अहम इंद्रो ना पराजिग्ये। मैं कभी पराजित नहीं हो सकता, मैं हमेशा विजयी होने के लिए पैदा हुआ हूं, इस सकारात्मक सोच के साथ चलने वालों में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती।

Don't let the senses get defeated. I can never be

अहम इंद्रो ना पराजिग्ये। मैं कभी पराजित नहीं हो सकता, मैं हमेशा विजयी होने के लिए पैदा हुआ हूं, इस सकारात्मक सोच के साथ चलने वालों में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती।
अहम इंद्रो ना पराजिग्ये। मैं कभी पराजित नहीं हो सकता, मैं हमेशा विजयी होने के लिए पैदा हुआ हूं, इस सकारात्मक सोच के साथ चलने वालों में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती।

NBL, 06/02/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Don't let the senses get defeated. I can never be defeated, I am always born to be victorious, negative energy cannot enter those who walk with this positive thinking.

विश्व के हर मानव अपने जीवन को आनन्द से जीना चाहता है, लेकिन दुनिया के कुछ ही लोग अपने आप में सुखी जीवन जी पा रहा है हर स्तर पर वह पाजेटिव एनर्जी से ओत प्रोत है, और उस इंसान के अच्छे जीवन जिने का मुख्य रहस्य है, अहम इंद्रो ना पराजिग्ये मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, मै कभी पराजित नही हो सकता, मै हर हमेशा विजयी होने के लिए पैदा हुआ हूँ, इस संसार में, यही इनके पाजेटिव थाट इनको ताकतवर बना देता है, पढ़े आगे विस्तार से.... 

आज बहुत से लोग दुविधा में पड़कर अपना जीवन जी रहा है, करू तो क्या करू मै कुछ अच्छा काम तो करता हूँ, लेकिन सफल होने के बजाय असफल हो जाता हूँ, और इस प्रकार के गहरी सोच विचार मे पड़ जाता है वह व्यक्ति और पाजेटिव एनर्जी उनका कमजोर हो जाता है और नेगेटिव एनर्जी को अपने अंदर ज्यादा जगह देने लग जाता है, मै और कुछ बड़ा फैसला लू या ना लू पहले जैसे मुझे नुकसान तो नही उठाना पड़ जायेगा, इस उधेड़ बुन मे पड़ कर वह अपने पाजेटिव एनर्जी का विस्तार को कम कर देता है और नेगेटिव एनर्जी विस्तार को बढ़ा लेता है और इस प्रकार सोच विचार रखने से उनका कहा से जीवन उन्नति की ओर आगे बढ़ेगा और जो बची बचायी धन है उनका भी व उनके खुद की आत्म शक्ति है जो ये दोनों का पतन होना निश्चित है।

आज बहुत से लोग अपने पूर्व के संपत्ति को बर्बाद करने के लिए लगा हुआ है और कुछ ने तो कर भी लिया है, वही कहावत हो गया है जब चिड़िया चुग गई दाने तो फिर पाछे क्या पछिताने, और उनके अपने उन्ही धन संपत्ति के बर्बादी को लेकर आज भी रोना रो रहे हैं। और धन बल से कमजोर होकर छाती पीट पीट कर रो रहे हैं। और इसका बर्बादी का मुख्य कारण है, उनके दैनिक जीवन का अनाप शनाप उपयोगीता जो खुले हाथों से अपने आप अपने धन का दुरूपयोग किया है। जो वापस आ नहीं सकता। अपने धन से और ज्यादा धन कमाने के लालच में पड़कर बहुत से लोग अपने धन को ही लुटा दिया। इतना खराब स्थिति है आज बहुत से लोगों के। आज माल गुजार का माल चला गया बस अब उनका गुजारा चल रहा है। ये भी आज उनके दिल दिमाग में नेगेटिव एनर्जी घर कर लिया है और आगे बढ़ने का हौसला खो बैठा है, और दिन ब दिन इन लोग गरीब से और अतिगरीब बन गया है पहले के बहुत से धनवान व मालगुजार लोग, इनके गलत नीति व गलत नियत के कारण। जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा बुरे काम का बुरा नतीजा। 

इसलिए मनुष्य के लिए धर्म बनाया है और उस धर्म के अंदर एक ईष्ट देवी देवता भी है। और जो अपने ईष्ट के उपर भरोसा करता है उनको दुख कम और सुख ज्यादा मिलता है। क्योकि जो अपने ईष्ट को ईमानदारी से मानता है, उस व्यक्ति के अंदर दूसरों के प्रति स्नेह, ममता व उनके लिए उदारता व मानवीय मूल्यों मे हर वह उन व्यक्ति के लिए मानवता वादी सोच रखते हैं। और खुद हंसमुख रहता है और दूसरों के जिंदगी में भी मुस्कुराहट लाते है, इनके अंदर पाजेटिव एनर्जी भरपूर रहता है, क्योकि ये लोग अध्यात्मिक व ज्ञानी होते हैं, अपने दिमाग व शरीर में ईश्वरीय शक्ति का ताकत को रखता है, वह अपने ईश्वर की शक्ति व भक्ति कर अपने अंदर ऊर्जा भर दूसरों के लिए जनहित में उपयोग करते हैं, उनके कष्टों का निवारण कर अपने ईष्ट के महिमा का बखान करते हैं। व उन लोगों को भी ईश्वर के भक्ति व शक्ति में जोड़ते हैं। और पूर्ण रूप से निगेटिव इंसान को पाजेटिव इंसान बना देते हैं। 

जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए जिंदगी की डोर सौप हाथ दीना नाथ की चाहे महलो मे राखे चाहें झोपड़ी में वास दे। निर्विकार निर विवाद राम राम जपिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।। 

हर पल हर समय हर दिन रात सोते जागते उस ब्रम्हांड नायक उस निराकार ईश्वर का धन्यवाद (शुक्रिया) अदा कर उनके हर उपकार जो हम पर किया है, दुख में हो चाहे सुख में हो उनको याद प्यार जरूर करे, फिर देख कैसा चमत्कार होता है आपके जीवन में इस धन्यवाद का फल आपको ईश्वर कैसा देता है। सर्व गुण संपन्न बना देगा आपको बस आप अपने जीवन में किसी भी जीव जन्तु व मानव का अहित मत करना हो सके तो पर हित पर सेवा उपकार में अपना जीवन लगा देना, क्योकि देने वाला है भगवान हम आप निमित्त मात्र है, इस जग में। मत करना रे मनवा गुमान मारने वाला है भगवान बचाने वाला है भगवान।