पिछले ढाई साल में बदल चुकी है सुकमा की तस्वीर बंद पड़े स्कूलों, आंगनबाड़ी के पुनः संचालन से बच्चे गढ़ रहे सुन्दर भविष्य कुपोषण की दर में आई 09 प्रतिशत की गिरावट चिन्तलनार, जगरगुण्डा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँच रही स्वास्थ्य सुविधाएं




*सुकमा 27 मई 2021/* परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। समय के साथ सबकुछ बदलता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के दक्षिणी छोर में घने जंगलों और तृप्त कर देने वाली मनोरम प्राकृतिक सुंदरता के बीच बसे सुकमा जिले का जिक्र होते ही लोगों के मन में अक्सर अशिक्षा, कुपोषण और लचर स्वास्थ्य सुविधाओं का ख्याल आता है। किन्तु आज हकीकत कुछ और है, समय के साथ सुकमा जिले में भी परिवर्तन हुआ है। यहां के रहवासी अब पहले से ज्यादा शिक्षित, रोजगार में संलग्न, सुपोषित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेते हैं। शासन के संकल्प से पिछले ढाई बरस में सुकमा जिले की स्वरुप का कायाकल्प हुआ है। अब यहाँ के गावों में ग्रामीण खुशहाल, स्वस्थ और शिक्षित जीवन जीते हैं। जिले में जहाँ पिछले ढाई सालों में कुपोषण की दर में कमी आई है तो वहीं शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है।
*बन्द पड़े शालाओं के पुनः संचालन से गांव-गांव तक पहुंची शिक्षा की लहर*
जिले बन्द पड़े स्कूलों के पुनः संचालत से अन्दरूनी ग्रामों के बच्चों को गृह ग्राम के नजदीक ही शिक्षा पाने अवसर मिल रहा है। वर्ष 2006 में सलवा जुडूम आंदोलन का असर जिले के कोण्टा क्षेत्र अन्तर्गत गांवों में ज्यादा रहा। विकासखण्ड कोन्टा अन्तर्गत वर्ष 2006 के पूर्व 275 प्राथमिक एवं 66 माध्यमिक शालायें संचालित थी लेकिन वर्ष 2006 में माओवादियों द्वारा बहुत से शालाओं को क्षतिग्रस्त किया गया। जिसके फलस्वरुप 102 प्राथमिक शालायें एवं 21 माध्यमिक शालाओं को बंद करना पड़ा या शिफ्ट कर संचालित किए गए। शासन एवं जिला प्रशासन सुकमा के अभिनव पहल से वर्ष 2018-19 मे इन बंद पड़े शालाओं का पुनः संचालन प्रारंभ किया गया। जिसके तहत् वर्तमान में 92 स्कूल पुनः संचालित है। जिसमें 4 हजार 172 विधार्थी अध्यनरत है। इसके साथ ही संबंधित पंचायत के स्थानीय 12वीं उत्तीर्ण युवक-युवतियों को पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर स्कूलों में शिक्षादूत के रूप मे कार्य कर रहें हैं। प्रारंभ मे शालाओं के संचालन हेतु स्थानीय स्तर पर झोपड़ी का निर्माण किया गया था। वर्तमान मे शासन एवं प्रशासन स्तर से 60 शाला भवन तथा 34 अतिरिक्त कक्ष निर्माण की स्वीकृति प्रदाय कर शाला संचालन हेतु भवनों का निर्माण कराया जा रहा है जिसमें 22 भवन का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा शेष भवन भी जल्द ही पूर्ण कर लिए जाएंगे। शालाओं में शासन के द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे मध्यान्ह भोजन, निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक, गणवेश आदि का पूरा लाभ विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
*सुपोषण अभियान से संवर रही बच्चों की सेहत*
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान वर्ष 2019 से प्रारंभ किया गया। जिसके अन्तर्गत जिला प्रशासन सुकमा और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले के बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के उद्देश्य से संवरता सुकमा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वर्ष 2019 के वजन त्योहार में जिले में कुपोषण की दर 45 प्रतिशत थी, इस कार्यक्रम की बदौलत विगत दो वर्षों में ही कुपोषण की दर में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रदाय किए जा रहे गरम और पौष्टिक आहार के