कहावत को चरितार्थ कर रहे है: बलरामपुर जिले के चौथी कक्षा में पढ़ने वाले निशांत पैकरा जो जन्म से ही दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग है।

कहावत को चरितार्थ कर रहे है: बलरामपुर जिले के चौथी कक्षा में पढ़ने वाले निशांत पैकरा जो जन्म से ही दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग है।

NBL,. 18/02/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. बलरामपुर : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं. इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे है बलरामपुर जिले के चौथी कक्षा में पढ़ने वाले निशांत पैकरा जो जन्म से ही दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग है, पढ़े विस्तार से...। 

अपने पैरों से लिखने वाले निशांत ने पढ़ाई करके कलेक्टर बनना चाहते है. निशांत के हौसले को जिले के कलेक्टर कुंदन कुमार भी तारीफ कर रहे हैं और निशांत की आगे की पढ़ाई के लिए हर संभव मदद का भरोसा भी दे रहे हैं। 

दरअसल बलरामपुर विकासखण्ड के डूमरखी प्राथमिक शाला में पढ़ाई कर रहे दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग निशांत बड़ा होकर कलेक्टर बनना चाहते हैं. अपने पैरों से लिखने वाले निशांत स्कूल में अपने अन्य दोस्तों के साथ खेलकूद में भी बराबर भाग लेते है, और यही वजह है कि उनके हौसले को देखकर उनकी तारीफ हर कोई कर रहा है। 

.मां के साथ काम भी करता है.. 

निशांत की उम्र अभी 9 वर्ष की है और उनके दो और भाई हैं. निशांत के पिता शिक्षक है तो उनकी माता पंचायत में रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत है. निशांत की मां का कहना है कि उनका बेटा जन्म से ही दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग है लेकिन वो सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेलकूद में बराबर भाग लेता है. इसके अलावा निशांत घरेलू काम मे भी अपनी मां का हाथ बटाता है. निशांत की मां का सपना है कि उनके बेटे को किसी अच्छे दिव्यांग स्कूल में भर्ती कराया जाए ताकि उसका भविष्य अच्छा बन सके। स्कूल में सामान्य बच्चों की तरह रहता निशांत को स्कूल में शिक्षा दे रहे उनके शिक्षक ने बताया कि निशांत के दोनों हाथ पैर नहीं होने के वावजूद भी वह सामान्य बच्चों की तरह ही व्यवहार करता है. उसकी रुचि पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद में भी रहती है. दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी निशांत अपने पैरों से लिखता है और किताब के पन्नों को भी पलटता है. स्कूल में निशांत की मदद उसके क्लास के अन्य छात्र भी करते है। 

कलेक्टर करेंगे मदद. . 
शासकीय प्राथमिक शाला डुमरखी में दौरे पर पहुंचे जिले के कलेक्टर कुंदन कुमार ने निशांत को स्कूल आने जाने के लिए ट्रायसाइकिल की व्यवस्था दी है और इसके अलावा बैटरी से चलने वाली ट्रायसाइकिल उपलब्ध कराने का आदेश भी दे दिए है, जो जल्द ही निशांत को मिल जाएगी. पढ़ाई के प्रति निशांत की लगन और बड़ा होकर कलेक्टर बनने की बात सुनकर खुद कलेक्टर कुंदन कुमार भी प्रभावित हुए और निशांत को आगे किसी अच्छे दिव्यांग स्कूल में भर्ती कराए जाने का आश्वासन भी दिए है।