सुप्रीम कोर्ट: मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के होंगे.
Supreme Court: In Madhya Pradesh, elections.




NBL, 10/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Supreme Court: In Madhya Pradesh, elections to three-tier panchayats and urban bodies will be held without OBC (Other Backward Classes) reservation.
SC Decision on OBC Reservation: भोपाल, मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के होंगे, पढ़े विस्तार से...
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव जल्द कराए जाने की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह व्यवस्था दी है साथ ही निर्देश दिए हैं कि 15 दिन के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का परीक्षण किया जाएगा। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण मिले इसके लिए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी।
याचिकाकर्ता सैयद जाफर, जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत और नगरीय निकाय जल्द कराए जाने संबंधी हमारी याचिका पर चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। हमारे तर्कों को सही माना गया है। संविधान के सविधान के अनुसार पांच वर्ष में पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव होने चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश में यह तीन साल से नहीं हुए हैं। अब सरकार को चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट में राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा ओबीसी की आबादी को लेकर प्रस्तुत रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है। आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान पंचायत और नगरीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की अनुशंसा की थी। आयोग ने दावा किया था कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं। सरकार से ओबीसी के लिए 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की सिफारिश भी की गई है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिसूचना दो सप्ताह के भीतर जारी करने के डायरेक्शन दिए हैं। उसके अनुरूप अब हम तैयारी करेंगे। हम चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने के पक्ष में सरकार
उधर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर दोहराया कि हम ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायतों और नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने के पक्ष में है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण करके रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी। वहीं, कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया ने कहा कि हमने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि आधी अधूरी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण निर्धारित नहीं हो सकता है। सरकार की मंशा ही नहीं है कि पिछड़ा वर्ग को उनका हक मिले।
उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाएंगे। सीएम शिवराज ने स्पष्ट कर दिया है कि हम रिव्यु पिटीशन दायर करेंगे। कांग्रेस ने ही इस मामले को उलझाया है। कांग्रेस समय रहते आयोग बनाती तो ये मामला नहीं उलझता, हम फैसले का पूरा अध्ययन करके रिव्यु पिटीशन दायर करेंगे। हम ओबीसी वर्ग के लिए गंभीर हैं।
कांग्रेस नेता अरुण यादव ने एमपी सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा कि शिवराज सरकार की वजह से मध्य प्रदेश की 56 प्रतिशत आबादी को भाजपा सरकार के षडयंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा, पिछड़ा वर्ग से ही संबध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, यह सौदा और षणयंत्र भविष्य में आपके लिए घातक होगा।राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंचायती, नगरीय निकायों के संबंध मैं आज आ गया। यह निर्णय पूर्व निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के नजीर आर ट्रिपल टेस्ट के मापदंड के अनुरूप है। समय रहते यदि मध्य प्रदेश सरकार निर्धारित कदम ले लेती तो ये स्थिती ओबोसी आरक्षण को लेकर नहीं होती।