डाक्टर भीम राव अंबेडकर को भी भगवान बुद्ध का शरण लेना पड़ा, लेकिन उनके ही कुल समाज के लोग आज श्रीराम, श्री श्याम के उपर टिका टिप्पणी करते हैं, ऐसा क्यों?

Dr. Bhim Rao Ambedkar also had to take refuge in Lord Buddha

डाक्टर भीम राव अंबेडकर को भी भगवान बुद्ध का शरण लेना पड़ा, लेकिन उनके ही कुल समाज के लोग आज श्रीराम, श्री श्याम के उपर टिका टिप्पणी करते हैं, ऐसा क्यों?
डाक्टर भीम राव अंबेडकर को भी भगवान बुद्ध का शरण लेना पड़ा, लेकिन उनके ही कुल समाज के लोग आज श्रीराम, श्री श्याम के उपर टिका टिप्पणी करते हैं, ऐसा क्यों?

NBL, 18/01/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Dr. Bhim Rao Ambedkar also had to take refuge in Lord Buddha, but today people of his own community comment on Shri Ram, Shri Shyam, why so?

आजकल आपको सोशल मिडिया के प्लेटफार्म में अनेका अनेक सबूत मिल जायेगा आपको श्री राम और श्री श्याम व हिंदू देवी देवताओं के उपर टिका टिप्पणी करते हुए व उनका उपहास व मजाक उड़ाते हुए और हिंदू देवी देवताओ को काल्पनिक बताते हुए, इतना निम्न श्रेणि के बुद्धि रखते है, ये बोलने वाले लोग, पढ़े विस्तार से... 

आज जो ये अपने आप को दलित समाज के रहनुमा मान रहे है, देश के कुछ आज के राजनीतिक व सामाजिक नेता गण, जो अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए आज अपने समाज को एकजुटता के नाम पर देश में नफरत का बीज बो रहे हैं, ये बीज बड़ा होकर पेड़ बनेगा ऐसा सोच अगर रखता होगा ये लोग तो ये कभी भी पेड़ नहीं बन सकता है, दलित समाज को भी नया रास्ता नया जीवन जीने का हक डाक्टर भीम राव अम्बेडकर का लिखा देश हित संविधान ने दे दिया है, जो इनके सभी सुखों का साधन का निर्माण करती है, तो ये दलित समाज के रहनुमा स्वार्थी नेता लोग और क्या चाहता है, देश मे, इसे समझना बेहद जरुरी है। 

जबकि महाभारत युद्ध के पहले श्री कृष्ण भगवान अर्जुन को गीता उपदेश देते हुए बोला, परिवर्तन ही संसार का नियम है, जब - जब इस धरती पर अनीति अत्याचार बढ़ेगी तो मै उसे मिटाने के लिए नया रूप धारण करता हूं, उसी रूप में ये गौतम बुद्ध भगवान का भी है, जो कई प्रकार के देश दुनिया में फैले विकृतियाँ व आडम्बार को मिटाने के लिए गौतम बुद्ध का सही सार्थक ज्ञान, दर्पण की तरह साफ सुथरा लोगों को दिखने लगा और उनके ज्ञान को आत्मसात कर उनके अनुयायी बन गए उनमें से एक भीम राव अम्बेडकर जी भी है। बुद्धम शरणम गच्छामि। क्योकि भगवान बुद्ध के ज्ञान मे जाति पाती का भेद भाव नहीं था उनके शरण सभी मानव जाति के लिए समान था कल्याण कारी था, छोटे बड़ों का कोई भेदभाव नहीं था, यही उनके गुणवत्ता मानव जीवन में एक बदलाव लाया और जीवन जीने की कला भी सिखाई और जो देश गौतम बुद्ध के विचार ज्ञान के अनुसार चला वह देश आज भी आर्थिक विकास मानसिक विकास व आधुनिकता के विस्तार में सबसे ज्यादा आगे है। और यह एक मानव से सर्व मानव जीवन धर्म के एक रूप जाति के एकीकरण से हुआ, यही कड़वी सच्चाई है, जिसके आड़ लेकर बौद्ध धर्म के कुछ नकली अनुयायी न्याय की बात करते हुए देश दुनिया के लोगों को गुमराह मे डाल कर उनके मन बुद्धि को भटका रहे हैं, जबकि गौतम बुद्ध श्री राम व श्री श्याम व सनातनी हिंदू देवी देवताओं का बुराई कभी नही किया है, वह तो केवल एक ही उपदेश दिया मानव समाज को आप आडम्बरो से बचो और अपने मूल कर्म को पहिचानो जो आपको सही दिशा दे सके आपके अच्छे जीवन जीने के लिए, हम सुधरेंगे तो युग सुधरेगा, हम बदलेंगे तो युग बदलेगा और उनके इस सार्थक ज्ञान का अमल किया वह अपने आप मे सुखी इंसान बन गया। 

