और अनाज खाइये...
मीट और डेयरी उत्पाद, 15 फीसदी वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन का जिम्मेदार है. जैव विविधता का नुकसान, मिट्टी का दूषित हो जाना और प्रदूषण तो जो है सो अलग है.
इस साल जब जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय पैनल (आईपीसीसी) ने कहा था कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए उत्सर्जनों को 2030 तक आधा करना होगा, तो उसने इस बात पर भी जोर दिया था कि प्लांट प्रोटीन की अधिकता वाले और मीट और डेयरी रहित आहार में, ग्रीनहाउस गैसों की कटौती करने की सबसे ज्यादा क्षमता है.
लिहाजा शाकाहारी होना या वीगन आहार लेना, इस जलवायु असर को कम करने का एक तरीका हो सकता है.जलवायु अनुकूल पौधा आधारित मांस की बढ़ती मांग और लोकप्रियता, उपरोक्त विकल्प को और आसान बना देते हैं.
हालांकि अभी तक पौधे सिर्फ 2 फीसदी प्रोटीन देते हैं. बोस्टन कन्सलटिंग ग्रुप के मुताबिक 2035 तक इसके 11 फीसदी तक बढ़ जाने की संभावना है, ये और तेज भी हो सकता है अगर हममें से ज्यादातर लोग मांस और डेयरी उत्पादों की अपनी मांग में कटौती कर दें.
3. सरकारों पर कार्रवाई के लिए दबाव डालिए...
फ्राइडेज फॉर फ्यूचर आंदोलन में शामिल स्कूली बच्चों ने दिखाया कि जलवायु के लिए एक सामूहिक कदम उठाना संभव है. राजनीतिज्ञ पर्याप्त काम ना कर रहे हों लेकिन उन्हें सुनना तो पड़ेगा ही क्योंकि दुनिया भर में जलवायु चिंताएं भी वोटिंग के इरादों को संचालित कर रही हैं, जैसे कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में नये नेता जलवायु आकांक्षाओं को उल्लेखनीय स्तर पर बढ़ाने का वादा करते देखे गए. (भले ही कई लोग मानते हैं कि लक्ष्य अभी भी अपर्याप्त है.)
कभीकभार अदालतें भी सुन लेती हैं. अप्रैल 2021 में फ्राइडेज फॉर फ्यूचर अभियान के युवाओं ने जर्मनी की एक उच्च अदालत में हुई जिरह में कहा कि जलवायु कार्रवाई नहीं होने से उनकी बुनियादी आजादी पर खतरा बन आया है जो असंवैधानिक है. नतीजतन, कोर्ट ने सरकार को उत्सर्जन कटौती के लक्ष्यों को मजबूत करने के लिए बाध्य किया- दो महीने बाद सरकार को अदालती आदेश पर अमल करना पड़ा.
मतदाताओं की नयी पीढ़ी में जलवायु का मुद्दा शीर्ष पर आ गया है. लिहाजा कई युवा विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनो, सोशल मीडिया अभियानों या स्थानीय प्रतिनिधियों को लिखकर, राजनीतिज्ञों पर दबाव बना रहे हैं.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में जलवायु जनादेश को लेकर एक नागरिक अभियान चल रहा है. 2030 तक कार्बन निरपेक्षता की मांग उसकी एक अच्छी शुरुआत है.
4. हरित ऊर्जा और जहां संभव है वहां अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करिए....
ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधनों को जलाना, ग्लोबल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जनों का सबसे बड़ा स्रोत है. साफ, अक्षय स्रोत जैसे पवन ऊर्जा या सौर ऊर्जा से हरित ऊर्जा हासिल करने का विकल्प बढ़िया है. यह जलवायु तबाह करने वाले कार्बन के मुख्य स्रोत को खत्म कर सकता है.
ग्राहक पहले ही अंतर पैदा कर चुके हैं. यूरोपीय संघ में 2019 से, अक्षय ऊर्जा उत्पादन 2005 की तुलना में दोगुना हो चुका है, 34 फीसदी बिजली उसी से आती है. इसका मतलब है कि यूरोपीय संघ की अधिकांश बिजली कोयले से पैदा नहीं की जाती है. कोयला उत्सर्जन केलिए सबसे बड़े जिम्मेदार जीवाश्म ईंधन है.
