क्या बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों के नेताओं और असदुद्दीन ओवैसी को पीएम मोदी के देश हितैषी और मुस्लिम हितैषी भाषण पर अपना राजनीतिक खतरा नजर आ रहा है?

Are the leaders of anti-BJP opposition parties and Asaduddin Owaisi

क्या बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों के नेताओं और असदुद्दीन ओवैसी को पीएम मोदी के देश हितैषी और मुस्लिम हितैषी भाषण पर अपना राजनीतिक खतरा नजर आ रहा है?
क्या बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों के नेताओं और असदुद्दीन ओवैसी को पीएम मोदी के देश हितैषी और मुस्लिम हितैषी भाषण पर अपना राजनीतिक खतरा नजर आ रहा है?

NBL, 28/06/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: Are the leaders of anti-BJP opposition parties and Asaduddin Owaisi seeing their political threat on PM Modi's pro-country and pro-Muslim speech?

भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों के नेताओं की नियत पर बात की विपक्षी दलों के सभी नेताओं के उपर भ्रष्टाचार व घोटाले का ठप्पा लगा है और देश में भ्रष्टाचार व घोटाले करना उसकी गारंटी है और मै भी आज गारंटी देता हूँ मेरे प्यारे देशवासियो को जो घोटाले देश में की है उसको जेल तक पहुँचाने की गारण्टी देता हूँ। अगर आपको उन भ्राष्टाचारियों के बेटा बेटी की चिंता है तो आप उन्हें अपना वोट दे सकते है, अगर देश के लोगों को अपना बेटा बेटी पोता पोती व देश की तरक्की चाहते है तो भारतीय जनता पार्टी कमल छाप में वोट देवे क्योकि हम 140 करोड़ देशवासियो की चिंता करते है सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के साथ हम तुष्टिकरण नहीं संतुष्टिकरण की राजनीति करते हैं।पीएम नरेंद्र मोदी ने मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में आए और बीजेपी कार्यकर्ता के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आजकल विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है, कांग्रेस ने गरीब दलित मुस्लिम परिवार को धोखा दिया है. सदियों से और आज भी इन मुसलमानों को विपक्षी दलों के द्वारा धोखा दिया जा रहा है, वोट बैंक की राजनीति की जा रही है, जबकि जिस राज्य में हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, वहां इन मुस्लिम परिवारों के सभी वर्गों को आवास जैसी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के मिल रहा है।

उज्ज्वला योजना, आयुष्मान योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के साथ-साथ ये मुस्लिम परिवार अपने हक का लाभ भी उठा रहे हैं. भाजपा की सबका साथ सबका विकास की जनहित नीति को देखकर विपक्षी दलों के नेताओं को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है, इसलिए ये विपक्षी दलों के नेता तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोगों की सेवा बीजेपी के द्वारा की जा रही है लाभ दे रहे हैं, अब इन मुस्लिम परिवारों को भी समझ लेना चाहिए कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने उनके हित में क्या किया और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी सरकार उनके हित में कितना काम कर रही है, क्योंकि ये मुस्लिम लोग भी हमारे देश के परिवार का हिस्सा हैं। हम तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करते क्योंकि ये मुस्लिम परिवार भी देश का नागरिक है और देश की सभी योजनाओं का लाभ लेना उनका अधिकार है। 

