बस्तर में पॉल दिनांकरण मसीही समाज का सभा का विरोध कर,विश्व हिन्दू परिषद भाई चारा खराब करने का असफल प्रयास बेहद दुःखद असंवैधानिक कृत्य, सभी धर्मो को अपना अपना सभा प्रचार प्रसार करने का हैं संवैधानिक अधिकार प्राप्त, पर वि.ही.प.का यह कैसा असंवैधानिक मांग समझ से परे, पॉल के सभा वें स्वयं भी आए झूठा आरोप ना लगाए - नरेन्द्र भवानी /छ. ग. यु. मंच.




बस्तर में पॉल दिनांकरण मसीही समाज का सभा का विरोध कर,विश्व हिन्दू परिषद भाई चारा खराब करने का असफल प्रयास बेहद दुःखद असंवैधानिक कृत्य, सभी धर्मो को अपना अपना सभा प्रचार प्रसार करने का हैं संवैधानिक अधिकार प्राप्त, पर वि.ही.प.का यह कैसा असंवैधानिक मांग समझ से परे, पॉल के सभा वें स्वयं भी आए झूठा आरोप ना लगाए - नरेन्द्र भवानी /छ. ग. यु. मंच.
सभी धर्मो को अपना प्रचार प्रसार सभा व स्वतंत्रता रूप से मानने का हैं संवैधानिक अधिकार, बस्तर में भी पॉल दिनांकरण की सभा भी होगा इसी भारतीय संविधान में मिले अधिकारो के कारण देश राज्य जिला भारत के संविधान से चलता हैं, वी. ही. प. की सभा को रद करने की मांग गैर संवैधानिक आपसी भाई चारा ख़त्म करने का असफल प्रयास, मसीही समाज नें सभी समजा प्रमाखो को इस सभा में आने हेतू लगातार दें रहें निमंत्रण फिर वी. ही. प. यह आपसी भाई चारा ख़त्म करने का क्यूँ कर रहें कार्य - नरेन्द्र भवानी /छ. यु. मंच
जगदलपुर : मामले में छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेन्द्र भवानी नें आज दिनांक 24 अक्टूबर को बयान जारी कर कहा हैं की बस्तर में मसीही समाज द्वारा पॉल दिनांकरण जी का सभा आयोजन पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा सभा रद करने की मांग की जा रही हैं और हवाला यह दिया जा रहा हैं की सभा के दौरान धर्मनांतरण को बड़ावा मिलेगा इसी लिए सभा नहीं होना चाहिए ऐसा कहना वी. ही. प. का हैं जो की असंवैधानिक मांग हैं, जबकि भारतीय संविधान अनुसार अनुच्छेद 25 के अंतर्गत हर धर्म को उनके प्रचार प्रसार सभा करने का अनुमति प्रदत हैं,ऐसे में किसी भी धर्म को मानने वालों का उनका संवैधानिक अधिकार का हनन करना गलत व चिंता का विषय भी हैं, क्यूंकि आज आजाद भारत में संविधान चलता हैं और संविधान को ही कुचलने जैसा कदम किसी भी वर्ग हित हेतू सही नहीं हैं, जबकि मसीही समाज द्वारा इस पॉल दिनांकरण जी का सभा में आने हेतू निमंत्रण दिया जा रहा हैं, वी.ही.प. को अगर सभा गलत लगता हैं तो वें भी इस सभा में आकर क्या गलत हों रहा हैं देख सकते हैं, किन्तु सभा का विरोध करना संविधान में मिले अधिकारो का हनन करने जैसा प्रयास होगा जो किसी भी वर्ग हेतू सही नहीं होगा।