CG - गौरव का क्षण : जागेश्वर यादव को राष्ट्रपति ने पद्मश्री अवार्ड से किया सम्मानित, इस काम के लिए मिला सम्मान.....
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में जशपुर के जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार दिया। प्रदेश के अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर समाज के लिए जागेश्वर दशकों से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण बताया है।
जशपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में जशपुर के जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार दिया। प्रदेश के अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर समाज के लिए जागेश्वर दशकों से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण बताया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर अपने पोस्ट में ‘बिरहोर के भाई’ जागेश्वर यादव को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आदिवासी उत्थान के लिए उनकी प्रतिबद्ध को प्रेरणादायक और अनुकरणीय बताया है।
इस वजह से दिया पद्मश्री पुरस्कार
बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए बेहतर कार्य के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाड़ियों व जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की। साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी। इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली।
जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ। बचपन से ही इन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी। उस समय घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे। जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया। उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा। इसके बाद उनमें शिक्षा की अलख जगाई, और उनके बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया।
जागेश्वर यादव 'बिरहोर के भाई' के नाम से चर्चित हैं। जागेश्वर को उनके बेहतर काम के लिए पहले भी 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है। जागेश्वर के लिए आर्थिक कठिनाइयों की वजह से यह सब आसान नहीं था। लेकिन उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा।
Pratigya Rawat
