गैंगस्टर अबू सलेम की सजा की अवधि को लेकर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।

गैंगस्टर अबू सलेम की सजा की अवधि को लेकर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।

 NBL,. 08/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. गैंगस्टर अबू सलेम की सजा की अवधि को लेकर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। अदालत ने केंद्र से कहा कि क्या वह तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की ओर से पुर्तगाल सरकार को दिए गए इस आश्वासन का पालन करने जा रही है कि अबू सलेम को 25 वर्ष से अधिक की सजा नहीं सुनाई जाएगी, पढ़े विस्तार से...। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रतिबद्धता पर केंद्र के रुख का तब व्यापक असर होगा जब देश किसी और भगोड़े को यहां लाना चाहेगा। कोर्ट ने कहा कि हम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। इसमें सीबीआई ने कहा है कि अबू सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत की ओर से पुर्तगाल को दिया गया आश्वासन भारतीय अदालतों में बाध्यकारी नहीं है।
न्यायाधीश एसके कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया हो कि क्या भारत सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री की ओर से पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन का पालन करने जा रही है या नहीं। प्रतिबद्धता और इसके प्रभावों को देखते हुए एक निर्णय लेना होगा।
पीठ ने गृह सचिव को तीन सप्ताह के अंदर यह हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सीबीआई से पूछा, आपसे हलफनामा दाखिल करने को किसने कहा था?
उधर, सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से पीठ ने कहा कि हमने एजेंसी का हलफनामा दाखिल करने को नहीं कह रहे थे। पीठ ने कहा, 'आपसे किसने हलफनामा दाखिल करन को कहा? सीबाई केवल एक अभियोजन एजेंसी है। हमने आपसे यह जानकारी मांगी थी कि क्या आप दिए गए आश्वासन का पालन करने जा रहे हैं।'
पीठ ने कहा कि हमने आपसे यह पूछा था कि क्या सरकार यह कह रही है कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का पालन नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम यह स्वीकार करते हैं कि अपराध गंभीर हैं लेकिन भारत संघ की ओर से अपने राजनीतिक ज्ञान में की गई प्रतिबद्धता पर रुख का मूल्यांकन इसके व्यापक प्रभाव के आधार को देखते हुए किया जाना चाहिए।
सलेम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी को केंद्र से मांगा था जवाब
दो फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की ओर से दाखिल एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था। 1993 के मुंबई सीरियम बम धमाका मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अबू सलेम ने अपनी याचिका में यह दलील दी थी कि भारत और पुर्तगाल के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार उसे 25 साल से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है।
1993 के मुंबई सीरियल धमाका मामले में दोषी अबू सलेम की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि पुर्तगाल की अदालतें 25 वर्ष से अधिक की सजा नहीं सुना सकती हैं। उन्होंने कहा कि पारस्परिकता के सिद्धांत के आधार पर भारत सरकार ने आश्वासन दिया था कि अगर सलेम का प्रत्यर्पण होता है तो उसे 25 वर्ष से अधिक की सजा नहीं सुनाई जाएगी।