बाबा उमाकान्त ने बताये स्वस्थ रहने के कई प्राकृतिक अचूक सरल स्थाई उपाय...

बाबा उमाकान्त ने बताये स्वस्थ रहने के कई प्राकृतिक अचूक सरल स्थाई उपाय...
बाबा उमाकान्त ने बताये स्वस्थ रहने के कई प्राकृतिक अचूक सरल स्थाई उपाय...

बाबा उमाकान्त ने बताये स्वस्थ रहने के कई प्राकृतिक अचूक सरल स्थाई उपाय

जल्दी पाचन, पेट साफ़, दांत-आँख स्वस्थ रहे, चोट, जुखाम बुखार में आराम के नुस्खे

उज्जैन (म.प्र.)। सर्व ज्ञानी, सर्व समरथ, त्रिकालदर्शी, आदि से अंत का भेद जानने वाले, हर तरह की समस्या बिमारी तकलीफ मुसीबत परेशानी बाधा कमी टेंशन का उपाय जिनके पास है, जो आध्यात्मिक दौलत के साथ-साथ इस दुनिया में भी आराम दिलाते हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज  ने 9 मार्च 2020 उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पूर्वजों ने बढ़िया नियम बना रखे थे। सुबह उठ कर शाम का रखा हुआ पानी पियो। फिर शौच लैट्रिन के लिए दूर जंगल चले जाओ। इतनी देर में पानी पेट में मिल जाता था। बच्चों को बताते थे कि जब शौच में बैठना तो दांतों को दबा लेना। जब मल बाहर हो जाए तो मुंह को खोल देना। इससे दांत जल्दी गिरता ही नहीं था। आंख की रोशनी बनाये रखने के लिए सुबह उठ कर अपने थूक को निकालो, दोनों आंखों में लगाओ। तो जमा गंदगी निकल जाएगी। जमा गंदगी से पर्दा बन जाता है फिर डॉक्टर कहता है मोतियाबिंद हो गया फिर ऑपरेशन करके हटाता है।

जल्दी पाचन के नुस्खे

मौसम के अनुसार प्रकृति ने चीजों को खाने के लिए बनाया। अज्ञानता में लोग सुबह की चीज शाम को खाते हैं और वही चीज नुकसान कर जाती है। सुबह मूली मूल है, दोपहर मूली मूली और शाम को मूली सूली। शाम को मूली खाने पर नुकसान करती है। लेकिन जानकारी रहती है तो गैस की बीमारी को खत्म कर देती है। मूली खाना हजम करती है लेकिन स्वयं हजम नहीं होती है। इसका थोड़ा सा पत्ता साथ में खा लो तो हजम हो जाती है। केला गुणकारी है लेकिन साथ में इलायची दाना खा लो तो जल्दी हजम हो जाएगा। चावल ज्यादा खा लिए हो तो हजम करने के लिए थोड़ा सा नारियल का पानी पी लो या नारियल का टुकड़ा खा लो। अरबी की सब्जी बहुत गरिष्ठ होती है लेकिन साथ में अजवाइन डालने पर गरिष्ठता कम हो जाती है। उड़द की दाल को हींग से बगार देने पर उसकी गरिष्ठता कम हो जाती है। यह सब जानकारी पर निर्भर करता है। जब सतसंग लोगों को मिलता रहता था तो बहुत सारी जानकारियां रहती थी। इसलिए सतसंग में आते रहना चाहिए।

हसिया फावड़ा लगने से कटा हिस्सा न पके इसके लिए ये करें

आप ज्यादातर लोग किसान हो, खेती करते हो। हसिया फावड़ा लग जाए तो वहां कहां डॉक्टर मिलेगा? फॉरेन कटे हुए हिस्से पर पेशाब करो। और अरहर की दाल अगर कहीं लगी हुई मिल जाए तो फौरन उसके 4-6 पत्ते को दांत से दबा करके लुगदी बना कर कटे हुए हिस्से पर लगा कर दबा दो। अगर दबाओगे नहीं तो दाग बन जाएगा। दबा दोगे तो दोनों खाल मिल जाएगी। उसके बाद वही लुगदी बांध दो। पानी न पड़ने पावे तो समझो प्लास्टर हो जाएगा और ठीक करके हटेगा। न मिल पाए तो तुरंत घर चले आओ। लोहे को जलाओ। तेल में थोड़ा सा लोहा भिगोओ और कटे हुए हिस्से को उस खाल को झुलस दो। पकेगा नहीं कभी। और दर्द 2-4-10 मिनट के अंदर ही कम होने लग जाएगा। 

