रोका छेंका अभियान की हुई शुरुआत गांव वाले नहीं कर रहे हैं रोका छेंका का पालन।

रोका छेंका अभियान की हुई शुरुआत गांव वाले नहीं कर रहे हैं रोका छेंका का पालन।

लखनपुर//सितेश सिरदार✍️

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य मवेशियों को नियंत्रण में रखने तथा खरीफ फसल की सुरक्षा व किसानों की आय में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप छत्तीसगढ़ की कृषि की पारंपरिक पद्धति तथा पुरानी परंपरा पद्धति 'रोका-छेका' को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया है. इस परपंरा में अहम भूमिका में कोटवार, पटेल, सरपंच और यादवों की रहती है. तथा अलग अलग जगहो पर क्षेत्रीय विधायक पंच सरपंच ने कार्यक्रम की शुरुआत करते है इस दौरान ये लोग आपस में बैठकर खेतों में मवेशियों के रोकने की चर्चा करते है तथा गांव के किसान गांव के प्रत्येक घर के हल के हिसाब से मवेशी का आकलन करते है और खेतों में मवेशियों के जाने पर जुर्माना लगाते है। इस बार इस योजना के तहत शहरों को भी जोड़ा गया है.।

 

मवेशी पालक नही कर रहे रोका छेंका का पालन

 

लखनपुर विकासखंड के कुंवरपुर सहित कई गांव ऐसे हैं जहां आवारा मवेशियों सहित कई लोग अपने मवेशियों बैल भैंस को हल चलाने(जोतने) के बाद छोड़ देते है जिससे और अन्य किसानों की खेती फसल थरहा तथा पौधरोपण किए हैं उसको नुकसान पहुंचा देते है , जिससे किसान के चेहरे में परेशानी एवं हताश नजर आता है। 

 

लखनपुर किसान कल्याण संघ ब्लाक अध्यक्ष सितेश सिरदार

के द्वारा बताया गया की पंच, सरपंच, जनप्रतिनिधि, ग्राम के गणमान्य नागरिक, ग्रामवासी और चरवाहे से मेरा अनुरोध है कि सभी मिलकर ग्राम में रोका छेका की व्यवस्था करेंगे, जिससे गौठान का भी सदुपयोग सुनिश्चित होगा।यदि कई ग्रामीणों को रोका छेका अभियान के तहत। सूचना देने के बाद भी अपनी मवेशियों को देख रेख नहीं कर रहे हैं। मवेशियों पशुओं को छोड़ दे रहे हैं जिससे कई तरह के फसलों को भारी नुकसान करते हैं। ऐसे में । मवेशियों पालने वालों के ऊपर जुर्माना करना चाहिए। अगर फसल को नुकसान पहुंचाने के बाद भी जुर्माना देने से मना करते हैं तो ,मवेशियों को कांजी हाउस में रखा जाए जिससे मवेशी को देख रेख तथा रोका छेंका नहीं करने वालो को सबक मिल सके।