मेरी प्रकृति में ऐसी कोई वस्तु नहीं बची है जिसका मनुष्य ने दोहन न किया हो, आज उसका लालच संपूर्ण मानव जाति के लिए अभिशाप बनकर अपना रौद्र रूप दिखा रहा है।
There is no such thing left in my nature which has




NBL, 14/07/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: There is no such thing left in my nature which has not been exploited by man, today his greed is showing its fierce form by becoming a curse for the entire human race.
मै प्रकृति तुम लोगों के लिए स्वक्छ प्राकृतिक पर्यावरण हूँ जो तुम्हारे आसपास ही रहती हूँ, तुम्हारे ध्यान रखती हूँ और हर पल तुम्हारी माँ के समान पालन-पोषण करती हूँ। तुम लोगों के चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती हूँ जो मै हर प्रकार के नुकसान से तुम्हे बचाती हूँ। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी मुझ प्रकृति स्वरूप के बिना तुमलोग इस काबिल नहीं हो कि इस धरती पर रह सको। मै प्रकृति तुम्हारे आस-पास कई रुपों में रहती हूँ जैसे पेड़, जंगल, जमीन, हवा, नदी, बारिश, तालाब, मौसम, वातावरण, पहाड़, पठार, रेगिस्तान आदि मुझ प्रकृति का ही एक स्वरूप है मुझ प्रकृति के हर स्वरुप बहुत शक्तिशाली है जो तुम्हारे पालन पोषण हर हमेशा ममतामयि रूप में मै करती हूँ अगर मुझे गुस्सा आ गयी तो नाश करने की भी क्षमता मै रखती हूँ। संपूर्ण संसार के मानव जाति धर्म के लोगों की पालन पोषण करने वाली मै प्रकृति ही हूँ, आप जिस भी धर्म से होंगे उस धर्म का खुदा, भगवान या जो भी आप कहते या मानते होंगे अपने धर्म के अनुसार उसका भी रचना मुझ प्रकृति के माध्यम से हुई, आप अपने धर्म खुदा भगवान जिसको भी याद कर लो मुझ प्रकृति के विनाश को रोकने के लिए लेकिन वह नही रोक पाते क्योकि धर्म/अधर्म का बोध उस खुदा भगवान को है और मुझ प्रकृति का दंड देना अधर्म से संबध रखती है जो मुझ प्रकृति का विनाश करता है तो मै भी उसका विनाश करती हूँ, अब आप बिना गलती वाले मेरे विनाश की चपेट में आ रहे हो तो मेरी क्या गलती अब आप लोग गलती करने वाले को नही रोकते टोकते हो इसलिए तो उस पाप की भागीदारी बनकर आप भोले भाले ईमानदार जनता भी भुगतते है और आप लोगों के साथ साथ बेजुबान पशु पक्षी जीव जंतु सब भुगगते है मुझ प्रकृति की प्रकोप को। और इस तरह से मुझ प्रकृति को करना कतई अच्छा नही लगता लेकिन आप बुद्धिमान मानव जाति के इस हरकत का दंड देना मुझ प्रकृति की विवशता है।
भाग दौड़ व्यस्त रहने वाले लोगों को आज प्रकृति चेता दिया की हम चाहे तो आपके उदंडता का दंड दे सकते हैं, और आप चमचमाते कार व मोटर साइकिल में घूमते हैं और हम प्रकृति को धूल धुआँओ से भर देते हो और हमें चैन से रहने नही देते आप बुद्धि मान इंसान और मेरे प्रकृति के सभी संसाधन को विकास के नाम पर मेरे अच्छे सुंदर रूप को कुरूप करते हो और अपने सुख के लिए मेरे सुख चैन छीन लेते हो तो मेरा भी तो बनता है कि आप मानव जाति को सबक सिखाऊ ताकि अपने आप मे सुधार कर सको की प्रकृति से बड़ा बलवान कोई नहीं हो सकता है करके लेकिन आप मानव जाति बड़े बुल्कलड़ हो बहुत जल्दी मेरे प्रकोप को भूल जाते हैं।