वाराणसी: ज्ञानव्यापि मस्जिद के पास मिला " स्वस्तिक " चिन्ह, अभी अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुआ, क्योकी यह मामला कोर्ट का है. विरोध के कारण सर्वे रुका है, आगे जारी...

Swastika" sign found near Gyanvyapi Masjid,

वाराणसी: ज्ञानव्यापि मस्जिद के पास मिला
वाराणसी: ज्ञानव्यापि मस्जिद के पास मिला " स्वस्तिक " चिन्ह, अभी अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुआ, क्योकी यह मामला कोर्ट का है. विरोध के कारण सर्वे रुका है, आगे जारी...

NBL, 08/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Varanasi: "Swastika" sign found near Gyanvyapi Masjid, not yet officially confirmed, because this matter is of the court.

Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बनी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम विरोध प्रदर्शन के बीच रोक दिया गया है। अब यह प्रक्रिया सोमवार को जारी रहेगी। इस बीच, सर्वे के दौरान बड़े खुलासे हुए हैं, पढ़े विस्तार से... 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी के दौरान ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर में ज्ञानवापी मस्जिद के पास दो स्वस्तिकों के निशान देखे गए हैं। हालांकि अभी इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया है, क्योंकि रिपोर्ट पहले कोर्ट में पेश होना है। अपुष्ट खबरों के मुताबिक, सर्वे टीम के वीडियोग्राफरों ने एक चैनल को बताया कि जब वे सर्वेक्षण कर रहे थे तो उन्हें मस्जिद के बाहर दो फीके लेकिन सुपाठ्य स्वस्तिक मिले। उन्होंने कहा कि स्वस्तिक संभवतः प्राचीन काल में बनाए गए थे।

Gyanvapi Masjid Case Update: ज्ञानवापी के किस सच से घबरा रहा मुस्लिम पक्ष : विहिप

विश्व हिदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कोर्ट द्वारा नियुक्त टीम को ज्ञानवापी मस्जिद में जाने से रोकने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने पूछा कि ऐसा कौन सा सच है जिसे बाहर आने से रोका जा रहा है? इस मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष में इतनी घबराहट क्यों है? विहिप नेता ने सर्वे में अवरोध को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि एक अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया है, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट गया था। हाई कोर्ट ने जब उनकी अपील खारिज कर दी और सर्वे पर रोक नहीं लगाई है, तब उसे क्यों रोका जा रहा है। सर्वे में अवरोध पैदा करने वाले संविधान की अवहेलना कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वह 1974 में काशी विश्वनाथ गए थे। उस समय लोग श्रृंगार गौरी के दर्शन करते थे और सिंदूर चढ़ाते थे, क्योंकि वह सड़क पर है। वह मस्जिद के पीछे की ओर है, ऐसे में उसे क्यों बंद करना? याचिका में भी यह नहीं कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर बना दिया जाए, बल्कि यह कहा गया है कि श्रृंगार गौरी में कुछ वर्ष पहले तक दर्शन करते हुए आए हैं और उसके दोबारा दर्शन करने का अधिकार दिया जाए।

उस समय स्वीकार्य था तो आज आपत्ति क्यों : जीतेन्द्रानन्द सरस्वती

वहीं वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा है कि विवादित परिसर का सर्वेक्षण पहली बार नहीं हो रहा है। 1937 में बनारस के तत्कालीन सिविल जज एसबी सिह ने एक नहीं बल्कि दो बार ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और आसपास का स्वयं निरीक्षण किया था। पहली बार संबंधित मुकदमे की सुनवाई से पहले और दूसरा निरीक्षण फैसला सुनाने के पूर्व किया गया था। उसी मुकदमे में अंग्रेजी सरकार ने दो विशेषज्ञों इतिहासकार डा. परमात्मा सरन व इतिहासकार डा. एएस अल्टेकर को अदालत में गवाह के तौर पर प्रस्तुत किया था। इन दोनों ने भी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर, मस्जिद के नीचे स्थित तहखाने और पश्चिमी दीवार में प्राचीन मंदिर के भग्नावशेषों का विस्तार से सर्वेक्षण और अध्ययन किया था।

दोनों इतिहासकारों की गवाही पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम पक्ष ने अदालत से कहा था कि यदि विशेषज्ञों की आवश्यकता है तो सरकार के बजाय अदालत अपनी तरफ से विशेषज्ञों को नियुक्त कर सकती है। उस समय यह स्वीकार्य था तो आज अदालत द्वारा नियुक्त सर्वे टीम पर आपत्ति क्यों की जा रही है?