Tulsi Vivah 2022: तुलसी विवाह के मुहूर्त और विधि, ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी,नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट....

देवउठनी एकादशी के दिन लोग व्रत और पूजा आदि करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। Tulsi Vivah 2022: Muhurta and method of Tulsi marriage, these mistakes can be heavy, note the worship method

Tulsi Vivah 2022: तुलसी विवाह के मुहूर्त और विधि, ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी,नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट....
Tulsi Vivah 2022: तुलसी विवाह के मुहूर्त और विधि, ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी,नोट कर लें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट....

Tulsi Vivah 2022: Muhurta and method of Tulsi marriage, these mistakes can be heavy, note the worship method

डेस्क। देवउठनी एकादशी के दिन लोग व्रत और पूजा आदि करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयन काल के बाद जागते हैं और अपना कार्यभार संभालते हैं। कहते हैं कि इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष तिथि की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से सबसे बड़ी एकदाशी होता है देवउठनी एकादशी। 

आज भूलकर भी न करें ये काम 

 

व्रत करें या न करें लेकिन आज नॉनवेज-शराब जैसी तामसिक चीजों का सेवन गलती से भी न करें। ऐसा करना अच्छी-भली जिंदगी में मुसीबतों को बुलावा देना है। देवउठनी एकादशी के दिन देर तक न सोएं, ना ही स्नान करने में देरी करें। आज ब्रम्हचर्य का पालन करें। किसी से अपशब्द न कहें। देवउठनी एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत अहम माना गया है, लिहाजा आज व्रत रखें। यदि बीमारी या किसी अन्य कारण से व्रत न कर पाएं तो भी दिन में केवल एक समय ही सात्विक भोजन ही करें।  देवउठनी एकादशी के दिन किसी भी पेड़-पौधे की टहनी या डाल न तोड़ें। यहां तक कि आज दातुन भी न करें। ऐसा करना से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं। 

 

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल 
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी 
पंचामृत 
अक्षत
तुलसी दल
चंदन 
मिष्ठान
मूली
शकरकंद
सिंघाड़ा 
आंवला 
बेर 
मूली 
सीताफल 
अमरुद और अन्य ऋतु फल।  

एकादशी पूजा- विधि-

 

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

 


देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। 
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।


भगवान की आरती करें। 
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। 


इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। 
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।