साथ ही समय-समय पर बच्चों एवं महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच का परिणाम है कि आज अंदरुनी क्षेत्रों में भी बच्चे स्वस्थ और सुपोषित जीवन जी रहे हैं। जिले के अन्दरूनी क्षेत्रों में विगत दो वर्षों में 36 नवीन आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया गया है। वहीं अंदरुनी क्षेत्रों के 55 आंगबाड़ी भवन सहित कुल 178 नवीन भवन का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है। जिले में वर्तमान स्थिति में कुल 963 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है, जिसमें 665 केन्द्र आंगनबाड़ी भवनों में संचालित की जा रही है तथा 200 आंगनबाड़ी केन्द्र निर्माणाधीन है।
*बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से संवर रहा सुकमा*
सुकमा जिले में समय के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार होने से अब लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगी है जिससे अब जिले के लोगों को अन्य सीमावर्ती राज्यों पर निर्भरता लगभग कम होने लगी है। कोण्टा विकासखण्ड अन्तर्गत विगत दो वर्षों में उप स्वास्थ्य केन्द्रों में 21 एएनएम के साथ ही 13 पुरूष स्वास्थ्यकर्ताओं की भर्ती की गई है। वर्ष 2018 की तुलना में आज जिले में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में इजाफा कर संवेदनशील क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैय्या कराई जा रही है। जहाँ वर्ष 2018 में केवल 1303 मितानिन अपनी सेवाएं दे रही थी वहीं आज कुल 1446 मितानिनों के माध्यम से जिले के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावी रुप से पहुंच रही है। संस्थागत प्रसव के मामले में भी जिले में सफलता हासिल की गई है वर्ष 2018 में जहां 70.3 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों एवं चिकित्सा केन्द्रों में किए गए वहीं यह आंकड़ा बढ़कर 2020-21 में 91.6 प्रतिशत हो गई है। जिसमें संवेदनशील क्षेत्रों जैसे गोलापल्ली में 89.2 प्रतिशत, जगरगुण्डा में 113.3 प्रशित, चिन्तागुफा में 122.5 प्रतिशत तथा चिन्तलनार में 146.7 प्रतिशत संस्थागत प्रसव शामिल है। वहीं गर्भवती महिलाओं को तत्काल स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने एवं संस्थागत प्रसव सुनिश्चित के लिए 5 बिस्तरीय 19 प्री-बर्थ प्रतिक्षा केन्द्र का स्थापित किया गया है। जिनकी सहायता से अन्दरूनी क्षेत्रों के गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हुआ है।
विगत दो वर्षों में जिले में कुल 10 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र व 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया और 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्माणाधीन है। वर्तमान में जिले में कुल 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 89 उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है। जिससे पहुंचवीहिन क्षेत्रों के वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा अल्प समय में ही उपलब्ध हो रही है। ग्रामीणों को अब छोटी मोटी स्वास्थ्यगत परेशानियों का निदान नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में मिल जाता है।
जिले में मलेरिया का प्रकोप पर प्रभावी नियंत्रण हासिल किया गया है। 2018 में जहां 11 हजार 698 लोग मलेरिया संक्रमित पाए गए थे, वहीं दो वर्षों बाद यह आंकड़ा घटकर केवल 1612 तक सीमट गया है। दूरस्थ एवं संदवेदनशील क्षेत्रों में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के सफल क्रियान्वयन से लोगों की शत-प्रतिशत मलेरिया जांच एवं त्वरित उपचार उपलब्ध कराया गया। जिससे आज की स्थिति में पाॅजीटीविटी रेट 17 प्रतिशत से घटकर केवल 8.9 प्रतिशत रह गई है।