लगातार भजन करते रहने से खेल खेल में काम बन जाता है




सबसे ज्यादा कर्म आंखों से आते हैं
नामदान लिए नए लोगों को सेवा का मौका दीजिये*
उज्जैन (म. प्र.)। इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 1 अप्रैल 2018 को सायं कालीन बेला में आश्रम उज्जैन में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पुराने लोगों को ध्यान रखना है और नए लोगों को इन चीजों को समझाना है। क्योंकि नए लोग जो नामदानी है उनके अंदर भाव तो अच्छा है, भक्ति भी है लेकिन उनको संतमत की जानकारी अभी नहीं है। सुमिरन ध्यान भजन लोग करते हैं। अनुभव अनुभूति विश्वास होता है लेकिन सन्तमत न समझने की वजह से उनका साथ खराब हो जाता है। खानपान गड़बड़ हो जाता है तो अंदर साधना में तरक्की नहीं हो पाती है। इसीलिए जब उनको साथ रखोगे, उनको काम आप बताओगे, जिम्मेदारियां नए लोगों को दोगे तो कुछ दिन में वह भी आप जैसे परिपक्व, आपके सहयोगी साथी मददगार हो जाएंगे। आप से भी आगे बढ़कर के संगत के काम को बढ़ाने में आपके लिए मददगार होंगे।
सतगुरु अपने जानशीन की पहचान कैसे कराते हैं
महाराज जी ने 3 अगस्त 2018 सायं उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि मान लो अंतिम समय में नामदान दे दिया तो नामदान जब दे दिया तो अब उनको कौन पढायेगा बताएगा सतसंग सुनाएगा और वह कैसे विश्वास करेगा जो उनके जानशीन होंगे? इसलिए पहले से ही नामदान देते समय ही जीवात्मा की डोर को काल के हाथ से लेकर के ऊपरी स्थानों पर बांध देते हैं और सतलोक से बराबर वहां तक संभाल करने के लिए आते रहते हैं। जो वहां पहुंच जाता है उसकी उधर से इधर आने की इच्छा होती ही नहीं है, खत्म हो जाती है लेकिन आते हैं, वहां से संभाल करते रहते हैं। डोर हिलाते रहते हैं और वहीं से प्रेरणा देते रहते हैं कि चले जाओ! हमने उसको जिम्मेदारी दिया है। उसको हमने यह काम सौंपा है। वह इस काम को कर रहा है। तुम इसके पास चले जाओ। वहां पर सब सीख जाओगे, समझ जाओगे और फिर उसको करना।
सबसे ज्यादा कर्म आंखों से आते हैं
महाराज जी ने 23 मार्च 2019 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि कर्म आ जाते हैं एक दूसरे के। किसी का खा लिया, किसी के शरीर से शरीर छू गया, रगड़ खा गया, आंखों से आंखें मिल गई तो उसमें भी कर्म आते हैं। सबसे ज्यादा कर्म आंखों से आते हैं। 83 परसेंट अपराध तो आंखों से ही होता है। जब वो कर्म आ जाते हैं, तो उसको भोगना पड़ता है या काटना पड़ता है। आपको यह भी नहीं मालूम है कि कर्म कैसे आते हैं, कैसे कटते हैं। तनिक देर में कट जाते हैं, और तनिक देर में आ जाते हैं।
लगातार भजन करते रहने से खेल खेल में काम बन जाता है
महाराज जी ने 7 अगस्त 2022 सायं बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए संदेश में बताया कि प्रेमियों! आप लोगों को नाम दान मिल गया, रास्ता मिल गया। प्रभु की प्राप्ति के लिए, जिस काम के लिए यह मनुष्य शरीर मिला, वह रास्ता आपको मिल गया। रास्ते पर जब चलोगे, सुमिरन ध्यान भजन जो गुरु महाराज ने बताया, गुरु महाराज के जाने के बाद आपको बताया जा रहा है उसको जब बराबर करते रहोगे तो लगातार करते रहने पर कहते हैं- खेल-खेल में बात बन जाती है। तड़प जिस दिन जाग गई, उसी दिन काम हो जाएगा। कबीर साहब ने कहा -
हंसि हंसि कंत न पाइए, जिनि पाया तिनि रोइ।
धन-संपत्ति के लिए रोते रहते हो, दूसरों से मांगते रहते हो। उससे नहीं मांगते हो जिनसे वह लोग मांगते हैं, जिससे दुनिया मांगती है, उससे नहीं मांग पाते हो। लोगों से कहते रहते हो नुकसान हो गया, रोते हो, तकलीफ हो जाती है। लेकिन तकलीफ आवे क्यों? तकलीफ को हरने वाला है, प्रभु परमेश्वर सच्चिदानंद सतपुरुष है। उसके लिए दो आंसू नहीं बहा पाते। उसके लिए निकल जाए तो उसका नाम है दीनबंधु दीनानाथ गरीब गरीब परवर दिगार। तो फिर वह अपनी गोदी में उठा लेगा। जब देखेगा हां भाई वास्तव में आंसू निकल रहा है, वास्तव में रो रहा है, बनावटी चीज नहीं है तो फिर वह गोद में उठाकर प्यार करने लग जाएगा। क्योंकि उसके तो आप कोई सौतेले बेटे हो नहीं। सब उसी के अंश हो। प्रेमियों! वह आपसे द्वेष नहीं रखेगा। लेकिन वह ज्यादा चाहता है, आप थोड़ा भी चाहोगे तब तो बात बनेगी। चाहोगे ही नहीं तो कैसे बात बनेगी? मतलब बराबर ध्यान सतसंग सेवा भजन में प्रेमियों को समय देना चाहिए।रात में सोने के साथ भजन में भी कुछ समय दो। दिन में जो सेवा किए हो भजन में जब बैठोगे तो आनंद जरूर आएगा। सेवा से जब कर्म कटते, सफाई होती है तब आनंद का अनुभव होता है।