सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त ने बताया, पल भर में दुनिया को बनाने बिगड़ने वाले काल के दांव से बचने का उपाय...

सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त ने बताया, पल भर में दुनिया को बनाने बिगड़ने वाले काल के दांव से बचने का उपाय...
सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त ने बताया, पल भर में दुनिया को बनाने बिगड़ने वाले काल के दांव से बचने का उपाय...

सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त ने बताया, पल भर में दुनिया को बनाने बिगड़ने वाले काल के दांव से बचने का उपाय

अवतारी शक्तियों में जीवों को पार करने की ताकत नहीं होती है, वो काम तो सन्त सतगुरु का होता है

जोधपुर (राजस्थान) : जिनके आदेश पालन करने से काल और माया दोनों से भी बचा जा सकता है, भवसागर पार कराने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि न तुमको मां के पेट का याद है और न पैदा होने का याद है। लेकिन (पैदा होते समय) सब चिल्लाए थे, कहां कहां कहां आ गए क्योंकि माया और काल का पर्दा पड़ गया। यह काल और माया का देश हैं। जो इस दुनिया को पल भर में समेट ले, समय के सबसे छोटे माप को पल कहते हैं, पल भर में खत्म कर दे, पलभर में बना दे, उसको काल कहते हैं, उसी के हाथ में यह सब कुछ है। यह शरीर भी उसी के अधीन है। और माया औरतों को कहते हैं, जब तक ज्ञान नहीं होगा तब तक इससे कोई बच नहीं सकता है।

काल जीवों पर दांव कब नहीं मार पाता

यह सारी खिलकत, आपका शरीर भी काल भगवान की ही है। वह अभी हवा बंद कर दे तो दम घुटने लग जाए। सूरज निकलना बंद कर दे तो अभी रोग फैल जाए, शरीर रोगी हो जाए। अभी बहुत तेज हवा चला दे तो जीना मुश्किल हो जाए। तो यह पूरा माहौल उन्हीं के अधीन है। तो वह खुश कब होते हैं? जब प्रभु पिता के आदेश का पालन जीव करता है। पिता को तो आप इन बाहरी आंखों से देख नहीं सकते हो और न ही पिता के पास (सीधे) पहुंच सकते हो। लेकिन पिता के जैसे ही काम करने वाले जो सन्त सतगुरु होते हैं, जो जीवों को अपनाते हैं, अपने बच्चों की तरह मानते हैं, उनके आदेश का पालन करने पर काल दांव नहीं मार पता है।

कलयुग कहां-कहां रहता है

यह कलयुग है, अच्छी जगह बैठने लायक नहीं है। उसको तो जहां चोरी, जुआ होता हो, जहां शराब लोग पीते हो, वहां सब दे दिया जाए, तो कहा इन्हीं स्थानों पर जाकर तुम रहना। बोला, ठीक है, मैं वहां तो रहूंगा लेकिन कोई एक अच्छी जगह भी दे दो। उस समय सोने की कीमत होती थी। आज भी है। धातुओं की कीमत होती है। इनकी कीमत जल्दी कम नहीं होती है। इसलिए बहुत से व्यापारी इन्हीं का व्यापार करते हैं कि यह तो पैसा किसी ने किसी दिन दे जाएगा, इसमें घाटा नहीं होगा। कच्चा सौदा है जैसे नमक का व्यापार, पानी बरसता है तो गल जाता है, दूध, साग सब्जी खराब हो जाती है। लेकिन लोहा, तांबा, सोना पड़ा रहता है। इसकी कीमत बढ़ती ही है। कलयुग से कहा सोने में तू रहना। फिर आगे का रोचक द्रष्टान्त महाराज जी ने बताया।

अवतारी शक्तियों में जीवों को पार करने की ताकत नहीं होती है

महाभारत के युद्ध के बाद कृष्ण ने कहा मैं भी अब जाऊंगा, मेरा भी अब समय पूरा हो गया। तब पांडवों ने कहा, महाराज हमको भी लेते चलिए। बोले, नहीं, तुमको मै नहीं ले जा पाऊंगा। मेरा काम यह नहीं है। यह तो सन्त सतगुरु का काम है। तुम उनकी खोज करो, उनसे साधना, योग का रास्ता लो। योग साधना जब तुम करोगे तब तुम मेरे धाम पहुंच सकते हो। मेरे अंदर वह ताकत नहीं है। कहा अवतारी शक्तियों में जीवों को पार करने की ताकत नहीं होती है। वह तो सन्त सतगुरु में ही होती है। उनकी खोज करो, उनके पास जाओ। बहुत रोये, गिडगिडाये कि पूरी जिंदगी इसी उम्मीद में मैं लग रहा कि जब आप जाएंगे, हमको साथ लेते जाएंगे। अब बुढ़ापे में सतगुरु को कहां से खोज पाऊंगा, कैसे अब योग साधना कर पाऊंगा? दया कर दो, बोले, ये नहीं हो सकता है।