मुस्लिम बहनो के लिए जो न्याय व्यवस्था हमारे बीजेपी सरकार ने तीन तलाक को रोकने वाले कानुन देश में हमने लाये उनसे हमारे मुस्लिम पीड़ित बहनो को आज न्याय मिल रहा है जो गरीब परिवार अपने बेटी के शादी के लिए लाखो रुपए खर्च कर उनके खुशी के लिए इबाबत करते थे या अल्लाह मेरी बेटी को तलाक जैसे अभिशाप से दूर रखना वह टेंशन अब बिल्कुल भी नहीं है, भले ही इसका विरोध किया कुछ कट्टर प्रवित्ति के मुस्लिमो ने जिनके बेटी नहीं है या औरत जाति को अपना पैर की जूती मानता था लेकिन खुद मुस्लिम बहनो ने इस तीन तलाक कानून की खुलकर समर्थन की और यह तीन तलाक की कानून सफलता के साथ देश में लागू हुआ और इसका लाभ मुस्लिम समाज के बेटियों को आज मिल रहा है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का भी जिक्र किया एक राष्ट्र एक परिवार में दो कानून नही होना चाहिए UCC होना राष्ट्र के एकता को दर्शता है यह कार्य बहुत पहले हो जाना था देश में इससे भी तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त हो जायेगा जो एक धर्म वर्ग को अपने राजनीतिक मतलब के लिए इस्तेमाल कर रहे है जबकि इस UCC से देश के हर धर्मों के लोगों का विकास होगा और सभी धर्मों के लोगों में समानता आयेगी एक देश, एक कानून यानी देश में रहने वाले सभी नागरिकों के अंदर राष्ट्र प्रेम होगा सभी प्रकार के भेदभाव सब मिट जायेंगे (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक कानून होना बहुत जरूरी है अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में देश के सभी नागरिकों के लिए एक से कानून होंगे।

इंडियन मुस्लिम लाॅ बोर्ड को देश में उनके लिए UCC कानून नहीं होना चाहिए बाकी देश में लूट पाट, रेफ, मर्डर, और अन्य वारदातों के लिए हिंदू, सिक्ख, जैन, बौद्ध जैसे समान कानून इन इंडियन मुस्लिमो को चाहिए लेकिन राष्ट्र निर्माण राष्ट्र एकता के लिए इनको एक समान कानून नहीं चाहिए तो ठीक है सऊदी अरब जैसा कानून बना लो रेफ, चोरी, स्मगग्लिंग मादक पदार्थ से लेकर जो अन्य वार दात आपके मुस्लिम समाज के लोगों के द्वारा होगा वैसा सजा कानून बना लो मौत की सजा, कोड़े मारे जाने की सजा, हाथ काटने की सजा और सरे आम फांसी चढ़ाने की सजा जो बहुत से मुस्लिम देश में ये कानून है, वैसा कानून बना लो।

हर हमेशा दखलन्दांजी देना उचित नहीं है, कुछ अपने धर्म समाज के लोगों की हित व अहित दोनों को अपने विचार में लानी चाहिए तब उस विषय पर बात करनी चाहिए एक दम से आरोप या प्रत्यारोप कर आपका नकार देना यह सब उचित नहीं है क्योकि देश में और बुद्धिमान लोग रहते हैं, जैसे मैंने ही कह दिया देश के युनीफार्म सिविल कोड से सहमत नहीं है तो मुस्लिम देश सउदी अरब जैसे शख्त कानून अपने धर्म समाज के लोगों के लिए देश में बना लीजिए ताकि आप अपने धर्म में अटल रहो अगर हिंदुस्तान की UCC पसन्द नहीं है तो देश मे अलग थलग कानून के साथ रहना चाहते है तो दुनिया के अन्य मुस्लिम देश के शख्त कानून इंडिया में बना लो या तो UCC को अपना लो और इस कानून के तहत अपने मुस्लिम धर्म समाज के लोगों के साथ एक न्याय नीति के साथ देश में सभी धर्मो के साथ एकता के साथ रहो एक राष्ट्र एक कानून तो सबका साथ सबका विकास एक साथ होगा एक को माँ एक को मौसी वाला कानून की कहानी देश में नही रहेगा बल्कि सब एक समान अधिकार कानून के साथ भाईचारे के साथ देश में एक साथ रहेंगे।

* क्‍यों जरूरी है: Uniform civil code?

