आध्यात्मिक शक्ति आ जाने पर थोड़ा बहुत साधक बता देता है




आध्यात्मिक शक्ति आ जाने पर थोड़ा बहुत साधक बता देता है
सतगुरु में बहुत पावर होता है
लखनऊ (उ.प्र.)। अंतर साधना में तरक्की देने वाले, मन और इन्द्रियों को वश में करने का तरीका बताने वाले, रूहानी दौलत देने वाले, इस समय के मसीहा, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त ने 4 मार्च 2019 प्रातः लखनऊ में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कर्मों का जब से विधान बना, जीव फंसने लग गए। सुरत नीचे ज्यादा नहीं उतरती है, कभी-कभी कंठ चक्र, आद्या महाशक्ति के स्थान तक आती है। मन द्वारा सुरत के साथ मिलकर रचना करने पर सपने आते हैं। 16 तरह के सपने होते हैं। सुरत ज्यादा नीचे नहीं उतरती है तो यह मन आजाद हो जाता है। सुरत का इतना प्रभाव नहीं रहता है। सुरत एकदम निर्मल है, परमात्मा की अंश है लेकिन वह इन्द्रियों में फंसना नहीं चाहती है। लेकिन मन इंद्रियों के घाट पर बैठकर शरीर को विषयों में फंसा देता है तो अपना घर अपना मालिक अपना वतन भूल जाता है, उधर से ध्यान हट जाता है तो सन्त इंद्रियों को कंट्रोल करने का, दमन करने का तरीका बताते हैं। मांस अंडा खाने से शराब पीने से खून बेमेल हो जाता है, बीमारी आती है, दिमाग काम नहीं करता है, ब्लड प्रेशर आदि तरह-तरह की बीमारियां आ जाती है। यह चीजें न हो इसके लिए सतगुरु सबसे पहले उपदेश करते बताते समझाते हैं फिर नाम दान देकर के सुरत की डोर को अपने हाथ में ले लेते हैं। तो सतगुरु को पावर तो बहुत होता है। उन्हें कोई किसी देश में नहीं रोक सकता है। उनकी मौज के अनुसार ही लोग करते चलते हैं लेकिन वह व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। जैसे बड़ा अधिकारी व्यवस्था दूसरी बना देता है लेकिन छोटे अधिकारी पर दबाव नहीं डालता है। ऐसे ही सन्त भी दबाव नहीं डालते हैं। बहुत दया करते हैं। ऊपर लोकों के जीवों को नीचे मृत्य लोक में जन्म दिला देते हैं। संस्कार रहने की वजह से वो वक़्त के सतगुरु के पास पहुंच जाते हैं। बिन गुरु भक्ति शब्द न उपजते, सो प्राणी तू मूर्ख जान, शब्द खुलेगा गुरु मेहर से, खींचे सुरत गुरु बलवान।
अंतर की बाधा से साधक भी गिर जाते हैं
जैसे आप कुछ लोगों के घर से यहां पहुंचने में विघ्न बाधा आई होगी। यहां मुश्किल से पहुंच पाए होंगे, इतनी बाधाएं आ जाती है। इसी तरह की बाधा अंदर में भी आती है। यही कारण है कि साधना में अच्छे-अच्छे लोग गिर गए। विश्वामित्र की सात हजार वर्ष की तपस्या खत्म हो गई। पाराशर कोहरा उपजा करके मल्लाह की लड़की के साथ गिर गए। श्रंगी ऋषि घर छोड़ करके चले गए थे और वापस आए शादी ब्याह किया बच्चे पैदा किए, उसी में फंस गए। नेमी ऋषि आंखें नहीं खोलते थे लेकिन वह भी अप्सरा के चक्कर में आकर के शादी किया और उसी अप्सरा ने नकेल डाल कर के इंद्रा के सामने उनको ले जा कर के खड़ा कर दिया। बहुत सारे इतिहास मिल रहे हैं। श्रंगी को भंगी कर डाला, नारद के पीछे पड़ गया पछाड़, योग करत गोरख जी को लूटा और नेमी को लूटा हलवा खिलाएं। अच्छे-अच्छे लोग फंस गये।
आध्यात्मिक शक्ति आ जाने पर थोड़ा बहुत साधक बता देता है
साधारण जीव की क्या औकात कि वो पार जा सके लेकिन जब गुरु की दया हो जाती है तो मूक बोलने लगता है, अपंग पहाड़ चढ़ जाता है। जीवात्मा के लिए कहा गया। इसके कोई हाथ पैर तो है नहीं लेकिन दया होने पर वह ऊपर चढ़ जाती है। सुरत को जब सतगुरु खींचते हैं तब कोई रुकावट नहीं आती है। नहीं तो साधकों से पूछो। वैसे तो ये बताते नहीं लेकिन जिसके पास माल ज्यादा इकट्ठा हो जाता है, वह थोड़ा बहुत लुटा भी देता है तो उससे लिए फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे ही आध्यात्मिक शक्ति जब कुछ लोगों के पास आ जाती है तो थोड़ा बहुत पूछोगे तो बता देंगे। तो बताते हैं, पूछोगे तो बताएंगे।