और फिर रात दिन गलती करते रहते हैं, कभी जमीन का पेड़ कांट कर प्लाट काट कर लोगों के लिए आलीशाँ मकान बनाते हैं और मेरे बड़े पेड़ की जगह पाप काटने के लिए छोटे छोटे पौधों को लगा देते हैं, वह भी सुंदर दिखने वाले प्लांट पौधों को जो ज्यादा व बड़े मात्रा में आक्सीजन नही देता है।
तो प्रकृति प्रदूषित तो होगा ही होगा जब आप इंसान प्रदूषित जल भोजन को ग्रहण नही करते है तो मै प्रकृति आपके द्वारा पैदा किया गया कार्बन डाइऑक्साइड जैसे जहरीला गैस को कैसा ग्रहण कर सकती हूँ, जरा विचार कीजिए संसार के मानव जाति समाज आपके गलतियों की सजा बेजुबान पशु पक्षी भी भुगत रहे हैं, जबकि मै प्रकृति आप मानव जाति के साथ साथ समस्त जीव जंतु का ख्याल रखती हूँ, शुद्ध पेयजल प्रदान करती हूँ शुद्ध हवा देती हूँ, शुद्ध भोजन अनाज फल सब्जी सभी प्रकार के वस्तु देती हूँ जबकि तुम मानव जाति समाज ज्यादा पैदावारी और ज्यादा धन प्राप्त करने के लिए अपने जमीन पर जहरीला केमिकल पेस्टिसाइज डालकर खुद जहर को खा पी रहे हैं आप मानव और मेरे प्रकृति को भी जहरीला बना रहे हैं और साथ साथ बहुत से जीव जंतु की भी हत्या कर रहे हैं जो आप मानव के जैसे जीव जंतु भी मेरे प्रकृति का एक हिस्सा है।
आप मानव जाति मेरे प्रकृति के हद व सरहद को भी नहीं छोड़ते जैसे नदी किनारे झोपडी़ व मकान बनाना और कुछ रुपिया पैसा वाले धनवान लोग तो बड़े बड़े होटल रेस्त्रा रेस्टोरेंट बनाकर मनमानी कर रहे हैं, विकास के नाम पर मेरे नदी के अंदर ब्रिज खंभे बनाकर मेरे जल प्रवाह को सकरा कर दे रहे हैं तो मैं आपके खूबसूरत शहर और आपके खूबसूरत सड़क और आपके खूबसूरत मकान के तरफ अपना जल प्रवाह को ले जाना ही पड़ता है और यह विनाश मैं नहीं लायी हूँ बल्कि आप मानव जाति ही इस विशाल जल बाढ़ को अपने विनाश करने के लिए आमन्त्रित करते हैं तो इसमें मेरी क्या गलती, अब मेरे जल प्रवाह बाढ़ के प्रभाव से आप जन मानव स्वक्छ जल के लिए भी तरस जाते हैं,
अस्त व्यस्त जिंदगी हो जाती है आप मानव के साथ साथ बेजुबान जीव जंतु पशु के उपर अगर मै दया ना दिखाउ दो तीन दिन के जगह सात दिन तक जलमग्न कर दु तो अनेक प्रकार के बीमारियों से ग्रस्त हो जायेंगे चारों तरफ हाहाकार मच जाएगा और आपके राजसत्ता में बैठे सरकार का भी औकात पता चल जाता है आप लोकतन्त्र को आप जन के सुरक्षा के लिए कोई उपाय किया या नहीं किया उसके पहले तो अपने शहर के विकास विकास बोलकर आप शहर वासी को बेवकूफ बनाते रहते हैं।