हड्डी मांस में लगी चोट के दर्द का स्थाई इलाज

यदि कटा न हो और धूस चोट मार लग गई हो, हड्डी मांस दर्द कर रहा हो तो हल्दी, नमक और घी (घी न हो तो थोड़ा तेल) को कटे नींबू पर डाल कर गर्म तवे के ऊपर रख दो। बर्दाश्त जितना गर्म होने पर दर्द वाले स्थान पर रखो। सुबह-शाम 15 मिनट सिकाई करो। दस दिन भी अगर आपने सिकाई कर दिया तो कैसा भी धूस लगा है, दर्द नहीं होगा। लोग आयोडेक्स आदि लगा लेते हैं, दवाई खा लेते हैं उससे दर्द तो कम हो जाता है लेकिन हड्डी की जो चोट बनी रहती है और कुछ दिन बाद पुरवा हवा चलने पर वह दर्द उभर आता है। लेकिन इससे दर्द बिल्कुल खत्म हो जाएगा। जमा खून पिघल जाएगा। पिघलने से दर्द नहीं होगा, नहीं तो काला पड़ जाता है, दर्द बराबर बना रहता है। यह सब देसी दवाई हैं। कहते हैं- न सौ दवाई न एक सिकाई। यह सिकाई जब हो जाती है तब दर्द नहीं होता है।

जुखाम बुखार में आराम

मौसम बदल रहा है। अब बुखार जुखाम होगा। इसकी क्या दवा है? चाय अगर आप पीते हो? बहुत से सतसंगी नहीं पीते हैं क्योंकि इसमें मिलावट जब हुई तब से बंद कर दिया। लेकिन एक वह पत्ती वाली चाय आती है जो पिसी हुई सी नहीं नहीं रहती है, डस्ट जिसे कहते हो। वह पत्ती अलग-अलग रहती है। महंगी थोड़ी जरूर है लेकिन वह शुद्ध होती है। उस चाय को बनाओ, थोड़ा सा सौंठ, एक-दो दाना काली मिर्च उसमें डाल दो। उसके बाद उसका काढ़ा पियो। जुखाम खत्म कम होगा। 

कब एक मर्ज जायेगा और दुसरा पैदा होगा?

बुखार आ गया हो तो तुलसी की 8-10 पत्ती को कूट कर उबाल कर पियो और रजाई ओढ़ करके लेट जाओ। एसी/पंखा मत चलाओ। पसीना खूब हो जाए। सुबह दोपहर शाम इसी तरह से 3 दिन में 9 खुराक पी लो तो बुखार कम होगा, उतर जाएगा। यदि कुछ कमी रह जाए तो 2 दिन और पी लो। यह सब बहुत फायदे की देसी दवाई हैं, इनका असर ख़तम नहीं होता है। दूब, बेल, तुलसी की पत्ती आदि को आप सड़ा जला गला दो तब भी इनका असर खत्म नहीं होता है। लहसुन को कच्चा खाओ, जलाओ, भून दोगे तो भी गुण मिलेगा, चाहे असर कम-ज्यादा हो जाए लेकिन ख़तम नहीं होता है। लोग इसको प्रयोग नहीं करते हैं। काढ़ा कौन बनावे? गोली कैप्सूल खा लो। चाहे एक मर्ज जाए और दूसरा पैदा हो जाए। बुखार उतर जाए लेकिन लीवर खत्म हो जाये, भूख खत्म हो जाए। कोई परवाह नहीं, गोली, कैप्सूल ही खाएंगे। तो तकलीफ तो बढ़ेगी ही बढ़ेगी। एक बीमारी जाएगी दूसरी पैदा हो जाएगी। संयम-नियम का पालन करोगे तो बिमारियों से बचे रहोगे।