जीवात्मा अपना साक्षात्कार करने पर कहती है - अहम् ब्रह्मास्मि

जीवात्मा अपना साक्षात्कार करने पर कहती है - अहम् ब्रह्मास्मि
जीवात्मा अपना साक्षात्कार करने पर कहती है - अहम् ब्रह्मास्मि

जीवात्मा अपना साक्षात्कार करने पर कहती है - अहम् ब्रह्मास्मि

सन्त उमाकान्त  महाराज  ने बताया बच्चे कब अच्छे नेक निकलते हैं

जयपुर (राजस्थान) : इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त  महाराज ने 1 जुलाई 2023 में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गर्भावस्था में मां के भोजन से बच्चे को पोषण और आचरण से संस्कार मिलते हैं। जो माताएं धार्मिक, दयावान, संस्कारी, परोपकारी, सत्यवादी, नामदानी है तो सुमिरन ध्यान भजन करती रहती हैं, और अगर अभी तक सन्तों के पास नहीं पहुँच पाई हैं, नाम नहीं मिला है, किसी भी देवी-देवता भगवान को याद करती रहते हैं, उनके बच्चे अच्छे नेक निकलते हैं। देखो एक पुरुष-औरत के दो बच्चे होते हैं। कहते हैं बड़ा वाला योग्य, लायक, बुद्धिमान है और दूसरा बच्चा नालायक है, बात ही नहीं मानता है। एक देव रुप और दुसरा शैतान। ऐसा लोग क्यों कहते हैं क्योंकि उस (गर्भावस्था के) समय पर उनका विचार भावना अलग था जिनका असर बच्चे पर पड़ता है, संस्कार बनता है। अभिमन्यु ने चक्रव्यूह का भेदन गर्भ में ही सीख लिया था। संस्कार उसके ऐसे थे। तो बच्चे का संस्कार बनता है। यह अंग भी तत्वों से ही बनते हैं जैसे पृथ्वी तत्व से गुदा और नासिका बनती है जिनका दोनों का काम शरीर की गंदगी (मल और गन्दी वायु / अपान वायु) को बाहर निकालने का हैं। अग्नि से आंख और पैर, वायु से त्वचा, आकाश तत्व से कान और मुंह बनता है। जब किसी अंग में तत्वों की कमी रह जाती है तो वह अंग कमजोर रहता है। जैसे किसी के दाहिने और किसी के बाएं हाथ में ताकत ज्यादा रहती है। कुछ लोग शुरू से ही बाएं हाथ से ही लिखते हैं, वही ताकत मिली। उसी को उन्होंने बलवान बना लिया। वैसे अगर व्यायाम किया जाए, दोनों हाथों से काम लिया जाए तो दोनों हाथों में ताकत रहेगी, चलते-फिरते रहेंगे। इसको अगर व्यायाम, शरीर की मेहनत के द्वारा मजबूत बनाए रहेंगे तो सब अंग मजबूत हो जाते हैं। हर अंगों से काम लिया जा सकता है। तो भी कुछ न कुछ अंतर रहता है। नेगेटिव पॉइंट्स, पुरुष स्त्री जिसको कहते हैं, वह कुछ न कुछ दोनों में रहता है, अंग में कोई कमी हो जाती है, किसी चीज की अंदर में। तो शरीर की रचना इस तरह से हुई है। आगे और भी शरीर के बारे में महाराज जी ने अपने सतसंग में बताया।

एक गांव के आदमी ने कहा कि हमारे गांव में तो नौजवान बुड्ढे होते ही नहीं

महाराज  ने 1 जुलाई 2023 जयपुर (राजस्थान) में बताया कि एक गांव के आदमी ने कहा कि हमारे गांव में तो नौजवान, बुड्ढे होते ही नहीं। हमको तो बड़ी चिंता है। कहा दादा, कौन सा अन्न-बूटी-दवाई खिलाते-पिलाते हो की आदमी जवान ही रहे, बुड्ढा न हो। बोले भैया, सब जवान शराबी निकल गए। तो कोई कट कर, कोई कुचलकर मर जा रहा है। कोई शराब की बोतल से ही दूसरे शराबी के सिर को फोड़ कर मार रहा, मर जा रहा है। तो यह गांव ही उजड़ जाएगा, कोई रह ही नहीं जाएगा। सब जवान खत्म होते जा रहे हैं। शराबी हो गया तो कोई भरोसा रह जाएगा? नहीं रह जाएगा। योग साधना करने वाले, अपने प्राणों को खींचने वाले, अपनी जीवात्मा को ऊपरी लोकों में ले जाने वाले की 100 साल से भी ऊपर की उम्र हो जाती है, उसकी स्वास बची रहती है। बैठने में कम, चलने में ज्यादा, सोने में और ज्यादा और रतिक्रिया भोगविलास में सबसे ज्यादा सांसों की पूंजी खर्च होती है। इसीलिए तो ऋषियों ने संयम-नियम बनाया था। जब बच्चा पैदा करने को हो तभी औरत के पास जाना। 15 दिन-महीने में एक बार का नियम बनाया था। रोज मनोरंजन का साधन बन जाएगा तो कैसे आदमी ज्यादा दिन तक जिंदा रहेगा। समझ लो, संकेत में बता रहा हूं। इस समय पर उम्र लोगों की जल्दी खत्म होती चली जा रही है।

जीवात्मा अपना साक्षात्कार करने पर कहती है, अहम् ब्रह्मास्मि

महाराज  ने 2 जुलाई 2023 जयपुर (राजस्थान) में बताया कि जब कर्म कटते हैं तब रोशनी में जब ये जीवात्मा जाती है। तब निरखे हंस रुप अपना, झूले अदर बजारी। तब जब अपने रूप को जीवात्मा देखती है, अपना साक्षात्कार करती है तब यह कहती है- अहम् ब्रह्मास्मि। मैं ही ब्रह्म हूं। ताकत भी आ जाती है। हर तरह से जीवात्मा के अंदर ताकत आ जाती है। लेकिन वह ताकत नीचे के लोकों के लिए आती है। नीचे में मृत्यु लोक हैं, इसमें सफलता के लिए आती है, ऊपर के लोकों के लिए नहीं आती है। लेकिन जब सुरत/जीवात्मा शब्द में समा जाती है तब इसके अंदर देवी-देवताओं को भी खिलाने, देवी-देवताओं की रचना करने की शक्ति, ताकत आ जाती है। वो कैसे होता है, अभी बताने के लिए समय कम है, नामदान भी देना है। फिर कभी बता देंगे।