दरअसल, दुनिया के किसी भी देश में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं है। लेकिन भारत में अलग-अलग पंथों के मैरिज एक्ट हैं। इस वजह से विवाह, जनसंख्‍या समेत कई तरह का सामाजिक ताना-बाना भी बि‍गडा हुआ है। इसीलिए देश के कानून में एक ऐसे यूनिफॉर्म तरीके की जरूरत है जो सभी धर्म, जाति‍, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्‍टम में लेकर आए। इसके साथ ही जब तक देश के संविधान में यह सुविधा या सुधार नहीं होगा, भारत के पंथ निरपेक्ष होने का अर्थ भी स्‍पष्‍ट तौर पर नजर नहीं आएगा।

इसके साथ ही अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में लंबित पड़े फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।

महिलाओं की स्थिति सुधरेगी: Uniform civil code लागू होने से महिलाओं की स्थिति सुधरेगी। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।

क्यों हो रहा विरोध : Uniform civil code का विरोध करने वालों का मत है कि ये सभी धर्मों पर हिन्दू कानून थोपने जैसा है। जबकि इसका उदेश्‍य साफतौर पर सभी को समान नजर से देखना और न्‍याय करना है। कई मुस्‍लिम धर्म गुरुओं और विशेषज्ञ Uniform civil code को लागू करने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि हर धर्म की अपनी मान्‍यताएं और आस्‍थाएं होती हैं। ऐसे में उन्‍हें नजरअंदाज नहीं किया जा सक‍ता।

दुनिया के इन देशों में है Uniform civil code: भारत में समान इसे लेकर बड़ी बहस जारी रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में Uniform civil code लागू किया जा चुका है।

* Supreme Court ने कब-कब क्‍या कहा?

Uniform civil code को लेकर Supreme Court भी कई बार अपनी टि‍प्‍पणी कर चुका है। Supreme Court ने इसके लिए अलग-अलग प्रकरणों का हवाला दिया और इस बारे में अपने तर्क रखे थे।

* शाहबानो प्रकरण 1985

‘यह बहुत दुख का विषय है कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 44 एक मृत अक्षर बनकर रह गया है। यह प्रावधान करता है कि सरकार सभी नागरिकों के लिए एक ‘समान नागरिक संहिता’ बनाए, लेकिन इसे बनाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किए जाने का कोई ठोस प्रमाण अब तक नहीं मिला है’

* सरला मुदगल केस 1995

‘संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत व्यक्त की गई संविधान निर्माताओं की इच्छा को पूरा करने में सरकार और कितना समय लेगी? उत्तराधिकार और विवाह को संचालित करने वाले परंपरागत हिंदू कानून को बहुत पहले ही 1955-56 में संहिताकरण करके अलविदा कर दिया गया है। देश में समान नागरिक संहिता को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने का कोई औचित्य नहीं है। कुछ प्रथाएं मानवाधिकार एवं गरिमा का अतिक्रमण करती हैं। धर्म के नाम पर मानवाधिकारों का गला घोटना निर्दयता है, राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को मजबूत करने के लिए नितांत आवश्यक है।’

* जॉन बलवत्तम केस 2003

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह दुख की बात है कि अनुच्छेद 44 को आज तक लागू नहीं किया गया। संसद को अभी भी देश में एक समान नागरिक संहिता लागू के लिए कदम उठाना है। 

पीएम नरेंद्र मोदी के खुली चुनौती का तोड़ अब विपक्षी दलों के नेताओं के पास कौन सा होगा 2024 के लोकसभा/विधानसभा चुनाव में या वही राग अलापेंगे महंगाई या बेरोजगारी को लेकर या तुष्टिकरण की राजनीति के बल पर देश के लोगों से अपने हक में वोट मागेंगे या बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ देश की लोकतंत्र जायेंगे सबका साथ सबका विकास वाले मुद्दे पर अब तो 2024 के चुनाव परिणाम से ही पता चलेगा चुनाव से पहले राजनीतिक दंगल तो अभी जारी रहेगा आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला अभी चलता रहेगा लोक लुभावान वाली राजनीति देश में जारी रहेगा अब देश के लोगों में इसका प्रभाव कितना होगा ये तो दूरदृष्टि विवेक शील भारतीय लोकतंत्र नागरिक तय करेंगे 2024 चुनाव में पीएम मोदी का जीत या सभी विपक्षी दलों के नेताओं की जीत देश के सभी मतदाताओ से सादर विनती है देश के मान सम्मान व देश के विकास के बारे में जरूर एक बार दिल दिमाग दोनों से विचार करना क्योकि हम देश की लोकतंत्र ही देश की ताकत है।