कैंसर से जीत जंग, अब दूसरों को भी दे रहे इससे लड़ने की हिम्मत..रक्त कैंसर इलाज के दौरान साक्षी ने कोविड संक्रमण को भी दी मात

कैंसर से जीत जंग, अब दूसरों को भी दे रहे इससे लड़ने की हिम्मत..रक्त कैंसर इलाज के दौरान साक्षी ने कोविड संक्रमण को भी दी मात
कैंसर से जीत जंग, अब दूसरों को भी दे रहे इससे लड़ने की हिम्मत..रक्त कैंसर इलाज के दौरान साक्षी ने कोविड संक्रमण को भी दी मात

जगदलपुर - कैंसर का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में एक ऐसी बीमारी की तस्वीर बन जाती है कि यह ठीक नहीं हो सकती है जबकि यह एक गलत धारणा है । खर्चीले इलाज से मरीज जीने की उम्मीद छोड़ने लगता है। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो इसका डटकर मुकाबला करते हैं और कम खर्च के इलाज से ही इसे हरा भी देते हैं। बीते दिनों महारानी अस्पताल में नेशनल कैंसर सर्वाइवर डे मनाया गया। जिसमें कैन्सर रोग से जंग जीतने वाले मरीजों ने अपनी संघर्ष की कहानी के बारे में जानकारी देते हुए अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। 

केस 1- बकावण्ड ब्लॉक के तारापुर ग्राम में रहने वाले 38 वर्षीय गंगाराम भारती जोकि एक किसान हैं उन्होंने बताया," 2 साल पहले वे आंखों में दर्द की समस्या से जूझ रहे थे, इसके इलाज के लिये रायपुर गए जहाँ उन्हें कैंसर रोग से ग्रसित होने के बारे में पता चला। शुरुआत में 3 महीने तक रायपुर में रहकर अपना इलाज करवाया, इस दौरान उनके पिताजी का देहांत हो गया। आर्थिक स्थिति भी ठीक नही थी ऐसे में आगे का इलाज कराना गंगाराम के लिये सम्भव नही था, इसलिये वे वापस अपने गांव आ गए। कुछ महीने तक शारीरिक पीड़ा और मानसिक रूप से घिरे रहने के कारण उन्होंने आगे अपना इलाज कराने का सोचा और अपनी जमीन बेचकर इलाज के लिये कुछ पैसे जमा किये। फिर वे बेहतर इलाज के लिये विशाखापत्तनम गए। विशाखापत्तनम में 2 कीमोथेरेपी करवा लेने के बाद एक मेडिकल वाले ने उन्हें जगदलपुर में, कैंसर के इलाज की सुविधा होने के बारे में जानकारी दी। तब उन्होंने बिना देरी किये जिला अस्पताल जगदलपुर में कैंसर से सम्बंधित डॉक्टर से सम्पर्क किया। अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.बी.एल.शर्मा ने आश्वस्त किया कि उनका इलाज यहां भी सम्भव है। कुछ जरूरी जांच के पश्चात मुझे निःशुल्क कीमोथेरेपी की सुविधा दी गयी जिसके बाद आज मैं पूर्णतः स्वस्थ हूँ। डॉक्टर की गहन देखरेख और प्रबल इच्छाशक्ति की बदौलत आज मैंने कैंसर से जंग जीत ली है, और अब कुछ परिचित लोग जो कैंसर का इलाज करवा रहे उन्हें भी हिम्मत देते हुए प्रेरित कर रहा हूँ।"

केस 2-सुकमा जिले में रहने वाली 18 वर्षीय साक्षी कश्यप बताती हैं, " लगभग 2 वर्ष पहले मेरे पेट मे तेज दर्द, शरीरिक कमजोरी, और लगातार बुखार होने के कारण मैं कई महीने तक बीमार रही। नजदीकी अस्पताल में डॉक्टर द्वारा रक्त की कमी का इलाज भी करवाया लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नही हुआ। बार-बार शरीर मे रक्त की कमी हो जाने के कारण एक बार गम्भीर अवस्था मे महारानी अस्पताल जाना पड़ा जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। प्रारम्भिक जांच के दौरान रक्त कैंसर के संकेत मिले थे। डॉक्टर द्वारा " बोन मैरो" और अन्य प्रमुख जांच से शरीर मे इस बीमारी के होने के बारे में पता चला। आईसीयू में भर्ती रहने के दौरान गम्भीर अवस्था मे ही मेरा इलाज प्रारम्भ किया गया। इस बीच मुझे कोविड-19 का संक्रमण भी हुआ। किन्तु मैंने कोविड से भी जंग जीती साथ ही लगातार चले कैंसर के इलाज से आज मैं पूर्णतः स्वस्थ हूँ और अपनी पढ़ाई फिर से प्रारम्भ कर चुकी हूँ।"

 

साक्षी ने आगे बताया, " कैंसर जैसी बिमारी से लड़ने के लिए मानसिक तौर पर हिम्मत बनाए रखना सबसे अहम है। मेरे पूरे सफर में सबसे बड़ा फैक्टर यही रहा कि मैंने इस दौरान खुद को काफी स्ट्रॉन्ग रखा और पूरी कोशिश की कि इसके बारे में ज्यादा सोचूं नहीं। कैंसर के इस पूरे सफर में घरवालों और मित्रों ने मेरा खूब साथ दिया।"

 

कैंसर एवं कीमोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ.भँवर शर्मा ने बताया, "महरानी अस्पताल जगदलपुर में कैंसर मरीजों के लिये डे केअर कीमोथैरेपी की सुविधा दीर्घायु वार्ड के माध्यम से पहले ही दी जा चुकी है। वर्तमान में कैंसर इलाज की सुविधाओं में विस्तार करते हुए, दीर्घायु वार्ड प्लस के नाम से स्माल बॉयोप्सी, सी.टी. गाइडेड जांच रेडियोलॉजिस्ट के साथ की जा रही है। भविष्य में पैलिएटिव केयर की सुविधा भी प्रारंभ की जाएगी। इसके अतिरिक्त कैंसर के आखिरी स्टेज से जूझ रहे मरीजों को दर्द कम करने की दवा देने व परामर्श के लिये पैलिएटिव केयर की सुविधा भी दी जा रही है।