एक घर या मकान या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी अपनी छलों पर सौर ऊर्जा लगा सकते हैं या गैस हीटिंग के बदले, जहां संभव है, इलेक्ट्रिक हीट पंप लगा सकते हैं. कुछ समुदाय तो अपने आसपास, विशिष्ट रूप से अक्षय ऊर्जा पर ही निर्भर रहने के लिए एक साथ आ रहे हैं.
5. लाइट बंद और हीटिंग कम कीजिए...
हीटिंग को कम करना या बंद करना जैसी सामान्य सी चीज भी बहुत सारी ऊर्जा बचा सकती है. रूसी गैस पर देश की निर्भरता से पैदा हुए ऊर्जा संकट से जूझ रही जर्मन सरकार इसीलिए इन सर्दियों में सरकारी इमारतों में हीटिंग के तापमान को 19 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करेगी.
रात में कम्प्यूटर बंद करना और उपयोग में नहीं आ रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग कर जलवायु को सोखने वाली ऊर्जा को हटाना भी जलवायु बदलाव को रोकने वाली एक कार्रवाई है जिसे हम आज के दौर में हासिल कर सकते हैं. इससे भी ज्यादा आसान है कि जब कमरे में ना हों तो लाइट बंद कर दें.
ऊर्जा की उच्च बचत वाले उपकरणों का इस्तेमाल, जैसे कि गैस के चूल्हों के बदले इंडक्शन भी आगे की ओर एक कदम है. इससे भी अच्छा है कि आप सरकार से स्मारकों और इमारतों में रात भर जलने वाली लाइटें बंद करने की मांग करें. जर्मन राजधानी बर्लिन में हाल में ये नीति लागू कर दी गई है.
6. खाना बेकार ना जाने दीजिए....
दुनिया का एक तिहाई भोजन फेंक दिया जाता है. अगर उत्पादन, परिवहन और उपयोग का आकलन किया जाए तो खाने का ये नुकसान और कचरा एक बहुत बड़ा कार्बन उत्सर्जक है. कचरा ठिकानों में फेंका जाने वाला खाना मीथेन पैदा करता है, वो छोटी अवधि में एक बड़े नुकसान वाली ग्रीनहाउस गैस है.
अमेरिका में, सालाना भोजन नुकसान और खाद्य कचरे से 17 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है और इसमें कचरा ठिकानों के उत्सर्जन शामिल नहीं हैं. कुल मिलाकर ये कोयले से चलने वाले 42 ऊर्जा संयंत्रों के सालाना उत्सर्जनों के बराबर है.
इसीलिए फ्रिज में रखी हर चीज हम ना खा सकें, तो उसे कम से कम खाद में डाल दीजिए जो बगीचे को उर्वर बनाएगी या बायोगैस में इस्तेमाल कर लीजिए.
इस बीच सुपरबाजारों को अतिरिक्त भोजन ना फेंकने के लिए दबाव डाले, उसे फूड बैंको या दान संस्थाओं को दे दीजिए. या रेस्तरां को कहिए कि वो नहीं खाये गये भोजन के लिए "डॉगी बैग्स" दें. ये दोनों उपाय हाल में स्पेन में पारित हुए फूड वेस्ट कानून में शामिल हैं.
7. पेड़ लगाइये....
पेड़ एक बहुत जरूरी कार्बन सिंक हैं, फिर भी जंगल बड़े पैमाने पर काटे जा रहे हैं. मिसाल के लिए अमेजन जंगल की कटाई में पिछले साल 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई थी.
पहले से कहीं ज्यादा, इस समय पेड़ लगाना मतलब वायुमंडल में सीओटू को कम करना है. व्यक्तिगत तौर पर ये सबसे अच्छा उपाय है.
पेड़ ना सिर्फ हवा को साफ करते हैं, जैवविविधता को बढ़ाते हैं और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं बल्कि वे ऊर्जा भी बचाते हैं. खासकर शहरों में ये देखा जा सकता है जहां सड़कों पर लगे ज्यादा से ज्यादा पेड़ ठंडक पहुंचाते हैं और एयरकंडिशनिंग की जरूरत में कटौती करते हैं. ये कार्बन मुक्त गैरलाभकारी उपाय है.
इसी तरह सर्दियों मे, पेड़ हवा से महफूज रखने वाले शेल्टर होम की तरह काम करते हैं और इस तरह हीटिंग की कीमतों में 25 फीसदी तक की कमी ले आते हैं।