भ्रष्टाचार पर विपक्ष को कोई छूट नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका विपक्षी दलों ने बीजेपी पीएम मोदी को दिया एक और बड़ा मुद्दा.

There is no exemption for the opposition on corruption,

भ्रष्टाचार पर विपक्ष को कोई छूट नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका विपक्षी दलों ने बीजेपी पीएम मोदी को दिया एक और बड़ा मुद्दा.
भ्रष्टाचार पर विपक्ष को कोई छूट नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका विपक्षी दलों ने बीजेपी पीएम मोदी को दिया एक और बड़ा मुद्दा.

NBL, 06/04/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: There is no exemption for the opposition on corruption, Supreme Court gave a big blow Opposition parties gave another big issue to BJP PM Modi.

आज पीएम मोदी सरकार की सबल राजनीति के कारण, बीजेपी के विपक्षी दलों के नेताओ की राजनीति को पीएम मोदी हिला के रख दिया है, लाख बुरा चाहे लोग लेकिन वही होगा जो खुदा मंजूरे होगा वही फायदा उस ईश्वर मोदी सरकार को दे रहा है। पीएम मोदी को झुकाने के उद्देश्य से बहुत से विपक्षी दलों के नेताओ के द्वारा देश के सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी लगाया था, ED, CBI का दुरूपयोग किया जा रहा है केंद्र में बैठे बीजेपी पीएम मोदी सरकार के द्वारा करके लेकिन इन विपक्षी दलों के नेताओ के यह नीति काम नहीं आया उलटा सुप्रीम कोर्ट  झटका लगा दिया विपक्षी दलों के नेताओ को।

सदियों पहले देश के संविधान कानून को अंधा कानून की संज्ञा दी जाती रही, क्योकि पहले के भारत में जिसका दम उसका हम का बोलबाला था, भ्रष्टाचार देश में चहु ओर विकास के पथ पर चल रहा था, वैसा उस समय काल के राजनीतिक नेताओ का वर्चस्व था, जो वह बोल दिया वही ब्रम्हा का लकीर बन जाया करता था, क्योकि देश में उस समय देश के बहुत से लोगों में शिक्षा की कमी हुआ करता था, इसलिए अपने हक की आवाज उठाने के लिए असमर्थ हो गया था, और उस समय देश में अकाल से पीड़ित और गरीबी रेखा में जीने वाले लोग 79℅ था जो अपने ही जीवन बचाने के लिए दिन रात लगा रहता था। 

पूर्व सरकार के कुछ अच्छे उच्च विचार नेताओ के प्रयास से देश में शिक्षा, बिजली, सड़क, पानी, व स्वास्थ्य सुविधाये देश में देने लगा लेकिन देश के अंदर ही बैठा था, कुछ भ्रष्टाचार नेता जो इन अच्छे देश हित कामों के गुणवत्ता को शून्य स्थिति में ले जाकर, इन कामो के लिए आये बजट को ही खा जाते थे, और इन लोगों को रोकने व टोकने वाले इसके अगेंस में कोई नहीं होता था अगर कोई होता भी तो उसका भी मुह बन्द कर दिया जाता था उनको कुछ रुपिया देकर और जो रुपिया नहीं लेते थे उनको अपने पावर से थाना या जेल तक का सफर करवा दिया करता था ये राजनीतिक नेता इतना रसुख दार दबंग नेता हुआ करता था उस समय।

लोकतन्त्र का हत्या तो पूर्व के सरकार में हुआ करता था, जो देशवासीयो के हक हिस्सा को इन भ्रष्टाचार नेता लोग खा जाते थे कुछ अच्छे नेता लोग आज हम देशवासीयो को सोशल मिडिया का जमाना तक लाया जो आज देश के लोग पूर्ण रूप से स्वतन्त्र भारत के स्वतन्त्र लोकतन्त्र आज सही से अपना अपना जीवन अपने तरीके से सही से जी रहे हैं, पहले के जमाने में रोटी कपड़ा और मकान के लिए दिन रात जद्दोजहद में लगे रहते थे देशवासी उपर से इन भ्रष्टाचारियों के कारण मौत को गले लगा लेता था उस समय काल में लोग आज तो सब कुछ अपने शिक्षा व अपने अच्छे कार्यो के बल पर आगे बढ़ रहा है, देश के लोग, आजके जनता और आजके कोर्ट और देश के सभी जाँच एजेंसियां व देश के तीनों सेना बल अपने आप अपना अपना अपने से अच्छे करत्वयो का पालन देश में कर रहा है तभी तो देश के भ्रष्टाचारियों और आतंकीय फैलाने वाले लोगों का नीव हिल गया है, इसका जवाब आज देश के सर्वोच्च न्यायालय भी अपने कानून के हिसाब से जवाब दे रहे हैं, इन राजनीतिक नेताओ को। 

सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'देखिए, यह किसी पीड़ित व्यक्ति की याचिका नहीं है, यह राजनीतिक दलों की याचिका है.सिर्फ कुछ आंकड़ों और आंकड़ों के आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि जांच रोक दी जानी चाहिए? अंततः एक राजनीतिक नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है। नागरिकों के रूप में, हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं।"

विपक्षी दल नेताओ का वकील सिंघवी ने कहा, 'मैं यहां चल रही जांच में दखल देने के लिए नहीं हूं। यदि आंकड़े परेशान करने वाले प्रभाव दिखाते हैं, तो मैं केवल दिशा-निर्देश मांग रहा हूं।सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस नेआगे कहा, "आप कहते हैं कि सात साल से कम दंडनीय अपराधों के लिए, कोई गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, जब तक कि ट्रिपल टेस्ट संतुष्ट न हो। मैं आपको एक सरल उदाहरण देता हूँ। भले ही यह राजनीतिक नेताओं पर केंद्रित है, लेकिन वे किसी भी प्रतिरक्षा का आनंद नहीं लेते हैं। ऐसे मामले लें जिनमें शारीरिक अखंडता पर हमला शामिल न हो। करोड़ों के आर्थिक घोटाले हैं। क्या हम यह कह सकते हैं कि चूंकि इसमें शारीरिक अखंडता शामिल नहीं है इसलिए गिरफ्तारी नहीं करें?"

शीर्ष अदालत ने कहा कि राजनीतिक नेता भी भारत के नागरिक हैं। 'राजनीतिक नेता बिल्कुल देश के नागरिकों के समान खड़े होते हैं। वे उच्च पहचान का दावा नहीं करते हैं। उनके लिए अलग प्रक्रिया कैसे हो सकती है? जिस क्षण आप लोकतंत्र कहते हैं, यह अनिवार्य रूप से राजनेताओं के लिए एक दलील है," सीजेआई ने कहा।

पीठ ने सिंघवी को व्यक्तिगत मामलों में अदालत के समक्ष आने को भी कहा। CJI ने कहा, 'जब आप कहते हैं कि विपक्ष के लिए जगह कम हो गई है, तो उपाय उस जगह में है, राजनीतिक जगह है, अदालत नहीं। हम इसका मनोरंजन नहीं कर रहे हैं। यदि आप चाहें, तो आप अलग-अलग मामलों में वापस आ सकते हैं जहां किसी को निशाना बनाया गया हो।"

शीर्ष अदालत ने कहा, "जब आप (राजनीतिक दल) तर्क देते हैं कि विपक्षी राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सीबीआई/ईडी के मामलों की वजह से विपक्ष पर एक द्रुतशीतन प्रभाव है, तो जवाब राजनीतिक दायरे में है, न कि अदालतों में।"

याचिका में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी राजनीतिक नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ जबरदस्ती आपराधिक प्रक्रियाओं के उपयोग में खतरनाक वृद्धि हुई है।

एक याचिकाकर्ता की ओर से जारी एक बयान में आरोप लगाया गया है, "राजनीतिक असंतोष को पूरी तरह से कुचलने और प्रतिनिधि लोकतंत्र के मौलिक परिसर को खत्म करने के उद्देश्य से सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को एक चुनिंदा और लक्षित तरीके से तैनात किया जा रहा है।"

कांग्रेस के अलावा, जो दल संयुक्त कदम का हिस्सा थे, वे थे DMK, RJD, BRS, तृणमूल कांग्रेस, AAP, NCP, शिवसेना (UBT), JMM, JD(U), CPI (M), CPI, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस।

अब इतने बड़े दलों के नेताओ के उपर बोलने का मौका बीजेपी व पीएम मोदी सरकार को विपक्षी दलों के नेताओ के द्वारा अपने आप पीएम मोदी को मुद्दा दे दिया 2024 चुनाव के लिए अब पीएम मोदी कहेगा कोर्ट गया आप लोग क्या हासिल हुआ उल्टा फटकार लगाई आप नेता लोगो को कोई देश के आम नागरिको से अलग हट के नहीं हो जो आप लोगों के लिए वीआईपी कानून बनाई जाए ED, CBI अपना काम कर रहे हैं, आप अपने आप के उपर लगे केस को लेकर कोर्ट में आ सकते हैं, लेकिन आप तो बहुत से राजनीतिक दल समूह एक साथ न्याय व्यवस्था का गुहार लगा रहे हो, ये कैसा संभव है न्याय पालिका के लिए, आप अपना निजी केस दायर कर सकते है आपके उपर क्या अन्याय हुआ उस पर कुछ किया जा सकता है कोर्ट के माध्यम से, लेकिन पूरे देश के एक साथ विपक्षी दलों के नेताओ का बोलना ED, CBI का दुरूपयोग केंद्र सरकार हम विपक्षी दलों के नेताओ के लिए कर रहा है यह कोई ठोस वजह नहीं है यह तो राजनीतिक वजह है, जो आप लोगों को समझना ना की कोर्ट को समझना है इसलिए सुप्रीम कोर्ट खारिज कर दिया इन विपक्षी दलों के नेताओ के केस को।