देश के 15 राज्यों के 32 IFS ने छत्तीसगढ़ के विकास योजनाओं का किया अध्ययन... CM भूपेश से की मुलाकात... कह दी ये बड़ी बात......

छत्तीसगढ़ की नरवा विकास योजना देश के अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय अध्ययन दल में आये भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात में कहा नरवा योजना भू-जल संरक्षण के साथ लोगों की आय बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण साबित हो रही- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों का संग्रहण कार्य सराहनीय

देश के 15 राज्यों के 32 IFS ने छत्तीसगढ़ के विकास योजनाओं का किया अध्ययन... CM भूपेश से की मुलाकात... कह दी ये बड़ी बात......
देश के 15 राज्यों के 32 IFS ने छत्तीसगढ़ के विकास योजनाओं का किया अध्ययन... CM भूपेश से की मुलाकात... कह दी ये बड़ी बात......

Chhattisgarh, Narva Development Plan is exemplary for other states of the country, 32 IFS from 15 states of the country met the Chief Minister after studying state government's development plans, Indian Forest Service officers study team were all praises for the Narva scheme in the meeting with the Chief Minister, Collection work of minor forest produce in Chhattisgarh is commendable

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जल और वन संवर्धन की दिशा में सरकार द्वारा चलाये जा रहे नरवा विकास योजना और लघु वनोपज के संग्रहण का कार्य बखूबी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की ये योजना देश के अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय है। उक्त बातें छत्तीसगढ़ के अध्ययन भ्रमण में पहुंचे भारतीय वन सेवा के 2014-15 बैच के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के दौरान कहीं। भ्रमण दल में देश के 15 राज्यों से भारतीय वन सेवा के 32 अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से दो दिवसीय भ्रमण के बाद अपने अनुभव साझा किये।

इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ वनों के मामले में समृद्ध राज्य है। यहां वनों के साथ-साथ वनों पर आश्रित आदिवासियों-वनवासियों के विकास के लिये नवाचार का प्रयोग करते हुये कई योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसी तारतम्य में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा विकास योजना की सराहना देश के अन्य राज्यों में भी होने लगी है। यह योजना वनांचल में भू-जल संरक्षण के साथ-साथ लोगों की आजीविका और आय संवर्धन में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। 

 

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि जंगलों के संवर्धन और संरक्षण के लिये जरूरी है कि हम इमारती लकड़ी ही नहीं बल्कि वर्तमान दौर में फलदार वृक्षों के रोपण को भी अधिक से अधिक बढ़ावा दें। इससे वनवासियों का आजीविका संवर्धन तो होगा ही साथ ही साथ वन्य प्राणियों के भोजन और रहवास की सुविधा भी उपलब्ध होगी। उन्होंने राज्य में वनों के विकास के क्रम में संचालित नरवा विकास योजना का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में नवाचार का प्रयोग करते हुये भू-जल संरक्षण के लिये नरवा विकास योजना को लागू कर इसका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन जारी है। इसके तहत 8 हजार नरवा को पुनर्रजीवित करने के लिये वृहद स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। इनमें से अब तक वनांचल के 6 हजार 395 नरवा को पुनर्जीवित तथा जीर्णोद्धार किया जा चुका है। इनके क्रियान्वयन से राज्य में लगभग 23 लाख हेक्टेयर रकबा को भू-उपचार का लाभ मिलेगा।  

 

मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि राज्य में नरवा विकास योजनांतर्गत वन क्षेत्रों में कराये जा रहे भू-जल संरक्षण कार्य से अनेक लाभ प्राप्त हो रहे हैं। इनमें वनों में मिट्टी के कटाव में कमी आयी है। वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर में बढ़ोतरी से वनों के पुनरोत्पादन क्षमता में वृद्धि दर्ज हो रही है साथ ही साथ वन्य प्राणियों के लिये वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में पेयजल की सुविधा हुई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा वन क्षेत्रों में रोजगार के भी बेहतर प्रबंध सुनिश्चित हुये हैं। नालों के आस-पास कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि हो रही है। भूजल संरक्षण के कार्यों के माध्यम से वन क्षेत्रों एवं वनों के आस-पास के ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

 

इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने संबोधित करते हुये राज्य में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिये संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने इस दौरान विशेषकर वर्तमान सरकार द्वारा वनवासियों के हित में संचालित लघु वनोपजों के संग्रहण कार्य और नरवा विकास आदि योजनाओं के बारे में जिक्र किया। उन्होंने बताया कि राज्य में वनवासियों के हित में लिये गये फैसले के परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ लघुवनोपजों के संग्रहण में लगातार अव्वल बना हुआ है। यहां देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपजों का संग्रहण हो रहा है। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड राकेश चतुर्वेदी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैंपा व्ही श्रीनिवास राव ने भी संबोधित किया। 

 

भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने साझा किए अनुभव 

 

गुजरात के अग्निश्वर ब्यास ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह दो दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ आए हैं। उन्होंने कहा - हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित नरवा विकास योजना के तहत पंपार नाला का भ्रमण किया तथा नरवा पुनर्जीवन का कार्य देखा। उन्होंने राज्य में संचालित योजना की सराहना करते हुए कहा कि इस योजना का क्रियान्वयन जीआईएस पद्धति से डी.पी.आर. तैयार कर क्रियान्वित किया गया है। 

 

इसी तरह ओडिशा की पूर्णिमा पी. ने बताया कि पंपार नाला में स्थित विभिन्न संरचनाओं, एनआरएम इंजीनियर द्वारा जीआईएस पद्धति का उपयोग कर विभिन्न संरचनाओं का स्थल चयन अत्यंत सटीक था एवं गुणवत्ता उत्तम है। उन्होंने कहा कि जिसके कारण परिणाम दो वर्ष में ही दिखने लगा है। वन क्षेत्र में पुनरोत्पादन में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। हिमाचल प्रदेश की सुविना ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण के क्षेत्र में कार्य देखा गया। इस दौरान धमतरी स्थित दुगली प्रसंस्करण केन्द्र का भ्रमण किया एवं देखा कि कैसे स्व-सहायता समूह के महिलाओं द्वारा कार्य किया जा रहा है और उन्हें लागातार रोजगार मिल रहा है जो कि महिला सशक्तिकरण का एक बहुत अच्छा उदाहरण है।

 

मणिपुर के शन्नगम एस. ने प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया कि कैसे छत्तीसगढ़ में 13 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को वन संसाधन अधिकार प्रदत्त कर ग्राम पंचायतों को प्रबंधन हेतु सौंपा गया है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ में वन संसाधन की दिशा में सर्व श्रेष्ठ पहल हुई है। झारखण्ड के सत्यम कुमार ने बताया कि हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ की राजधानी के नवा रायपुर में स्थित जंगल सफारी का भ्रमण किया। यह हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है, जिसमें दुर्लभ प्रजाति के अनेक जंगली जानवरों को रखा गया है, जंगल सफारी का प्रबंधन बहुत अच्छा है।

 

इसी तरह तेलंगाना के प्रदीप कुमार सेट्ठी ने बताया कि हमने छत्तीसगढ़ का नाम नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से सुना था, परन्तु यहां आने के बाद प्रस्तुतीकरण में पाया गया कि यहां अनेक पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो कि मन मोह लेने वाली दिखाई दी जैसे- चित्रकोट का वाटर फॉल, तीरथगढ़ का जल प्रपात आदि। अतः भविष्य में जब भी मुझे कहीं भ्रमण करने का मौका मिलेगा तो मैं छत्तीसगढ़ में दोबारा जरूर आना चाहूंगा।