मानव जीवन से जुड़े बेहद आम बातें जिनके पीछे छुपे है गूढ़ रहस्यों को हम कभी समझ नहीं पाते, गौतम बुद्ध ने बताए इस संसार को चार सिद्धांत, पढ़े जरूर..

Very common things related to human life,

मानव जीवन से जुड़े बेहद आम बातें  जिनके पीछे छुपे है गूढ़ रहस्यों को हम कभी समझ नहीं पाते, गौतम बुद्ध ने बताए इस संसार को चार सिद्धांत, पढ़े जरूर..
मानव जीवन से जुड़े बेहद आम बातें जिनके पीछे छुपे है गूढ़ रहस्यों को हम कभी समझ नहीं पाते, गौतम बुद्ध ने बताए इस संसार को चार सिद्धांत, पढ़े जरूर..

NBL, 05/06/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. RAIPUR CG: Very common things related to human life, behind which we can never understand the esoteric mysteries, Gautam Buddha told four principles to this world, definitely read..

गौतम बुद्ध के द्वारा दी गई शिक्षा के चार मूल सिद्धांत हैं-संसार दुखों का घर है, दुख का कारण वासनाएं हैं, वासनाओं को मारने से दुख दूर होते हैं व वासनाओं को मारने के लिए अष्टमार्ग अपनाना चाहिए। अष्टमार्ग के सूत्र---शुद्ध ज्ञान, शुद्ध संकल्प, शुद्ध वार्तालाप, शुद्ध कर्म, शुद्ध आचरण, शुद्ध प्रयत्‍‌न, शुद्ध समृति, शुद्ध समाधि, पढ़े विस्तार से... भगवान बुद्ध के द्वारा दी गई अनमोल ज्ञान और चार प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार से है, जो हम मनुष्य के जीवन को नई दिशा देगी... 

1. जन्म दुःखदायी होता है। बुढा़पा दुःखदायी होता है। बीमारी दुःखदायी होती है। मृत्यु दुःखदायी होती है। वेदना, रोना, चित्त की उदासीनता तथा निराशा ये सब दुःखदायी हैं। बुरी चीजों का संबंध भी दुःख देता है। आदमी जो चाहता है उसका न मिलना भी दुःख देता है। संक्षेप में ‘लग्न के पाँचों खंड’ जन्म, बुढा़पा, रोग, मृत्यु और अभिलाषा की अपूर्णता दुःखदायक है।

2. हे साधुओं ! पीडा़ का कारण इसी ‘उदार सत्य’ में निहित है। कामना- जिससे दुनिया में फिर जन्म होता है, जिसमें इधर- उधर थोडा़ आनंद मिल जाता है- जैसे भोग की कामना, दुनिया में रहने की कामना आदि भी अंत में दुःखदायी होती है।

3. हे साधुओं ! दुःख को दूर करने का उपाय यही है कि कामना को निरंतर संयमित और कम किया जाए। वास्तविक सुख तब तक नहीं मिल सकता, जब तक कि व्यक्ति कामना से स्वतंत्र न हो जाए अर्थात् अनासक्त भावना से संसार के सब कार्य न करने लगे।

4. पीडा़ को दूर करने के आठ उदार सत्य ये हैं- सम्यक् विचार, सम्यक् उद्देश्य, सम्यक् भाषण, सम्यक् कार्य, सम्यक् जीविका, सम्यक् प्रयत्न, सम्यक् चित्त तथा सम्यक् एकाग्रता। सम्यक् का आशय यही है कि- वह बात देश, काल, पात्र के अनुकूल और कल्याणकारी हो।

इस स्थिति को प्राप्त करने के लिए बुद्ध ने ‘तीन मूल बातों’ को जान लेने की आवश्यकता बतलाई-

1.संसार में जो कुछ भी दीख पड़ता है, सब अस्थायी और शीघ्र नष्ट होने वाला है।

2. जो कुछ दीख पड़ता है उसमें दुःख छिपा हुआ है।

3. इनमें से किसी में स्थायी आत्मा नहीं है, सब नष्ट होंगे। जब सभी चीजें नष्ट होने वाली हैं, तब इनके फंदे में क्यों फँसा जाए? तपस्या तथा उपवास करने से इनसे छुटकारा नहीं मिल सकता। छुटकारे की जड़ तो मन है। मन ही मूल और महामंत्र है। उसको इन सांसारिक विषयों से खींचकर साफ और निर्मल कर दो, तो मार्ग स्वयं स्पष्ट हो जायेगा। राग और कामना (झूठा प्रेम व लालच) न रहने से तुम्हारे बंधन स्वयं टूट जायेंगे।

धर्म का सीधा रास्ता यही है कि शुद्ध मन से काम करना, शुद्ध हृदय से बोलना, शुद्ध चित्त रखना।कार्य, वचन तथा विचार की शुद्धता के लिए ये दस अज्ञाएँ माननी चाहिए-

1.किसी की हत्या न करना

2. चोरी न करना

3. दुराचार न करना

4. झूठ न बोलना

5. दूसरों की निंदा न करना

6. दूसरों का दोष न निकालना

7. अपवित्र भाषण न करना

8. लालच न करना

9. दूसरों से घृणा न करना

10. अज्ञान से बचना।

भगवान् बुद्ध ने समझाया कि- जो संसार में रहते हुए इन नियमों का पालन करेगा और सबसे प्रेम- भाव रखते हुए भी राग- द्वेष से अपने को पृथक् रखेगा, वह अपने जीवन- काल में और शरीरांत के पश्चात् भी सब प्रकार के अशुभ परिणामों से मुक्त रहेगा। इस बात की कोई आवश्यकता नहीं कि मनुष्य जंगलों में जाकर तपस्या करे और भूख- प्यास, सर्दी- गर्मी आदि का कष्ट सहन करे। मुख्य आवश्यकता इस बात की है कि अपने चित्त को संतुलित रखकर किसी के प्रति किसी प्रकार का दुर्व्यवहार न करे। प्रकट में मीठी बातें करके परोक्ष में दूसरों के अनहित की चेष्टा करना जघन्य कार्य है। इसलिए सच्चा धार्मिक उसी व्यक्ति को कह सकते हैं, जो हृदय में प्राणीमात्र के प्रति सद्भावना रखे और उनकी कल्याण- कामना करे। जो किसी से द्वेष नहीं रखेगा, आवश्यकता पड़ने पर पीडि़तों और अभावग्रस्तों की सेवा- सहायता से मुख नहीं मोडे़गा, कुमार्ग अथवा गर्हित आचरण से बचकर रहेगा, उसे जीवनमुक्त ही समझना चाहिए। ऐसा व्यक्ति कभी भव- बंधन में ग्रसित नहीं हो सकता है।

भगवान गौतम बुद्ध के द्वारा दी गई ज्ञान तन मन को शांति प्रदान करता है, और अपने जीवन को विकास की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा व प्रकाश देता है, जो भगवान बुद्ध के सिद्धांत पर चला वही आज नया इतिहास रचा, क्योकी आप कई आडम्बरो को त्याग कर ईश्वर के सत्य मार्ग में चलकर आप शुद्ध हो गए और जन हिताय और जन सुखाय के भावना से आपके जीवन में चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली आएगें।