गौतम बुद्ध ने ये कभी नहीं बोला अपने मुखारबिद् से की रामायण व गीता व सनातनी धर्म संस्कृति सब बेकार है, उसने ये कहाँ भगवान भाव के भूखे है, उनको किसी प्रकार का आडंबर पसंद नहीं है, उनके लिए तो सभी जीव उनके अपने है, आप अपने कर्म को सुधारों तो आपको खुद ब खुद रास्ता मिल जायेगा, जैसे मुझे मिला और मै जान गया की मेरा जन्म किस उद्देश्य के लिए हुआ, मै भी तो उस ईश्वर का एक रचना हूँ। जो अनेको जीव आत्मा के जीवन में बदलाव लाया मेरे अपने त्याग तपस्या से मैंने भी तो ऋषि मुनियों का जीवन को अपनाया मै भी तो इस संसार के बहुत से लोगों का उपहास व उनके क्रूरता को सहा तब कही जाकर आप मानवों का काम आया और मेरे इस अद्द्भुत ज्ञान से आप लोगों के जीवन में सुधार आया तो ही आप लोग मुझे सिद्धार्थ नाम के मामूली लड़के को गौतम बुद्ध भगवान बना दिया मै अपने से भगवान नहीं बना मुझे मेरे अपनों ने भगवान बना दिया। मुझे अपने जनहित मानव सेवा धर्म ने मुझे भगवान बुद्ध आप लोगों ने बना दिया, और मेरे जैसे अनेक और लोग हुए इस धरती पर उनको भी उनके अच्छे कर्म ने उनको भगवान बना दिया। आज जैसे दलित पीड़ित शोषित लोगो के लिए डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी भगवान स्वरूप अंश है, जो सबके लिए मानव न्याय रूप मे संविधान बनाया और मानव जाति से मानव को जोड़ा। 

समय काल के अनुसार जो भोगना था उनको आपको हमको भोगना पड़ेगा, जैसे उस पुराने समय काल में आप मानवों को छोटी जाति व हिंन भावना से देखा गया व उनके दंश को झेलना पड़ा, लेकिन उसका भी अंत इसी जगत धरती पर हुआ, जो आज आप बोल रहे हो, उन देवी देवताओं को जो वह भी आपका ही था, लेकिन सही ज्ञान देने वाले महापुरुष एक ही हुए वह तारणहार भीम राव अम्बेडकर जी है, जो आप दिन हिन दलित पीड़ित शोषित समाज का मानव कल्याण किया, अब आपको उलझने का या बदला लेने का भाव त्याग देनी चाहिए, और जो उपहार डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने आप लोगों को दिया उन्ही को आत्मसात करते हुए अपने जीवन के मुलुद्देश्यो का निर्वहन करे, क्योकि आप आज आधुनिक भारत के साथ चल रहे हैं। बेवजह हिंदू देवी देवताओं के बारे में ना बोले क्योकि वह भी आपके अपने ही है, आपके भारत के है। और डाक्टर भीम राव अम्बेडकर के देश जनहित सेवा भाव को आगे बढ़ाने व उनके त्याग तपस्या को देश के हर कोने कोने व हर घर घर तक पहुँचाये और शिक्षा को बल दिया जाय जो बेहतर मानव समाज का निर्माण हो सके। एक भारत श्रेष्ठ भारत। और इन गलत ज्ञान देने वाले नेता व बिचोलीयो से बचे जो अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी अनाप शनाप ज्ञान दे रहे हैं, जो विरोधाभास है, निंदनीय है। 

आज जो हिंदू देवी देवताओं के पीछे पड़कर कुछ भी गलत जो लोग बोल रहे है, यह भी एक साजिस का हिस्सा हो सकता है, जो भारतीय संस्कृति को तहस नहस करने मे लगा है, यह भी एक दुश्मन देश का चाल हो सकता हैं, जिसको हम भारतीयो को संज्ञान में लेनी चाहिए और ऐसे गलत बोलने वाले व गलत मानसिकता रखने वाले लोगों के उपर सरकारी जाँच पड़ताल होनी चाहिए इनके इस प्रकार के बोलने के पीछे कोई विदेशी ताकत तो नहीं है, जो देश के कई करोड़ हिंदुओ के आस्था को चोट पहुँचा रही है, धर्मनिर्पेक्षता के आड़ बना कर, भारत को जोड़ने नहीं तोड़ने के लिए लगा हुआ है, ये लोग बौद्ध धर्म के नाम पर जबकि गौतम बुद्ध खुद एक सनातनी हिंदू धर्म से आता है, जो शुद्ध रूप से भारतीय है। उनके अच्छे सार्थक ज्ञान से ही बौद्ध धर्म का निर्माण हुआ लेकिन एक भारतीय गौतम बुद्ध अपने ही देश का अहित कैसे चाह सकता है, जो दुनिया को ज्ञान दिया और भारत देश का नाम रौशन किया जो अनेको देश को नया दिशा दि जो उनके राह में चलकर उन्नत देश बना, बल्कि हम भारतीयो को भी गौतम बुद्ध के उच्च ज्ञान से परे नहीं होना चाहिए। तो ही इन दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दिया जा सके।