क्षेत्र में महुआ बिनने कार्य में लगे ग्रामीण, जंगलों में आग न लगे -विभाग की बढ़ी जिम्मेदारी।




नयाभारत सितेश सिरदार:–लघु वनोपज में महुआ फूल संग्रहित किया जाना वनवासी ग्रामीणो के ख़ास पेशे में हैं। सीजन में महुआ संग्रहित करना आर्थिक आय का अच्छा जरिया है। इससे लोगों को अच्छा मुनाफा हो जाता है। वन परिक्षेत्र लखनपुर अन्तर्गत आने वाले तमाम सर्किलों के जंगलो में बसे हुए गांवों के लोग इन दिनों महुआ बीनने कार्य में जुटे हुए नजर आने लगे हैं। सुबह से शाम तक ग्रामीण इलाकों के महिला, पुरुष, बच्चे बुजुर्ग महुआ पेड़ों के नीचे बिनौला इकठ्ठा करते हुये समय गुजार रहे हैं। महुआ आर्थिक आय का अच्छा जरिया है।
मौजूदा वक्त में महुआ 30-40 रूपये प्रति किलो ग्राम तक बेचीं खरीदी जा रही है। लोगों को अच्छा आमदनी हो रहा है। महुआ सुखने के बाद किमत में और तेजी आने की बात कही जा रही है। कच्ची शराब बनाने के उद्देश्य से लोग महुआ को एकत्रित कर घरों में रखते है। बाद में शराब बनाकर बेचते एवं पीते है। महुआ के सीजन में अक्सर जंगलों में आग लगने की शिकायत रहती है । लिहाजा वन विभाग पूरी सतर्कता बरत रही है। दरअसल महुआ पेड़ के नीचे साफ-सफाई करने के मकसद से ग्रामीण सुखी पतियों में आग लगा देते हैं। जिससे जंगल के जंगल दावानल में जलकर भस्म हो जाते हैं। सबसे ज्यादा क्षति तैयार होने वाले छोटे नवजात पौधों को होता है। महुआ बीनने के दौरान जंगलों में आग न लगे इसको लेकर वन विभाग पूरी एहतियात बरत रही है।
इस संबंध में वन परिक्षेत्राधिकारी मेरी लीला लकड़ा ने बताया — ग्रामीणों द्वारा महुआ संग्रहित करने के दौरान जंगलों में आग न लगायें निगरानी करने हिफाजती दस्ता परिक्षेत्र के बीटों में तैनात किये गये हैं। साथ ही महुआ बीनने वाले लोगों को वनों को आग से रक्षा करने समझाइश दी जा रही है। साथ ही फायरवाचर भी लगायें गये हैं। जिससे पेशतर से पेशतर आग पर काबू पाया जा सके।
फिलहाल जंगलों में छोटी मोटी आग की घटना को छोड़कर बड़े आगजनी होने की खबर नहीं है।