CG :….जब जिला पंचायत की सभापति खुले मंच में रोने लगी...मंच से कहा, मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है सर, मैं सबका सम्मान करती हूं, फिर मेरा कोई सम्मान क्यों नहीं सर….कलेक्टर, CEO और संसदीय सचिव के सामने कांग्रेस की महिला जिला पंचायत सभापति फूट-फूटकर रोयी....जाने मामला…देखे विडियो……

CG :….जब जिला पंचायत की सभापति खुले मंच में रोने लगी...मंच से कहा, मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है सर, मैं सबका सम्मान करती हूं, फिर मेरा कोई सम्मान क्यों नहीं सर….कलेक्टर, CEO और संसदीय सचिव के सामने कांग्रेस की महिला जिला पंचायत सभापति फूट-फूटकर रोयी....जाने मामला…देखे विडियो……

डेस्क :जिला पंचायत की सभापति कविता लहरे टीकाकरण महाअभियान के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में मंच पर से रो पड़ीं। वे जब अपना संबोधन दे रही थीं, तभी उन्होंने शासकीय कार्यक्रमों में उपेक्षा की बात शुरू की। अपनी बात कहते-कहते कविता भावुक हो गईं। उन्होंने रूंधे गले से अपनी बात कहने की कोशिश की, लेकिन वे कह न पाईं और रो पड़ीं।

यूं तो महिला का हर जगह सम्मान होता है, महिला का सम्मान तब और बढ़ जाता है, जब वो खुद की श्रेष्ठता साबित करते हुए हजारों के बीच से जनप्रतिनिधि चुनी जाती है, लेकिन बिलाईगढ़ में जब से कविता लहरे जिला पंचायत सभापति चुनी गयी है, तब से एक के बाद एक कई दफा सार्वजनिक तौर पर उन्हें जिल्लत झेलनी पड़ी। ऐसा ही प्रकरण भी हुआ। दरअसल आज बिलाईगढ़ विधानसभा में टीकाकरण महाअभियान का आयोजन किया गया था। आयोजन में कविता लहरे को भी अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। लेकिन, जैसे ही कविता कार्यक्रम में पहुंची, हैरान रह गयी। कार्यक्रम में सभी अतिथियों के नाम की कुर्सियां लगी थी, लेकिन सभापति के लिए कोई कुर्सी ही नहीं थी।

जैसे-तैसे एक कुर्सी नीचे से ले जाकर अनमने ढंग लगायी गयी। ऐसे में जब संबोधन की बारी आयी तो कविता लहरे के सब्र का बांध टूट गया। कांग्रेस की ही जिला पंचायत सभापति अपने ही सरकार के कार्यक्रम में अपनी बेइज्जती और बेबसी पर फूट कर रोने लगी। सालों से बेइज्जती झेल रही बिलाईगढ़ की जिला पंचायत सभापति जब आज सार्वजनिक रूप से ये तक कह गयी “आखिर मेरा सम्मान क्यों नहीं है” उन्होंने कहा कि …

“यहां सभी के नाम की कुर्सी लगी है, यहां सभी का नाम लिखा है, शासकीय कार्यक्रम में जब सभी का नाम है तो मेरा भी नाम होना चाहिये, आप सब से पूछती हूं मैं, मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है, मैं भी एक जनप्रतिनिधि हूं, मुझे जनता ने बहुत उम्मीद जताकर जीताया है, मेरे साथ ऐसा क्यों किया जाता है, मैं आप सब से पूछती हूं, मैंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा”

महिला जनप्रतिनिधि को इस तरह से फूट-फूटकर रोते देख पूरी सभा सन्न रह गयी। दरअसल ये कोई पहला मामला नहीं है, कविता लहरे इस तरह से शासकीय रूप में जिल्लत झेली है। इसके पीछे स्थानीय विधायक चंद्रदेव राय और कविता लहरे की आपसी प्रतिद्वंदिता बतायी जा रही है। कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए कविता लहरे ने कहा कि …

हमको यहां बुलाया गया था, शासकीय कार्यक्रम है, पहला नंबर में मेरा नाम दिया गया था, हमको लगा यहां मान-सम्मान से बुलाया गया है, लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि यहां मेरा कोई मान सम्मान नहीं है, यहां तो मेरे लिए कुर्सी तक नहीं है, नगर पंचायत अध्यक्ष का कुर्सी था, CEO मैडम का कुर्सी था, कलेक्टर महोदय का कुर्सी था, विधायक महोदय का कुर्सी था, लेकिन जिला सदस्य के लिए कोई कुर्सी नहीं था, हम कहां बैठे?