अपने उसूलों के पक्के रहो, प्रभु पर विश्वास रखो, वोही देता है - बाबा उमाकान्त

अपने उसूलों के पक्के रहो, प्रभु पर विश्वास रखो, वोही देता है - बाबा उमाकान्त
अपने उसूलों के पक्के रहो, प्रभु पर विश्वास रखो, वोही देता है - बाबा उमाकान्त

अपने उसूलों के पक्के रहो, प्रभु पर विश्वास रखो, वोही देता है - बाबा उमाकान्त

काल माया की किन पर नहीं चलती

एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए- वो कौनसी चीज है जिसके साधने पर सब चीजें सध जाएँगी

उज्जैन (म.प्र.)। सब जीवों के पिता सतपुरुष के साक्षात अवतार, जिनमें पूर्व के सभी सन्त और उनकी दया समाई हुई हैं, इस अनमोल मनुष्य शरीर में छुपे सीक्रेट खजाने को प्राप्त करने की चाबी बताने वाले, अपने शिष्यों की सब तरह से संभाल करने वाले, काल माया से बचाने वाले, पूरे सभी प्रकार से समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने होली कार्यक्रम में 5 मार्च 2023 सायं उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सन्तमत का सतसंग मिलने पर ज्ञान होता है नहीं तो मनुष्य अपनी समय परिस्तिथि परिवार वातावरण के अनुसार चले आ रहे देवी-देवताओं का ही नाम लेता हुआ (इस दुनिया से) चला जाता है और आत्मा को परमात्मा से मिलाने का असली काम नहीं हो पाता। सतसंग उसे कहते हैं जहां सतलोक सतपुरुष का कीर्तन होता है। कीर्तन यानी कीर्ति। कीर्ति, किये हुए काम को काल नहीं खा सकता है। उपरी लोकों के वासियों देवी-देवताओं को भी अपने कल्याण के लिए मनुष्य शरीर में आना पड़ता है, तत्व ज्यादा हैं लेकिन उनके शरीर से उपर जाने का रास्ता नहीं है।

माताओं बहनों के लिए सन्देश

सतसंगी माताओं बहनों को बच्चा पेट में आने पर आचार-विचार, संयम-नियम का पालन करना चाहिए नहीं तो बच्चे खंडित हो जाते हैं। भजन करती रहोगी तो अच्छे निकलते हैं नहीं तो बिगड़ जाते हैं, उद्दंड हो जाते हैं। जिन्होंने पालन किया ऐसे एक के भी नहीं बिगड़े, खराब से खराब संगति में रहे, तब भी अपना खान-पान, व्यवहार, चरित्र बचा ले गए और पढ़-लिख कर ऊँचे ओहदों पर पहुँच गए। आप लोग बच्चों को सतसंग में कम लाते हो। आये दिन सुनने को मिलता है कि बच्चा बिगड़ रहा, बच्ची बिगड़ रही। ध्यान रखो।

अपने उसूलों के पक्के रहो, प्रभु पर विश्वास रखो, वोही देता है

मनुष्य तो संग दोष से अपने रास्ते से अलग हो जाता है, अपने उसूल छोड़ देता है लेकिन जानवर अपनी जगह मजबूत होते हैं। मैं कई देशों में गया, शाकाहारी जानवरों के सामने मांस डाल दो, नहीं खायेंगे, सूंघ कर छोड़ देंगे। और आदमी दुसरे स्थान पर जाकर संग दोष में आकर मां-बाप के दिए संस्कार को ख़त्म कर देता है। सोचता है कि बॉस, नेता के साथ बैठ कर मीट खायेंगे, शराब पियेंगे तो प्रमोशन दे देगा, टिकट दे देगा। उस प्रभु पर से विश्वास ख़त्म कर देता है जो सबको देता है। कभी भी अपने उसूल से अलग नहीं होना चाहिए। हमेशा अपने उसूल पर रहना चाहिए।

काल माया की किन पर नहीं चलती

केवल सन्तों के जीवों पर, जिन्हें गुरु से प्रेम है, जो गुरु का आदेश मानते हैं केवल उन्ही पर काल माया की कुछ नहीं चलती। दया तो बराबर हो रही है। दया जब कोई नहीं ले पाता है तब दया का अनुभव नहीं हो पाता है। दुष्ट भी उन्ही के जीव होते हैं तो सुधारने की पूरी कोशिश करते हैं जैसे अंगुलिमाल, वाल्मीकि। तभी कृष्ण ने महाभारत से पहले अपने आध्यात्मिक गुरु सुपाच जी से प्रार्थना किया कि अब अपनी दया की धार को खींचो, अब ये नहीं मानेंगे। गुरु की दया होने पर कोई रुकावट नहीं आती है। 

एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए

जो आँखे बंद करने पर उजाला ला दे वोही सच्चा गुरु है। सच्चे गुरु की पहचान सभी धर्म ग्रंथों में लिखी है। पूछ लेना चाहिए, जब मिल जाए तब उनकी हर बात मानना चाहिए। उनके बताये रास्ते पर चलना चाहिए, उन्हें खुश करना चाहिए। केवल एक बात याद कर लो कि (नामदान के समय बताया गया) ध्यान भजन सुमिरन हमको रोज करना है। मन न लगे तो सेवा का विधान बनाया गया है, सेवा करो, कर्मों को काटो तो मन लगने लग जायेगा, आत्मा-परमात्मा मिलन का काम बन जायेगा। मनुष्य स्वभाववश अच्छी चीजों को बता देता है, आपको ध्यान, भजन में जो भी दिखाई-सुनाई दे, किसी को मत बताना।