2022: सिक्ख व हिन्दू धर्म पर्व वैशाखी पर आज का लेख,इसे पढ़े जरूर.

2022: Today's article on Sikh and Hindu religious festival Vaisakhi, definitely read it.

2022: सिक्ख व हिन्दू धर्म पर्व वैशाखी पर आज का लेख,इसे पढ़े जरूर.
2022: सिक्ख व हिन्दू धर्म पर्व वैशाखी पर आज का लेख,इसे पढ़े जरूर.

NBL, 14/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Raipur CG: 2022: Today's article on Sikh and Hindu religious festival Vaisakhi, definitely read it.

भारत में बैसाखी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू व सिख धर्म के लोगों का यह एक खास पर्व है। इस पर्व को लोग प्रतिवर्ष 13 अप्रैल के दिन मनाते हैं। इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण हिंदू धर्म में यह रहा है कि इस समय लोग रबी की फसल को काटते हैं और रबी की फसल पकने की खुशी में ही इस त्यौहार को मनाया जाता है, पढ़े विस्तार से...। 

हिंदू व सिख धर्म के सभी लोग वैशाखी के पर्व को मनाते हैं। लेकिन इस पर्व का सबसे ज्यादा प्रचलन पंजाब और हरियाणा में है। पंजाब और हरियाणा में बैसाखी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग हर गली हर मोहल्ले में बैसाखी का आयोजन करते हैं। सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार को बड़े चाव से मनाते हैं। ऐसे भी कह सकते हैं कि यह त्यौहार सिख समुदाय के लोगों के लिए खास त्यौहार है।

सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार को इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन खालसा पंथ की शुरुआत हुई थी। सिख धर्म में गुरु गोविंद सिंह ने इसी दिन खालसा पंत की नींव रखी थी और उसी के उपलक्ष में इस त्यौहार को सिख समुदाय द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस त्यौहार को मनाने का कारण.. . 

यह पर्व रबी की फसल काटने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस त्यौहार को हमारे देश भारत में सबसे ज्यादा पंजाब में और हरियाणा राज्य में मनाया जाता हैं। यह सिख धर्म का त्यौहार है तो पूरे देश में सिख धर्म के लोगों द्वारा हर जगह मनाया जाता हैं। बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवे गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। जिस कारण से इस त्यौहार की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाता हैं।

बैसाखी के दिन क्या होता है?... 

बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए हर शहर व मुहल्ले में मेला लगता हैं। सामान्यता आमतौर से ऐसे स्थान पर बैसाखी मेला का आयोजन किया जाता है, जहां पर इसका धार्मिक महत्त्व होता हैं। साधारण रूप से बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए बैसाखी मेला नदी या नहर अथवा तालाब के किनारे या मंदिर के स्थानों पर यह मेला लगता हैं। बैसाखी पर्व के एक दिन पूर्व यहां बाजार लगता हैं।

इस मेले में अनेक मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों जैसे अनेक चीजों की अनेक दुकानें लगाई जाती हैं। सभी लड़के-बच्चे और स्त्रियां घूमते है, झूलों में बैठते हैं और हवा में तेजी से ऊपर-नीचे होते हुए बहुत ही खुश होते है और इन झूलों में बच्चे इनमें बैठकर बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं। बैसाखी के इस मेले में अनेक नट, जादूगर और बाजीगर भी आ जाते हैं।

बैसाखी को कैसे मनाया जाया है?. .. 

चाट-पकौडी की दुकानो पर बच्चों और स्त्रियों की बहुत भीड़ दिखाई देती हैं। बैसाखी के दिन तो इन मेले में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है, चारों ओर आदमी-ही-आदमी दिखाई देते हैं। बैसाखी मेले में लोक-नृत्य का प्रदर्शन भी किया जाता हैं। मेले के एक भाग में बहुत से लोग घेरा बनाकर खड़े दिखाई देते हैं। ये आमतौर पर आस-पास के गाँवों के किसान होते हैं। वे ढोल-नगाडों की तान पर अपने लोक-नृत्यों का प्रदर्शन करते हैं। हाथों में वे लम्बे-लम्बे डंडे लिये होते हैं, उन्हें हवा में उछाल कर कूदते है और डंडे लपक लेते हैं।

नृत्य करने वाले लोग हाथ-पैरों को हवा मे उछाल कर वे जोर-जोर से “बैसाखी आई रे, बैसाखी आई रे” जैसे गीत गाते हैं, सभी नृत्य करने वाले खुशी से झूमते हैं। बहुत-से दर्शक भी अपने आपको नहीं रोक पाते और स्वय नाचने लगते हैं, जिसे देखकर सभी बहुत ही खुश होते है और एक दुसरे को बैसाखी की बधाई देते है।

इस बैसाखी मेले में एक ओर आमोद-प्रमोद के अनेक साधन होते हैं, जो लोगो को काफी खुशनुमा बना देते है तो दूसरी ओर अनेक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने धर्म के प्रचार का काम करते हैं। इनमें भक्ति भजन गाये जाते हैं और धार्मिक प्रवचन होते हैं। यही बैठकर लोग सांसारिक वैभव भूल कर ईश्वर का ध्यान करते हैं।

वैशाखी के अवसर पर लोग अपने मोहल्लों में बैसाखी का आयोजन करते हैं। इस दिन जगह-जगह पर मेलों का आयोजन भी होता है। ऐसे तो यह त्यौहार सभी धर्म के लोगों के लिए खास त्यौहार है। लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इस त्योहार का सिख समुदाय के लोगों के लिए है।