अब दिल्ली में ही देख लो आपके सरकार की विकास जो मेरे जल प्रवाह बाढ़ के प्रकोप से थर्रा गया है और आपके पास हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन कर रहे हैं कुछ दिनों के लिए स्वक्छ जल नहीं मिलेगा तीन जल फिल्टर प्लांट बन्द हो गया है, यह सब इस यमुना के जल स्तर के बढ़ने के कारण हो गया है जब यमुना का जल स्तर कम होगा तो इन वाटर फिल्टर मशीन को सुखाकर मशीन चालू कर आप दिल्लीवासियों को स्वक्छ जल दिया जायेगा अब दिल्ली की विकास की पोल खुल गया मेरे यमुना नदी के जल स्तर के बढ़ने से और मेरे थोड़े से विकराल स्वरूप से दिल्ली सरकार की औकात का पता चल गया मुफ्त में बिजली पानी देने वाले अब क्यों मुफ्त में बोतल या कैंन में पानी भर कर या खरीद कर दिल्ली वासियों के घरो घर मकान में जाकर लोगों को देने की बात क्यों नहीं कर रहे हैं, इसलिए मुझ प्रकृति से प्रेम करो मैं सुरक्षित तो आप सुरक्षित नहीं तो आपके सरकार की सरकारी मेरे पास नहीं चल सकती।
मुझ प्रकृति को जितना नुकसान पहॅुचाओगे आप मानव उतना ही आने वाले समय काल में आप मानव जीवन और संकट में पड़ जायेंगे, ये मैं प्रकृति डरा नही रही हूँ बल्कि आप मानव को चेता रही हूँ चेत जाओ पहाड़ पर्वत जल जंगल सब आपके लिए विनाश पैदा कर देगा अगर प्रकृति का विनाश करोगे तो नाना प्रकार के बीमारी जिसका इलाज आपके मानव निर्मित विज्ञान के पास भी नहीं होगा और मेरे प्रकोप से आपके बनाए सुंदर शहर श्मशान घाट में परिवर्तित हो जायेगी मानव जाति का संसार में समूल नाश हो जायेगी जो संसाधन मुझ प्रकृति के पास है उनका जरूरत से ज्यादा दोहन करोगे तो मै प्रकृति भी उतना ही तीव्र गति से आप मानव का भी मैं दोहन करूँगी सब कुछ आपके धन दौलत मकान शहर गाँव के विकास को मैं विनाश में बदल दूँगी, और मेरे विनाश को रोकने के लिए आप मानव जाति के पास कोई हथियार व टेक्नोलाजी नही है जो रोक सके मुझ प्रकृति के प्रकोप को मैं एक ही झटके में आपका सब कुछ मिटा दूँगी,
किस बात पर गुमान है आप मानव जााति को आप एक देश दूसरे देश को अपने ताकत दिखाने के लिए नाना प्रकार के अत्याधुनिक एटमी हथियार बना कर डरा धमका सकते हैं, अगर मैं प्रकृति चाह लू तो आपके पलक झपकाने से पहले मैं आपके बनाए हथियार से भी ज्यादा आपके जीवन में तवाहि ला सकती हूँ, आपके बनाए हथियार से बचने के लिए आप बंकर में चुप सकते है लेकिन मुझ प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए आपके पास कोई स्थान या हथियार नहीं बना है क्योकि मै ब्रम्हांड सत्ता का स्वामी मै खुद प्रकृति हूँ, मुझ प्रकृति से खिलवाड़ आप मानव जाति मत करो अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है, रूस युक्रेन के युद्ध में बम बारूद के विस्फोट से मुझ प्रकृति को कितना नुकसान पहुँच रही हैं ये दर्द मुझे कितना सहन करनी पड़ रही है ये मैं ही जानती हूँ वैसा ही दुनिया में कितना परीक्षण किया जा रहा है अणु परमाणु ऊर्जा
की मुझ प्रकृति के उपर क्या क्या मैं नही झेल रही हूँ आप मानव जाति के उदंडता को आकाश से लेकर पाताल तक को अपने बनाए घातक तीव्र परीक्षण कर मुझ प्रकृति को आघात पहुँचा रहे हो तो मैं आप मानव जाति से बचने के लिए मैं भी तो तवाहि ला सकती हूँ और ला भी रही हूँ फिर भी आप मानव जाति को समझ नही आ रहा है।