मलेरिया से बचाव के लिए घरों में किया जा रहा दवा का छिड़काव.730 टीमें घर-घर जाकर कर रहीँ मलेरिया की जांच सुकमा जिले में 1.40 लाख लोगों की हुई मलेरिया जांच




सुकमा 3 जून। जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ कार्यक्रम के तहत डेंगू, मलेरिया व अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए लगातार वार्ड व बस्तियों में कार्रवाई करते हुए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में अक्सर घरों की दीवारों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अनेक प्रजातियों के मच्छर मनुष्य का खून चूसने के बाद दीवार पर बैठ जाया करते हैं। ऐसे में समय-समय पर दीवारों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया जाए तो दीवार पर बैठने वाले मच्छर स्वतः ही मर जाते है। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ कार्यक्रम के प्रारंभ से अर्थात 17 मई से अब तक जिले के 39,392 कमरों में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जा चुका है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सी.बी.पी.बंसोड़ ने बताया, “जून में मच्छर का प्रजनन अधिक होता है एवं वयस्क मच्छर लगभग 1 माह तक जीवित रहते हैं। वर्षा के तत्काल बाद से डेंगू, मलेरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों के उत्पन्न होने व फैलने की संभावनाएं बन जाती हैं, आबादी क्षेत्र में मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा उतना ही लोग मलेरिया से सुरक्षित होंगे। इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी हो रहा है। जिले के वार्ड, बस्तियों, आवासीय व व्यवसायिक क्षेत्रों सहित अन्य आवश्यकतानुसार स्थानों में लगातार कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किये जा रहें हैं। मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके मलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है। स्थिर पानी में मच्छर अपना प्रजनन करते हैं, ऐसे स्थिर पानी की जगहों को ढक कर रखना, सुखा देना या बहा देना चाहिये या पानी की सतह पर तेल डाल देना चाहिये, जिससे मच्छरों के लार्वा नष्ट हो जायें।"
आगे उन्होंने बताया, "17 मई से 16 जून तक मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ सह सघन टीबी ,मोतियाबिंद, स्केबीज जांच उपचार अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिले में कुल 413 ग्रामों के 2.79 लाख लोगों की जांच की जानी है। अभियान के प्रारंभ से अबतक 1.40 लाख व्यक्तियों के रक्त की जांच की गई, जिसमें केवल 256 मलेरिया पाज़िटिव पाए गए। इसके अतिरिक्त टीबी के रोगों लक्षण पाए गए सर्वे में संभावित रोगियों की संख्या 189 है,वहीं 554 लोगों की पहचान की गई है जिन्हें आंखों से कम दिखाई देता है। इस कार्य में 730 टीम घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रहे है।"
जिला मलेरिया सलाहकार राजेश्वरी ने बताया, "मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है। मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी/पीएचसी पर उपलब्ध है।।"