छिंदगढ़ में 1 करोड़ 65 लाख 97 हजार रु. के घटिया निर्माण कर राशि की हुई बंदरबाट-दीपिका




आरटीआई के अंतर्गत नहीं मिलती जानकारी
आरटीआई को मैनेज करने विभाग ने तैनात किए है दलाल
सुकमा जिले के भूसंरक्षण विभाग में पिछले कई वर्षों से लगातार बड़े पैमाने पर की जा रही अनियमितताओं वसहायक संचालक अधिकारी कैलाश मरकाम की विशेष भूमिका पर भाजयूमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिकाशोरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से सुकमा जिले का भूसंरक्षण विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु रहा है जहां पर विभाग के दलाल सक्रिय होकर अपने तरीके से कार्य कर किसानों के हित मे होने वाले कार्यों में अधिकारियों के साथ संलिप्त होकर शासकीय राशि का बंदरबांट कर रहे हैं जिसकी जानकारी होते हुए भी विभागीय अधिकारी आंख बंद कर बैठे हुए हैं,जिससे साफ पता चलता है कि इस विभाग के दलालों को सत्तापक्ष का संरक्षण प्राप्त है मैंने स्वयं सारे कार्यों का अवलोकन किया है व किसानों से इस विषय मे चर्चा किया है जिससे पता चला कि करोङो रु का निर्माण तो हो गया पर धरातल पर लाभ शून्य है ,
विभागीय कार्य को कर रहे है दलाल व रसूखदार लोग
इतना ही नहीं दीपिका ने
सहायक संचालक अधिकारी कैलाश मरकाम पर आरोप लगाते हुए कहा कि
किसानों के हित में चलाई जा रही राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी तथा आदर्श कही जाने वाली योजना "नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी" जो किसानों के विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए उन्नत कृषि की बुनियादी सुविधाओं से किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं में कांग्रेस की भूपेश सरकार अपनी पीठ थपथपा रहा है, लेकिन सुकमा जिले के भू-संरक्षण के सहायक संचालक अधिकारी कैलाश मरकाम इसका सबसे बड़ा उदहारण हैं।कैलास मरकाम के द्वारा शासन के द्वारा स्वीकृत इन विभागीय कार्यों को दलालों एवं रसूखदार लोगों के साथ मिलकर गुणवत्ताहीन निर्माण कर शासन को करोङो का चूना लगा चुके हैं
1 करोड़ 65 लाख 97 हजार के कार्य में अनियमितता कर लगाया शासन को चूना
दीपिका ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर के द्वारा मनरेगा योजना के तहत 2018 में छिंदगढ़ विकासखण्ड के विभिन्न ग्राम पंचायतों में 1करोड़ 65 लाख 97 हजार की लागत से चिपुरपाल के पोंदुम नाला में पाँच, मुर्रेपाल में एक व मेंखावाया में एक कुल 7 स्थानों पर स्टॉपडेम व चेकडेम निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए परन्तु इस विभाग के अधिकारियों एवं दलालों के कारण सभी कार्यों का निर्माम गुणवत्ताहीन स्तर से किया गया जिसके कारण किसानों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है कार्यों में बड़े स्तर पर तकनीकी त्रुटियां भी की गई हैं
सत्ता पक्ष का हाथ होने के कारण बड़े अधिकारियों की भी नहीं सुनते कैलास मरकाम
दीपिका ने बताया की लगातार अनियमितता की शिकायत मिलने पर मैंने इस विषय मे सूचना के अधिकार के तहत जनवरी 2021 में जानकारी मांगी थी समय पर जानकारी न देने पर मैंने पुनः आवेदन दिया था जिस पर उप संचालक कृषि के द्वारा सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु 14/1/2021 को प्रथम पत्र 2/2/2022 को दृतिय पत्र एवं 8/2/2021 को तृतीय पत्र लिखा बावजूद इसके आज तक मुझे किसी भी प्रकार की जानकारी कैलाश मरकाम के द्वारा नहीं दी गई
सूचना के अधिकार में भी दलाल सक्रिय
दीपिका ने बताया कि जब मैंने जानकारी हेतु बार बार आवेदन लगाया तो इन्ही के चाहने वाले दलालों में से एक ने जानकारी के एवज में सेटिंग कराने का भी ऑफर दिया परन्तु जब मैनें स्पष्ट तौर पर मना कर दिया व कहा कि दुबारा ऐसी बात करोगे तो कोर्ट में नजर आओगे तो दलाल ने काल करना बंद कर दिया
सही प्रकार से जांच हो अन्यथा किसानों के हित मे होगा आंदोलन
दीपिका ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में भूमि संरक्षण विभाग के द्वारा किए गए कार्यों की जांच कर उचित कार्यवाही होनी चाहिए व इस विभाग को दलालों से मुक्त करने हेतू जिला प्रशासन को उचित कार्यवाही करनी होगी अन्यथा आने वाले दिनों में किसानों के हित में आंदोलन किया जावेगा जिसका जवाब सरकार को देना होगा।
दीपिका ने बतायव की शिकायत मिलने पर जब हमने इस विषय मे जानकारी लेने हेतु ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण किया तो जो तश्वीर निकल कर सामने आई वो यह थी
कृषि हेतु बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों को विभागीय अधिकारी की अनियमितता के कारण तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण स्टॉप डैम से ही संतोष करना पड़ रहस्य है, किसानों को खेती में सहजता मिले, इसके लिए समय- समय पर जल निकासी के लिए अधिकतम 3 से 4 छोटे गेट बनाए जाते हैं ताकि बाढ़ की स्थिति में पानी का निकास किया जा सके। ऐसे में स्टाप डेम में 4 से अधिक गेट बनाने से जल का जमाव कम हो जाएगा और ज़रूरत के मुताबिक किसानों को सिंचाई के लिए जितना पानी उपयोग के लिए मिलना चाहिए, वह नहीं मिल सकेगा। जबकि विभागीय अधिकारी कैलाश मरकाम ने तकनीकी स्वीकृति के विरुद्ध जाकर नियम से ज्यादा हर स्टॉप डैम में 9 से 10 गेट बना दिए है। इसी खराब गुणवत्तायुक्त निर्माण की वजह से कई स्टॉप डैम बारिश में बह गये। स्टॉप डैम के लिए इस्तेमाल किये गये गेट नदियों व नालों में बह गए। बहे गेट का इस्तेमाल ग्रामीण पशुपालन के लिए झोपड़ियां और मछलियों को पकड़ने के रूप में उपयोग कर रहे हैं।वहीं स्टीमेट के तकनीकी मापदंड व ड्राइंग के आधार पर स्टीमेट के आइटम नंबर (तकनीकी वस्तु) 14/2606/S/SOR/WRD में स्टॉप डैम के निर्माण में 3 लाख की लागत से 1.50 व 1.00 मापदंड से 1.20टन के 2 नग स्लूजिंग गेट को लगाया जाना चाहिए था। जिससे नदी व नहर के पानी की धारा (प्रवाह) को रोक कर किसानों के खेतों तक समूची मात्रा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सके। इतना ही नहीं भू संरक्षण के सहायक संचालक जिला अधिकारी कैलाश मरकाम ने प्रशासकीय व तकनीकी स्वीकृति के नियमों का सरासर उल्लंघन करते हुए स्टॉप डैम के स्वीकृति पर चेक डेम का निर्माण कर योजना व नियमों की धज्जियां उड़ा दी।
प्रशासकीय स्वीकृति नियम के विरुद्ध कराया गया निर्माण -
दीपिका ने ये भी कहा कि किसी भी अधोसंरचना के निर्माण के लिए सरकार द्वारा तकनीकी मापदंड तय किये जाते हैं, जिसके अनुरूप निर्माण कार्य कराए जाने की अपेक्षा व निर्देश के साथ प्रशासकीय स्वीकृति दी जाती है। इस दौरान किसी तकनीकी मापदंड में बदलाव की स्थिति में प्रशासन के समक्ष युक्तियुक्त कारण प्रस्तुत कर संशोधन किया जाना होता है। इसके विरुद्ध जाकर निर्माण कार्य कराया जाना प्रशासन के नियमों का उल्लंघन कर सरकार की राशि का गलत रूप से इस्तेमाल करना गबन के दायरे में आता है, जिसका कि प्रशासन द्वारा वैधानिक कार्यवाही के साथ-साथ संबंधित से गबन राशि की वसूली का प्रावधान है।जिसका उल्लेख निर्माण कार्य के कार्य आदेश में स्पष्ट रूप से किया जाता है। बावजूद इसके नियमों को ताक में रखकर विभागीय अधिकारी द्वारा स्टाप डेम के निर्माण कार्य में अनियमितता बरती गयी है।
हितग्राही नहीं, जिला अधिकारी ले रहे योजना का लाभ -
किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से सरकार की प्राथमिक योजनाओं का लाभ भले ही हितग्राहियों को मिले या न मिले, पर जिले के विभागीय अधिकारी निर्माण कार्य की आड़ में योजना का भरपूर लाभ ले रहे हैं। किसानों को सिंचाई से लाभान्वित करने के लिए नियमों के विरुद्ध कराए गए स्टॉप डैम के निर्माण से अब तक तो किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना के नाम पर दलाल व विभागीय अधिकारियों ने शासन व प्रशासन के करोड़ों रुपए का चूना जरूर लगा डाला है।